शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

आधुनिक चाणक्य के निशाने पर हैं बाबा रामदेव

सियासी दांव में उलझने लगे बाबा रामकिशन

बैंक में खाता नहीं पर किया एक लाख करोड़ का कारोबार!

हरिद्वार से स्काटलेण्ड तक फैली है मिल्कियत

विवादों से गहरा नाता है बाबा रामदेव का

बाबा के गांव में पसरी हैं महामारियां!

(लिमटी खरे)

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य का एक जिल है महेंद्रगढ़, इस जिले का एक कस्बा है सैदअलीपुर। यह कस्बा बहुत महत्वपूर्ण है, इसका कारण है कि इक्कीसवीं सदी में योग गुरू बनकर उभरे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव इसी गांव के बाशिंदे हैं। इस गांव को महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने निर्मल गांव का पुरूस्कार भी प्रदान किया है। कहा जाता है कि इस पुरूस्कार को पाने के लिए संत्री से मंत्री तक सभी को अंधेरे में रखा गया था।

इस गांव की हकीकत तब सामने आई जब उत्तराखण्ड सरकार की एक अकादमी को निर्मल गांव के लिए चिन्हित ग्रामों के भौतिक सत्यापन का काम सौंपा गया। इस टीम ने पाया कि साढ़े चार सौ के तकरीबन परिवार वाले इस गांव में दो सौ परिवारों के पास शौचालय ही नहीं हैं। इस गांव में महिलाएं और पुरूष खुले में शौच करने विवश हैं, यह बात निश्चित तौर पर हरियाणा सरकार के साथ ही साथ रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के लिए शर्मसार करने के लिए पर्याप्त कही जा सकती है।

इक्कीसवीं सदी में स्वयंभू योग गुरू बनकर उभरे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने बीमारियों के सटीक इलाज के लिए योग को ही सर्वोपरि बताया। आरंभ में तो लोग इनकी ओर आकर्षित नहीं हुए किन्तु कालांतर में कुछ चुनिंदा धार्मिक चेनल्स के स्लाट खरीदकर बाबा रामदेव ने लोगों को इसका आदी बना दिया। इसके बाद रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का जादूू सर चढ़कर बोलने लगा। टीआरपी के मामले में इन्होंने संत आशाराम बापू को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। बाबा के शिविर जहां भी आयोजित होते वहां लोग टूट पड़ते। मंहगे टिकिट खरीदकर संपन्न लोग बाबा से योग के गुरू सीखते। बाबा ने जड़ी बूटी की आड़ में एक नई दुकान भी खोल दी जो खूब फल फूल रही है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि छोटे से जिले में बाबा रामदेव की दवाओं की फ्रेंचाईजी लेने के लिए आठ लाख रूपयों की दवाएं एक साथ खरीदनी होती है, जिसमें आठ से बारह फीसदी कमीशन ही मिलता है। इन दवाओं में अधिकांश वे दवाएं होती हैं जो सालों साल आपकी दुकान की शोभा बढ़ाती रहेंगी, उनके ग्राहक बहुत ही कम हैं।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव को जैसे ही लोकप्रियता मिलना आरंभ हुई उन्होंने कसम खाई कि जब तक देश के हर आदमी को वे निरोग न कर देगे तब तक देश की धरा के बाहर कदम न रखेंगे। बाबा को उनके अनुयाईयों ने समझाया कि आखिर क्या कह गए बाबा। न कभी एसा वक्त आएगा और न ही बाबा विदेशी वादियों की सैर कर पाएंगे। फिर अचानक बाबा ने विदेश की ओर रूख कर लिया। इसके बाद बाबा के लग्गू भग्गुओं ने उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाना आरंभ किया। बाबा ने सियासतदारों की कालर ही खीचना आरंभ कर दिया। बाबा ने एक और बयान सियासी हवा में उछाला कि विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने वे सड़कों पर उतरेंगे। समय बीतता गया और दो साल पूरे होने को हैं, देश की सड़कें आज भी रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का इंतजार कर रही हैं।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के इस कदम से कांग्रेस में बौखलाहट बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि वर्तमान में काला धन ही कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है। कांग्रेस के इक्कीसवीं सदी के चाणक्य एवं महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है, अब तय मान लीजिए कि बाबा रामदेव की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे आना सुनिश्चित ही है। दिग्गी राजा ने बाबा रामदेव से पूछा है कि वे पता कर लें कि कहीं उन्हें चंदा देने वाले ने तो काला धन उन्हें नहीं दिया है।

उधर रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने दिग्गी राजा के आरोपों के बाद तलवार पजाते हुए कहा है कि उन्होंने अपने ट्रस्ट को मिलने वाले धन का हिसाब आना पाई से सरकार को दे दिया है अब समय है कांग्रेस का कांग्रेस को चाहिए कि वह भी अपने से जुड़े सारे ट्रस्ट के हिसाब किताब को सरकार को दे दे।

