रविवार, 31 जनवरी 2010

भारतवंशियों का कभी नहीं डूबता है सूरज


भारतवंशियों का कभी नहीं डूबता है सूरज

दुनिया भर में पूजा जाता है इण्डियन स्किल

रहें कहीं, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

(लिमटी खरे)

भारत पर सालों साल राज करने वाले ब्रितानियों के बारे में कहा जाता था कि अंग्रेजों का सूरज कभी नहीं डूबता, अर्थात उनकी सल्तनत इतने सारे देशों मे थी कि कहीं न कहीं सूरज दिखाई ही देता था। आज हम हिन्दुस्तानी गर्व से कह सकते हैं कि भारतवंशियों का सूरज कभी भी नहीं डूबता है। विश्व के कमोबेश हर देश में भारतीय मिल जायेंगे तो अपनी सफलता के परचम लहरा रहे हैं।

अपने ज्ञान और कौशल से दुनिया भर को आलोकित करने वाले भारतवंशियों के दिमाग का लोहा दुनिया का चौधरी माने जाने वाला अमेरिका भी मानता है। हर क्षेत्र हर विधा, हर फन में माहिर होते हैं भारतवंशी। भले ही वे गैर रिहायशी भारतीय (एनआरआई) हों पर कहलाएंगे वे भारतवंशी ही।

अपनी प्रतिभा के बलबूते पर ही दुनिया भर में भारत के नाम का डंका बजाने वाले भारतीयों को भी अपने वतन पर नाज है। भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के योगदान को रेखांकित करने के लिए 2003 से हर साल नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया जाता है।

दरअसल इस दिन 1915 में भारत के सबसे बडे प्रवासी भारतीय मोहन दास करमचन्द गांधी ने दक्षिण आफ्रीका से भारत लौटकर स्वाधीनता का बिगुल बजाया था। कोट पेंट से आधी धोती पहनने वाले इस महात्मा ने अहिंसा के पथ पर चलकर भारत को आजादी दिलाई और हम भारतीयों का जीवन ही बदल दिया।

देखा जाए तो हिन्दुस्तानियों की तादाद लगभग हर देश में है। कनाडा में दस लाख, अमेरिका में साढे बाईस लाख, त्रिनिदाद में साढे पांच लाख, गुयाना में तीन लाख बीस हजार, सूरीनाम में एक लाख चालीस हजार, ब्रिटेन में 15 लाख, फ्रांस में दो लाख अस्सी हजार, साउदी अरब में 18 लाख, बेहरीन में साढे तीन लाख, कुबेत में पांच लाख अस्सी हजार, कतर में पांच लाख, यूनाईटेड अरब अमीरात में 17 लाख, दक्षिण अफ्रीका में 12 लाख, मरीशस में नौ लाख, यमन में एक लाख 20 हजार, ओमान में पांच लाख साठ हजार, श्रीलंका में 16 लाख, नेपाल में 6 लाख, मलेशिया में 21 लाख, म्यांमार में साढे तीन लाख, सिंगापुर में 6 लाख, फिजी में 3 लाख 22 हजार और आस्ट्रेलिया में साढे चार लाख भारतवंशी निवास कर रहे हैं।

दुनिया के चौधरी अमेरिका जैसे देश में 38 फीसदी चिकित्सक भारतीय हैं। यहां वैज्ञानिकों में 12 फीसदी स्थान भारतवंशियों के कब्जे में है। नासा में 36 फीसदी कर्मचारी भारतवंशी हैं। इतना ही नहीं कम्पयूटर के क्षेत्र में धमाल मचाने वाली माईक्रोसाफ्ट कंपनी में भारत के 34 फीसदी तो आईबीएम में 28 और इंटेल में 17 फीसदी कर्मचारियों ने अपना डंका बजाकर रखा हुआ है। फोटोकापी के क्षेत्र में 13 फीसदी हिन्दुस्तानी अमेरिका में छाए हुए हैं। भारतवंशियों की पहली पसन्द बनकर उभरा है अमेरिका, यहां भारतीय मूल के स्वामित्व वाली 100 शीर्ष कंपनियों का सालाना राजस्व 2.2 अरब डालर है, जो दुनिया भर के 21 हजार लोगों को रोजगार मुहैया करवा रही हैं।

भारतवंशियों के अन्दर कोई तो खूबी होगी जो कि विदेशों की धरा में ये अपने आप को संजोकर रखे हुए हैं। परदेस में परचम फहराने वाले भारतियों में अमेरिका में लुइसियाना के गर्वनर बाबी जिन्दल, न्यूजीलेण्ड के गर्वनर जनरल आनन्द सत्यानन्द, जाने माने ब्रिटिश सांसद कीथ वाज, लिबरल डोमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष लार्ड ढोलकिया, सुरीनाम के उपराष्ट्रपति राम सर्दजोई, सिंगापुर के महामहिम राष्ट्रपति एस.आर.नाथन, तीसरी बार गुयाना के महामहिम राष्ट्रपति बने भरत जगदेव के अलावा मरीशस के महामहिम राष्ट्रपति अनिरूद्ध जगन्नाथ, मरीशस के प्रधानमन्त्री नवीन रामगुलाम, 1999 में फिजी के प्रधानमन्त्री महेन्द्र चौधरी, केन्या के प्रथम उपराष्ट्रपति जोसेफ मुरूम्बी, त्रिनिदाद एवं टौबेगो की पहली महिला अटार्नी जनरल कमला प्रसाद बिसेसर के नाम प्रमुख हैं।

विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल विजेता डॉ हरगोविन्द खुराना, एस.चन्द्रशेखर, अन्तरिक्ष विज्ञानी कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स के अलावा 2009 में नोबेल विजेता वेंकटरमन रामाकृष्णन तो साहित्य के क्षेत्र में बुकर ऑफ बकर्स पुरूस्कार से नवाजे गए सलमान रशदी, बुकर विजेता किरण देसाई अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता आमत्र्य सेन, पुलित्जर विजेता झुम्पा लाहिडी, नोबेल विजेता सर वी.एस.नागपाल प्रमुख हैं।

कारोबार के क्षेत्र में भारतवंशियों की सफलता इतनी है कि उनकी उंचाईयों को सर उठाकर देखने पर सर की टोपी पीछे गिरना स्वाभाविक ही है। पेिप्सको में मुख्य कार्यकारी अधिकारी इन्दिरा नूरी, ब्रिटेन के धनी परिवारों में से एक हिन्दुजा बंधु, बोस कार्पोरेशन के संस्थापक अमर बोस, इस्पात करोबारी लक्ष्मी नारायण मित्तल, 1978 मेें नून प्रोडक्टस की स्थापना करने वाले सर गुलाम नून, मूलत: चार्टर्ड एकाउंटेंट करन बिलीमोरिया ने 1989 में कोब्रा बीयर का कारोबार आरम्भ किया जो आज सर चढकर बोल रहा है। इसके अलावा साठ के दशक में अपनी बिटिया के इलाज के लिए ब्रिटेन पहुंचे लार्ड स्वराज पाल ने 1978 में कापरो समूह की स्थापना की जो आज बुलन्दियों पर है।

कंप्यूटर की दुनिया में तहलका मचाने वाले एचपी के जनरल मेनेजर राजीव गुप्ता, पेंटियम चिप बनाने वाले विनोद धाम, दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति अजीम प्रेमजी, वेब बेस्ड ईमेल प्रोवाईडर हॉटमेल के फाउण्डर और क्रिएटर समीर भाटिया, सी, सी प्लस प्लस, यूनिक्स जैसे कंप्यूटर प्रोग्राम देने वाली कंपनी एटी एण्डटी बेल के प्रजीडेंट अरूण नेत्रावाली, विण्डोस 2000 के माईक्रोसाफ्ट टेस्टिंग डायरेक्टर संजय तेजवरिका, सिटी बैंक के चीफ एग्जीक्यूटिव विक्टर मेंनेंजेस, रजत गुप्ता और राना तलवार, का नाम आते ही भारतवासियों का सर गर्व से उंचा हो जाता है।

दुनिया भर के देशों में सरकार में सर्वोच्च या प्रमुख पद पाने वालों में भारतवंशी आगे ही हैं। फिजी में एक, गुयाना में 14, मलावी में 1 मलेशिया में चार, मारीशस में 17, मोजािम्बक में 1, सिंगापुर में 8, श्रीलंका में 9, सूरीनाम में 5, त्रिनिदाद और टुबैगो में 8, दक्षिण आफ्रीका में चार लोगों ने सरकार में सर्वोच्च या प्रमुख पद पाया है।

इसी तरह कनाडा में 9, जिम्वाब्बे में 1, जांबिया में 1, ब्रिटेन में 24, त्रिनिदाद और टुबैगो में 23, युगाण्डा में 1, तंजानिया में 4, इण्डोनेशिया में 1, आयरलेण्ड में 1, मलेशिया में दस, सूरीनाम में 18, श्रीलंका में 2, दक्षिण अफ्रीका में 16, सिंगापुर में 4, पनामा में एक, मोजािम्बक में 11 और मारीशस में 36 भारतीय मूल के संसद सदस्य या सीनेटर रहे हैं।

इस लिहाज से माना जा सकता है कि भारतवंशी समूचे विश्व में फैले हुए हैं, और हर क्षेत्र, हर विधा हर फन में भारत का तिरंगा उंचा करने के मार्ग प्रशस्त करते जा रहे हैं। भारतीय दिमाग को विश्व के हर देश में पर्याप्त सम्मान दिया जाता है। माना जाता है कि भारतवंशी के दिमाग के बिना कोई भी देश प्रगति के सौपान तय नहीं कर सकता है। तभी तो हम भारतीय गर्व से कहते हैं -``वी लव अवर इण्डिया``।

1 टिप्पणी:

vandana gupta ने कहा…

BILKUL SAHI BAAT KAHI.........HUM BHARAT WASI KAHIN BHI RAHEIN MAGAR DIL TO HAMESHA HI HINDUSTANI RAHTA HAI AUR HINDUSTANI JAHAN HO WAHIN PAR APNE DESH KA NAAM ROSHAN KARTA HAI..........JAI HIND.