सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

सोनिया, मनमोहन के खिलाफ तलवार पजाई ममता ने

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

सोनिया, मनमोहन के खिलाफ तलवार पजाई ममता ने
पश्चिम बंगाल की राजनीति में तेजी से छाने वाली ममता बनर्जी को अब कांग्रेस से दोस्ती रास नहीं आ रही है। बंगाल में अपनी पसन्द के राज्यपाल न बिठा पाने से दुखी ममता के तेवर अब कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और वजीरे आजम डॉ.एम.एम.सिंह के प्रति तीखे होते जा रहे हैं। रेल्वे के सरकारी विज्ञापनों में अब प्रधानमन्त्री और सोनिया गांधी की तस्वीरें न दिखें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ममता बनर्जी ने मन बना लिया है कि वे अब सोनिया और मनमोहन के फोटो वाले विज्ञापनों के माध्यम से उन्हें पब्लिसिटी नहीं दिलाएंगी। कोलकता के पास दमदम में मेट्रो रेल के रेक मरम्मत कारखाने के शिलान्यास के दौरान जारी आधे पेज के विज्ञापन में दोनों ही नेताओं के फोटो न दिखने पर कांग्रेसी हैरान परेशान रहे। सूत्रों के अनुसार मामला दस जनपथ पहुंचा फिर एक दूत को लगाया गया ममता से बातचीत करने। दूत के आग्रह पर ममता ने उसे सविनय अस्वीकार करते हुए यह कह दिया गया कि रेल्वे के विज्ञापनों में पीएम और सोनिया का क्या काम! कहते हैं कि मामला अन्त में इस बात पर सुलट गया कि बंगाल को छोडकर अन्य सूबों में जारी होने वाले विज्ञापनों में प्रधानमन्त्री और सोनिया के फोटो लगाए जाएंगे। चूंकि बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक ही हैं और मुख्यमन्त्री की कुर्सी पाने का सपना पाले ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमन्त्री और सोनिया के फोटो लगाकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहतीं।

शिवराज की फटकार के बाद उतरे मसाज के होर्डिंग्स
देश भर में मसाज पार्लर की आड में देह व्यापार का धंधा जमकर फल फूल रहा है। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में तो यह चरम पर है। सरेआम अखबारों में मसाज के विज्ञापन अटे पडे होते हैं। रशियन, चायनीज, गोरी बाला क्या चाहिए आपको, सब कुछ बस एक फोन नंबर पर उपलब्ध हैं। बताते हैं कि हाल ही में दिल्ली यात्रा पर आए मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को किसी ने इस बारे में जानकारी दी। सीएम जब अपने सूबे की राजधानी भोपाल लौटे तो उन्होंने कई जगहों पर निक्की बावा के चाकलेट मसाज के होर्डिंग देखे। जब सीएम भाजपा के प्रदेश मुख्यालय दीनदयाल परिसर में चिकित्सा प्रकोष्ठ के एक प्रोग्राम में शिरकत करने जा रहे थे, तो उन्होंने नूतन कन्या महाविद्यालय के सामने होर्डिंग लगा देखा। फिर क्या था, शिवराज सिंह चौहान का धैर्य जवाब दे गया, और तत्काल उन्होंने निगम आयुक्त मनीष सिंह को फोन कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि गल्र्स कालेज के सामने भी इस तरह के होर्डिंग! आयुक्त को मिली फटकार के बाद नगर निगम अमला सक्रिय हुआ और आनन फानन होर्डिंग एजेंसी और निक्की बावा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई।

मोदी से अमिताभ की नजदीकियां खल रहीं हैं मुलायम को
 समाजवादी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के कुनबे से एक के बाद एक कर नगीने पलायन करते जा रहे हैं। मुलायम के अमर प्रेम में दरार आने के बाद सपा का कुनबा छोटा होता जा रहा है। इसी बीच गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के बीच बढती नजदीकियों ने मुलायम की नीन्द उडा रखी है। बताते हैं कि अपनी फिल्म ``पा`` के प्रमोशन के लिए गुजरात गए अमिताभ ने मोदी से जबर्दस्त नजदीकी कायम कर ली है। अब दोनों के बीच फोन पर संवादों का आदान प्रदान अनवरत जारी है। मुलायम हैरान हैं कि एक ओर दुबई से अमर सिंह अपना त्यागपत्र भेजते हैं तो दूसरी ओर अमिताभ द्वारा नरेन्द्र मोदी के पक्ष में कशीदे गढे जाते हैं। अमिताभ के लगातार मोदी के संपर्क में रहने की खबरें मुलायम को अन्दर तक झझकोरने के लिए पर्याप्त कही जा सकतीं हैं। मुलायम जानते हैं कि अमर सिंह भले ही कुशल राजनेता न हों पर मेनीपुलेटर और मेनेजर में उनका कोई सानी नहीं है।

