बुधवार, 18 अगस्त 2010

मोंटेक के निशाने पर कमल नाथ


मोंटेक ने फिर पजाई कमल नाथ के खिलाफ तलवार
 
महज 60 फीसदी लक्ष्य ही हासिल किया भूतल परिवहन मंत्रालय ने
 
रेल मंत्रालय में जरा भी ममता नहीं दिखाई रेल मंत्री ने
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 18 अगस्त। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने एक बार फिर भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमल नाथ के खिलाफ तलवारें पजाना आरंभ कर दिया है। योजना आयोग द्वारा केंद्र सरकार के समस्त ढांचागत मंत्रालयों की प्रगति की समीक्षा कर उसका प्रतिवेदन तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सौंप दिया जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री पहली तिमाही में मंत्रियों के प्रदर्शन पर गौर फरमाएंगे।
 
योजना आयोग के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि योजना आयोग द्वारा अब तक कमल नाथ के नेतृत्व वाले भूतल परिवहन मंत्रालय, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले रेल मंत्रालय, प्रफुल्ल पटेल के नागर विमानन और सुशील कुमार शिंदे के विद्युत मंत्रालय के कामों की समीक्षा को पूरा कर लिया गया है। चालू माली साल में अब तक नागर विमानन मंत्रालय का कामकाज पहले की तुलना में काफी हद तक संतोषजनक पाया गया है। इसके अलावा बिजली मंत्रालय का काम भी उत्साहजनक ही माना जा रहा है।
 
कमल नाथ के नेतृत्व वाले भूतल परिवहन मंत्रालय के बारे में योजना आयोग के विचार कुछ अच्छे नहीं माने जा रहे हैं। गौरतलब है कि कमल नाथ ने अपने मंत्रालय में हर रोज बीस किलोमीटर राजमार्ग की सड़क सड़क के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया था। कमल नाथ के इस सुझाव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे पूरी तरह से अव्यवहारिक ही करार दिया था। योजना आयोग ने बाद में इस लक्ष्य को घटाकर प्रतिदिन बनने वाली सड़क को महज सात किलोमीटर कर दिया था।
 
इस लिहाज से पहली तिमाही में भूतल परिवहन मंत्रालय को पहली तिमाही में 764 किलोमीटर सड़क का निर्माण करना था। आयोग के सूत्रों का दावा है कि अब तक भूतल परिवहन मंत्रालय की सुस्त चाल के चलते इस लक्ष्य को महज 60 फीसदी ही पाया जा सका है। गौरतलब है कि पूर्व में आवंटन को लेकर योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ आमने सामने आ गए थे।

पहली तिमाही में सबसे खराब प्रदर्शन रेल मंत्री ममता बनर्जी का रहा है। योजना आयोग का मानना है कि रेल मंत्री के नेतृत्व में रेल नई रेल लाईन बिछाने, रेल लाईन दोहरीकरण, रेल लाईनों के विद्युतिकरण आदि का काम कतई भी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। गौरतलब होगा कि रेलमंत्री का अधिकांश समय पश्चिम बंगाल में ही बीत रहा है, और उनका उद्देश्य साफ नजर आ रहा है कि भरतीय रेल चाहे जिस दिशा में जाए वे हर हाल में पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होकर ही दम लेंगी।

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