बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

नरेंद्र के स्वागत योग्य सुझाव

नरेंद्र के स्वागत योग्य सुझाव

(शरद खरे)

युवा एवं उत्साही भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र ठाकुर की सकारात्मक सोच का एक और नायाब उदाहरण सामने आया है। नरेंद्र ठाकुर ने इस बार चुनावों के दौरान बिल पर शराब बेचने की बात कही है। नरेंद्र का यह सुझाव स्वागत योग्य है। चुनावों के दौरान शराब देकर प्रलोभन देना नई बात नहीं है। आजादी के उपरांत कुछ दशकों के बाद ही नेताओं द्वारा मतदाताओं को रिझाने के लिए शराब का सहारा लिया जाने लगा। एक रात के क्षणिक नशे के लिए लोगों द्वारा अपने जमीर को भी गिरवी रखा जाने लगा। शराब इस तरह की चीज है कि लोग इसके मोहपाश से अपने आपको दूर नहीं रख पाते हैं।
नरेंद्र ठाकुर का कहना सही है कि कम से कम चुनाव के दौरान ही सही प्रशासन को शराब के विक्रय पर नजर रखनी चाहिए। वैसे तो आबकारी महकमा इसके लिए पर्याप्त माना जा सकता है, किन्तु आबकारी विभाग में भी बड़े बड़े छेद हैं। आबकारी विभाग अगर अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी के साथ निभाता तो शायद ही शराब ठेकेदार अवैध शराब बेचकर धन्ना सेठ बने होते। अवैध शराब जो कई बार जहरीली भी होती है, से न जाने कितने लोग आज तक काल कलवित हो चुके हैं।
सिवनी में जनसंपर्क विभाग द्वारा जिला कलेक्टर भरत यादव के हवाले से यह भी कहा गया, कि कलेक्टर द्वारा चुनाव को देखते हुए, अवैध शराब के विक्रय को जिला कलेेक्टर द्वारा पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोग आश्चर्यचकित हैं कि क्या चुनाव पूर्व अवैध शराब बेचने पर पाबंदी नहीं थी। सरकारी विज्ञप्ति जारी करने के लिए जनसंपर्क विभाग को अधिकृत किया गया है। जनसंपर्क विभाग में भारी तनख्वाह लेने वालों की लंबी चौड़ी फौज कार्यरत है। इन कर्मचारियों के जिम्मे बस एक ही काम है, कि सरकारी योजनाओं और सूचनाओं को मीडिया के जरिए जनता तक पहुंचाया जाए। जिला जनसंपर्क अधिकारी के पद के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक या स्नात्कोत्तर की उपाधि आवश्यक होती है। पत्रकारिता महाविद्यालय में पत्रकारिता की बारीकियां समझाई और सिखाई जाती हैं। बावजूद इसके पता नहीं इस तरह की भूल, भला कैसे हो जाती है सरकारी नुमाईंदों से।
सिवनी में अवैध शराब का वितरण एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा होता है। सिवनी में कुछ विशेष शराब ठेकेदारों द्वारा निर्धारित दुकानों के अलावा गांव गांव में चौपहिया वाहन खड़े करवाकर शराब बेची जा रही है, जो पूरी तरह अवैध ही है। आबकारी विभाग द्वारा लगभग डेढ़ दशक के पहले तक लगातार अवैध शराब पकड़ी जाती रही है। सालों से इक्का दुक्का मामलों में ही आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब पकड़ने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। एक समय था जब लहान और शराब जप्त करने की खबरों से समाचार पत्र पटे रहते थे, आज महीनों इस तरह की खबरें, अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाती हैं।
नरेंद्र ठाकुर का यह सुझाव स्वागत योग्य है कि चुनाव तक तो कम से कम शराब को बिल पर ही बेचा जाए। इससे अनेक तरह के प्रतिबंध लग जाएंगे। अव्वल तो यह कि आज युवा और नाबालिग पीढ़ी जो शराब के प्रति आकर्षित हो रही है, वह बिल के डर से कम से कम दुकान में जाने से कतराएगी। वहीं दूसरी ओर बल्क में एक साथ शराब खरीदने वालों को भी डर ही रहेगा कि अगर शराब कहीं पकड़ी गई तो क्या जवाब देंगे। इतना ही नहीं पकड़ी गई शराब किस दुकान या ठेकेदार के पास से खरीदी गई है, यह बात भी पता चल जाएगी जिससे उसके खिलाफ भी कार्यवाही हो सकेगी।
वर्तमान में तो अवैध शराब पकड़ ली जाती है। उसके बाद न तो आबकारी न पुलिस और न ही प्रशासन द्वारा यह पता करने का प्रयास शायद ही किया जाता हो कि वह शराब आखिर आई तो आई किस ठेकेदार के पास से। इसका कारण यह है कि शराब गेंहू चावल नहीं या परचून नहीं है, जो हर जगह मिल पाए। शराब अगर सिवनी जिले में प्रवेश कराई गई है तो वह निश्चित तौर पर किसी न किसी शराब ठेकेदार के वैध या अवैध परमिट पर ही लाई गई होगी। अवैध शराब ले जाने वाले से ज्यादा दोष उस शराब ठेकेदार का है, जो इसे बेच रहा है।
अगर आप जाकर एक या दो पेटी यानी 12 या 24 बोतल शराब एक साथ शराब दुकान से उठाएंगे तो शराब के ठेकेदार सहित वहां मौजूद लोग आपको आश्चर्य के साथ देखेंगे। अगर आप निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब ले जा रहे हों तो आपको उसके लिए अलग से परमिट लेना ही होगा। बिना परिमिट के निर्धारित मात्रा में शराब ले जाना, अवैध शराब परिवहन की श्रेणी में ही आता है। अवैध शराब ले जाने वाले से यह पूछना जरूरी है कि आखिर उसके पास शराब आई कहां से!
वैसे चुनाव तक पेट्रोल और डीजल को भी बिल पर ही बेचा जाना चाहिए। जिले भर के शराब ठेकेदारों सहित पेट्रोल पंप संचालकों को भी यह निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे भी बिना बिल काटे एक बूंद शराब या डीजल, पेट्रोल न बेचें। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी को स्वतः ही संज्ञान लेना होगा। चुनाव के चलते जिले भर के ढाबों और होटलों की भी औचक और सघन चेकिंग की जाकर अवैध रूप से संग्रहित शराब को पकड़ा जाना जरूरी है। शराब को पकड़ने के बाद उन संस्थानों के नामों के साथ जनसंपर्क विभाग के द्वारा समाचार जारी किए जाएं, ताकि बदनामी के डर से ये होटल ढाबा संचालक अवैध रूप से संग्रहित शराब रखने के लिए हतोत्साहित होंगे।

सब कुछ निर्भर करता है प्रशासन की मंशा पर। नरेंद्र उर्फ गुड्डू ठाकुर एक आम नागरिक हैं, और जिम्मेदार नागरिक के बतौर उन्होंने अपना सुझाव समाचार पत्र के माध्यम से सार्वजनिक किया है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। जिला प्रशासन से कड़े कदमों की अपेक्षा की जा सकती है।

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