राजस्थान में थाने ही थाने
देश में राजस्थान ही इकलौता एसा सूबा होगा जिसमें थाने ही थाने हैं। जी हां, चौंकिए मत राज्य में पुलिस के थानों के अलावा, यातायात के थाने सडक दुघZटनाओं को रोकने, आबकारी के थाने अवैध शराब को रोकने, बिजली की चोरी रोकने विद्युत महकमे के थाने, आर्थिक अपराध रोकने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी), जसूसी मामलों की जांच हेतु इंटेलीजेंस ब्यूरो, भ्रष्टाचार रोकने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के थाने हैं। इसके अलावा परिवहन विभाग द्वारा अवैध वाहन चालन के लिए, पर्याटकों की सुरक्षा के लिए पर्यटन विभाग, अवैध निर्माण आदि को रोकने नगर निगम, कर चोरी रोकने वाणििज्यक कर विभाग, वन से सम्बंधित मामलों के लिए वन विभाग बिना ही थानों के थानेदारी कर रहे हैं। राजस्थान में अब मिलावटी मामलों के लिए अलग से थाना बनाया जा रहा है। प्रायोगिक और प्राथमिक तौर पर महानिरीक्षक रेंज स्तर पर विशेष थाने खोलने का प्रावधान किया गया है।

पूर्व मन्त्री का खाता सीज
देश के जनसेवकों का आलम देखिए कि डिफाल्टर होने पर उनके खाते सीज किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में दस हजार रूपए जमा न करने पर प्रदेश की पूर्व मन्त्री का खाता आयकर विभाग द्वारा सीज कर दिया गया। केन्द्रीय आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग द्वारा दो साल पूर्व सूबे के आधा दर्जन मन्त्रियों को आयकर विवरणी जमा करने का नोटिस दिया था, जिसमें कुसुम मेहदेले भी शामिल थीं। इसके उपरान्त उपलब्ध सूचना के अनुसार उन्हें या उनके सलाहकार को धारा 148 के तहत उपस्थित होने का नोटिस दिया गया था। जानकारों की मानें तो धारा 148 के अनुसार विभाग के पास कर चोरी की पुख्ता सूचना है। विभाग ने दस हजार रूपए की पेनाल्टी न जामा करने पर सूबे के राज्य सचिवालय वल्लभ भवन स्थित भारतीय स्टेट बैंक में जाकर मेहदेले का खाता सीज कर दिया। ये है हमारे जनसेवकों का हाल।

बुनियादी सुविधाओं को तरसते दिल्ली के गांव
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के बारे में तरह तरह की अवधारणाएं और भ्रान्तिया विकसित हैं। दिल्ली को देश में सबसे ज्यादा रकम अधोसंरचना विकास के लिए दी जाती है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि दिल्ली के गांवों में न तो बिजली है, न पानी और न ही स्कूल जैसी कोई चीज ही उपलब्ध है। यह हमारा कहना नहीं है, दिल्ली के हाईकोर्ट द्वारा बदरपुर खादर की बदहाली पर चिन्ता व्यक्त की गई है। चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह और जस्टिस एस.मुरलीधर ने यह कहते हुए कि इस गांव में बिजली, पानी और स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं अचंभित करने वालीं हैं, दिल्ली सरकार से पूछा है कि इस गांव में पढाई न कर पाने वाले 200 बच्चों के लिए सरकार ने क्या किया है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के बदरपुर खादर गांव में छ: सौ परिवार रहते हैं और वहां बुनियादी सुविधाएं हैं ही नहीं।

शिव के गण की मितव्ययता
केन्द्र सरकार और राज्यों की सरकारें मितव्ययता के ठोस सन्देश देने की बात तो कहती है, किन्तु जब अमली जामा पहनाने की बात आती है तो जनसेवक इससे कन्नी ही काटते हैं। केन्द्र में विदेश मन्त्री एम.एस.कृष्णा, शशि थुरूर, त्रणमूल कांग्रेस के सुल्तान अहमद के बाद अब मध्य प्रदेश के वन मन्त्री सरताज सिंह मितव्ययता की मिसाल पेश कर रहे हैं। मन्त्री बनने के बाद उन्हें बंग्ला नहीं मिला सो उन्होंने राजधानी के एक मंहगे होटल को अपना आशियाना बना लिया। तारीफेकाबिल बात यह है कि सरताज सिंह खुद भोपाल में ही एक बेहतरीन होटल के मालिक हैं, पर उन्होंने आशियाना बनाया है किसी और के होटल को। सरताज को आवंटित बंग्ले में पूर्व मन्त्री कुसुम मेहदेले के रिश्तेदारों ने कब्जा जमा रखा है, सो वह रिक्त नहीं है। अब देखना यह है कि विदेश मन्त्रीद्वय और अहमद की तर्ज पर सरताज सिंह भी इसका भुगतान अपनी जेब से करने की घोषणा कर भोगमान किसके कांधों पर डालते हैं।

