शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

एपी कांग्रेस अध्‍यक्ष की तलाश तेज

भूरिया के हाथों होगी एमपी कांग्रेस की बागडोर

दिग्विजय सिंह खड़े हैं कांतिलाल के पीछे चट्टान की तरह

सिंधिया, पचौरी को प्रदेश में नहीं पसारने देना चाहते पैर

अरूण यादव पर लग सकता है दांव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मनमोहन सिंह मंत्रीमण्डल में फेरबदल के उपरांत अब कांग्रेस संगठन की बारी है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस में जान फूंकने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने आदिवासी मामलों के मंत्री कांतिलाल भूरिया को एमपी कांग्रेस कमेटी का नया निजाम बनाने का मन बना लिया है। पिछले दिनों कांतिलाल भूरिया को मंत्री मण्डल से रूखसत होने खबरों को धता बताते हुए उन्होंने अपनी कुर्सी सलामत रखी है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि विस्तार के पहले मंगलवार को भूरिया ने प्रणव मुखर्जी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष के निवास पर जाकर भेंट की थी, और श्रीमति गांधी को राजनैतिक समीकरणों से आवगत कराया था, जिससे उनकी लाल बत्ती बच गई।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में जमुना देवी के अवसान के उपरांत आदिवासी नेतृत्व को उभारने के लिए आलाकमान किसी योग्य आदिवासी नेता के चयन में लगा हुआ है। कांग्रेस के संगठन के सूत्रों का कहना है कि कांतिलाल भूरिया के विभाग में राजस्थान के सीकर से चुने गए महादेव सिंह खंडेला को बतौर राज्यमंत्री इसलिए शामिल किया गया है ताकि अगर भूरिया मध्य प्रदेश में ज्यादा समय दें तो विभाग का कामकाज ज्यादा प्रभावित न हो पाए। उधर कांतिलाल भूरिया के सर पर कांग्रेस के ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का वरद हस्त है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी और युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही दिग्विजय सिंह की आखों में खटक रहे हैं। दिग्विजय सिंह की कोशिश है कि इन दोनों ही नेताओं को मध्य प्रदेश से बाहर ही रखा जाए।

कांग्रेस मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो आलाकमान की नजरों में एमपी के लिए भूरिया के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरूण यादव सबसे उपयुक्त दावेदार नजर आ रहे हैं, किन्तु तीनों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि तीनों ही मंत्री अपनी लाल बत्ती को तजकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कांटों भरा ताज पहनने में दिलचस्पी नहीं रख रहे हैं। भूरिया के नाम पर एमपी के क्षत्रप कमल नाथ और अर्जुन सिंह को भी आपत्ति नहीं होगी। मंत्रीमण्डल विस्तार में सुरेश पचौरी का नाम नहीं आने से अब उनके भविष्य के बारे में भी अटकलों अफवाहों का बाजार गर्मा गया है। कहा जा रहा है या तो उन्हें टीम सोनिया में बतौर महासचिव शामिल किया जा सकता है या फिर उन्हें किसी सूबे में राज्यपाल बनाकर भी भेजा जा सकता है। वैसे मनमोहन सिंह ने बजट के बाद बड़े विस्तार के संकेत देकर साफ कर दिया है कि आने वाले समय में कुछ और चेहरों को लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है।

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