स्वाईन फ्लू से होटल उद्योग पर काली छाया
भारतीय हॉिस्पटालिटी उद्योग के लिए स्वाईन फ्लू शनि की काली छाया बनकर सामने आया है। एच1एन1 विषाणु के कारण फैलने वाला स्वाईन फ्लू विदेशी पर्यटकों की संख्या में काफी कमी कर रहा है। इसके साथ ही साथ समूचे देश में दिल्ली में तेजी से फैलने वाले डेंगू, चिकन गुनिया और स्वाईन फ्लू का प्रचार प्रसार वास्तविकता से कई गुना अधिक हो चुका है, इसीके चलते लोग दिल्ली जाने से कतराने लगे हैं। लोगों का मानना है कि ठण्ड के मौसम में स्वाईन फ्लू की मारक क्षमता बहुत अधिक होती है, इसलिए दिल्ली की ओर रूख करना ठीक नहीं है। वैसे बडे होटल्स ने इन हाउस डाक्टर्स के निर्देशों का पालन पूरी मुस्तैदी के साथ किया जा रहा है, फिर भी होटल उद्योग को लगे झटके से इंकार नहीं किया जा सकता है।

पत्रकारों की वेदना कैसे सुनें ममता
पिछले बजट में रेल मन्त्री ममता बनर्जी द्वारा पत्रकारों को लुभाने योजनाएं लागू कीं। इनमें यात्रा करने पर आरटीसी के बजाए अब रेल विभाग द्वारा एक कार्ड जारी किया गया है। यह कार्ड इतना बडा और बदरंग है कि मीडिया पर्सन्स इसे किसी को दिखाने में भी अपमान महसूस करते हैं। रेल विभाग चाहता तो स्मार्ट कार्ड की तर्ज पर लेमिनेटेड कार्ड जारी कर सकता था, वस्तुत: एसा हुआ नहीं। इतना ही नहीं इस कार्ड से टिकिट बनवाने में पत्रकारों को भारी परेशानी का सामना करना पडता है। अनेक रेल्वे स्टेशन्स पर तो बुकिंग क्लर्क को पता ही नहीं होता है कि टिकिट कैसे बनेगी और कोड क्या डलेगा। क्लर्कस सीधे सीधे एक ही सवाल करते हैं कि क्या आपके पास पुरानी बुक कराई टिकिट है। अगर नहीं तो फिर कंसेशन की टिकिट बनना मुश्किल ही समझिए। निजामुद्दीन रेल्वे स्टेशन हो या नई दिल्ली, अगर इस कार्ड के जरिए ओपन टिकिट लेना चाहें तो हजार प्रश्नों के उत्तरों के लिए पत्रकार मित्रों को तैयार रहना चाहिए। होना यह चाहिए था कि देश के हर कंप्यूटराईज्ड बुकिंग विण्डो पर इस कार्ड के बारे में विस्तार से सूचना चस्पा करना चाहिए।

दस लाख में लोकतन्त्र नीलाम!
लूट, डकैती, हत्या, राहजनी आदि के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के दतिया जिले में पंचायत चुनाव में धार्मिक आस्था के नाम पर लोकतन्त्र को ही नीलाम कर दिया गया। भाण्डेर तहसील के ग्राम खिरिया फैजुल्ला गांव में एक मन्दिर के जीणोZद्धार के लिए सरपंच के पद की बोली लगा दी गई। गावं के एक युवा शिवकुमार ने दस लाख रूपए दान दिए और सर्वसम्मति से उसे सरपंच चुन लिया गया। दरअसल इस गांव में पुराने हनुमान मन्दिर के जीणोZद्धार के लिए एक बैठक बुलाई गई और निर्णय लिया गया कि जो भी सबसे ज्यादा दान देगा उसे निर्विरोध सरपंच बना दिया जाएगा। इतना ही नहीं यहां 17 पंच भी निर्विरोध चुने गए हैं। मध्य प्रदेश पर राम के नाम पर राज करने वाली भाजपा का शासन है, और भाजपा शासित सूबे में अगर धर्म के नाम पर लोकतन्त्र को ही नीलाम कर दिया जाए तो फिर क्या कहने। यद्यपि दिल्ली के केन्द्रीय कार्यालय में भाजपाई सफाई दे रहे हैं कि क्षेत्र के 1200 मतदाताओं ने एकता की मिसाल पेश की है और अपसी वेमनस्य तथा फिजूलखर्ची रोककर एक नई मिसाल पेश की है। यह गांव लूट, डकैती, हत्या, राहजनी आदि के लिए कुख्यात है।

कांग्रेस के लिए दुर्जन हुए सज्जन
कांग्रेस के पूर्व संसद सदस्य सज्जन कुमार से अब अपने ही लोगों ने किनारा करना आरम्भ कर दिया है। पिछले 25 सालों से 1984 के दंगों में संलिप्तता का आरोप झेल रहे सज्जन कुमार उमर के इस पडाव में लंबी लडाई लडकर फिर से खुद को स्थापित कर पाएंगे इस बात में संशय ही है। इस बार वे सबसे अधिक आहत इसलिए भी हैं कि अबकी बार वार उनकी अपनी पार्टी से ही हुआ है। संसद में किए अपने वादे को निभाने के लिए केन्द्रीय गृह मन्त्री ने सीबीआई को सज्जन कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे ही दी है। दंगे में संलिप्त होने के आरोप ललित माकन, अर्जुन दास, धर्मवीर शास्त्री पर भी लगे थे, किन्तु वे अब जिन्दा नहीं है। सज्जन और टाईटलर का नाम बार बार उछलता रहा है। अब सज्जन को सभी मुकदमे नए सिरे से झेलने होंगे साथ ही उनका सरकारी आवास भी जल्द ही उनके हाथों से जा सकता है।

नक्सली चला रहे छग में अपने स्कूल
नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ के बारे में खबरें चाहे जो आ रहीं हों पर अन्दरूनी स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ के बस्तर संभाग में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों से लगातार आदिवासी विद्यार्थी लापता होते जा रहे हैं। नक्सली गांवों में जाकर हर घर से एक बच्चे की मांग भी करते हैं, और उन्हें जनयुद्ध का स्कूल चलाकर माओवादी विचारधाराओं से आवगत कराते हैं। इस भयावह स्थिति को छिपाने के लिए भले ही राज्य सरकार सब कुछ नियन्त्रण में बता रही हो पर जमीनी हकीकत से वह अनजान नहीं मानी जा सकती है। छत्तीसगढ में नक्सलियों ने अपनी समानान्तर सत्ता कुछ क्षेत्रों में स्थापित कर ली है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ इलाकों में सिर्फ और सिर्फ इन्हीं की मर्जी से पत्ते हिलते हैं।

फरार आतंकियों को हवाला से मिले थे दो लाख!
दिल्ली से फरार हुए तीन आतंकी अब्दुल रजाक, मौहम्मद सादिक और रिफाकत अली को हवाला के जरिए दो लाख रूपए की रकम मुहैया करवाई गई थी। हवाला किस आपरेटर के माध्यम से हुआ था इसकी जानकारी जुटाने में स्पेशल सेल को नाकों चने चबाने पड रहे हैं। भरोसेमन्द सूत्रों का दावा है कि पुलिस को सेवा सदन में ही आतंकियों को रकम पहुंचाने की जानकारी दे दी गई थी। इसके बाद ही उन्होंने वहां से भागने की कार्ययोजना को अमली जामा पहनाया। पुलिस की उडी नीन्द अब कुछ हद तक ठीक इसलिए मानी जा सकती है कि गणतन्त्र दिवस बिना किसी सरगर्मी के शान्तिपूर्ण तरीके से निपट गया। सूत्रों के अनुसार आतंकवादियों के लिए दिल्ली साफ्ट टारगेट बन गया है, इस साल होने वाले कामन वेल्थ गेम्स के दौरान सुरक्षा सबसे बडी चुनौति के तौर पर सामने आएगी।

पुच्छल तारा
हरिद्वार से रचना सिंह द्वारा भेजे गए ई मेल के अनुसार एक साधू दूसरे साधू से बोला -``उफ! यह जीवन . . . समय का टोटा, काम का पहाड, कोई करे तो क्या करे. . . .! दूसरे ने तपाक से जवाब दिया -``सम्मेलन, अधिवेशन, पार्टी, ट्रस्ट, साक्षात्कार, और तो और अब चेनल्स में भी विशेष कार्यक्रम. . .! अरे समय ही कहां है, भगवान को याद करने का हम सन्यासियों के पास. . .।

1 टिप्पणी:

Gyanesh upadhyay ने कहा…

limty babu hamne aakhir aapko khoj hi liya,
jansatta mey chape lekh ke liye badhai