राजा दिग्विजय सिंह के तीर कहां जाकर किसे और कितने समय बाद घायल करते हैं इस बात के बारे में इस नश्वर दुनिया में सिर्फ और सिर्फ एक ही आदमी जानता है और वह है खुदा राजा दिग्विजय सिंह। गौरतलब होगा कि 2008 में रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने खुद ही स्वीकार किया था कि उनका सालाना करोबार एक लाख करोड़ रूपयों का होने वाला है। बाबा रामदेव ने स्वीकारा था कि पतांजली योग के साम्राज्य में अप्रत्याशित तौर पर बढोत्तरी दर्ज की गई थी। इसकी शाखाएं ब्रिटेन, अमेरिका, थाईलेण्ड, नेपाल, उत्तर और दक्षिण अफ्रीका, दुबई आदि में खुल चुकीं हैं।

उत्तराखण्ड में कनखल के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट से आरंभ हुई रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव की छोटी सी दुकान आज लाखों करोड़ रूपयों की हो चुकी है। गौरतलब है कि 2003 में बाबा रामदेव और उनके सखा आचार्य बाल कृष्ण इसी ट्रस्ट के तीन कमरों में मरीजों का उपचार किया करते थे। यक्ष प्रश्न तो यह है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के हाथों में आखिर कौन सा जादुई जिन्न आ गया जिसे रगड़कर महज आठ सालों में ही उन्होंने कई सौ करोड़ का साम्राज्य स्थापित कर लिया है।

वर्तमान मे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के पतंजलि योग ग्राम का रकबा दस बीस बीघा नहीं वरन आठ सौ बीघा है, जहां हर प्रकार की सुविधाओं के साथ फाईव स्टार संस्कृति वाला पंचकर्म सेंटर शोभायमान है। इतना ही नहीं यहां अत्याधुनिक शहर की स्थापना भी की गई है। इसके कनखल में ही अलावा सर्वप्रिय विहार कालोनी में तीन बड़ी अट्टालिकाएं हैं, जिनमें इनके रिश्तेदार निवास करते हैं और गोदामों की जगह भी यहीं बनाई गई है।

गायों के लिए रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पतंजलि गोशाला की स्थापना भी की है। बाबा के गायों के बेड़े में पांच सौ से भी अधिक गायंे शोभा बढ़ा रही हैं, जिनमें से विदेशी नस्लों की गायों की तादाद बहुतायत में बताई जाती है। बाबा ने गायों के लिए सैकड़ों बीघा जमीन रख छोड़ी है। बाबा की संपत्ति में हिमाचल प्रदेश के सोलन का नाम भी जुड़ जाता है। कहते हैं रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पिछले साल स्काटलैण्ड में एक द्व़ीप भी खरीद लिया है।

धंधे में रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने अपने परिवार के लोगों को ही प्रशासनिक पदों पर बिठा रखा है अपने साम्राज्य में। कनखल में दिव्य योग ट्रस्ट मंदिर में दस बीघे में बाबा के भाई रामभरत का प्रशासनिक कार्यालय और गोदाम स्थापित है। इसके अलावा पतंजलि की अन्य इकाईयों में पतंजली आयुर्वेद लिमिटेड का साम्राज्य हरिद्वार में फैला हुआ है। यहां हरिद्वार के पुराने औद्योगिक क्षेत्र में बी 38 और ए 1 में दो कारखाने हैं जिनमें ढाई सौ से ज्यादा आयुर्वेदिक उत्पाद बनाए जाते हैं। इन दोनों का सालाना कारोबार अरबों रूपयों का बताया जाता है।

इसके अलावा पतंजली फूड और हर्बल पार्क के लिए रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने यहीं पचास एकड़ का रकबा खरीद रखा है। इसमें दस इकाईयां अभी चालू हैं बाकी आरंभ होने की बाट जोह रहीं हैं। कहते हैं इस पूरी इकाई का प्रारंभिक निवेश ढाई सौ करोड़ रूपयों से ज्यादा है।

पतंजली नर्सरी और कारखाने की स्थापना दिल्ली राजमार्ग पर दो सौ बीघा जमीन में की गई है। यहां औषधीय पुष्पों और पौधों की खेती की जाती है। यहां नर्सरी के साथ ही साथ च्यवनप्राश और साबुन बनाने का कारखाना स्थापति है। दिल्ली राजमार्ग पर ही रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पतंजली योगपीठ चरण एक में अत्याधुनिक चिकित्सालय, विशाल देखने योग्य भव्य भवन और पतंजली विश्विद्यालय की प्रस्तावना देखते ही बनती है। यह पूरा इलाका डेढ़ सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।

इसी के दूसरे चरण में साढ़े चार सौ एकड़ भूमि को आरक्षित रखा गया है। इसमें दस हजार लोगो को एक साठ ठहराने और योग करने की अत्याधुनिक सुविधा की व्यवस्था की गई है। यहां भवन देखते ही बनता है और तो और अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र भी यहां पर है।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव अब घिरते नजर आ रहे हैं। धर्मार्थ काम की आड़ में बाबा रामदेव ने जो झाड़ काटे हैं वे अब कांग्रेस की नजरों में गड़ने लगे हैं। कल तक मलाई खाने वाले बाबा को अब कांग्रेस के प्रबंधक जमीन चटवाकर ही मानेंगे, क्योंकि बाबा ने काले धन की बात को फैलाकर उसकी दुखती रग पर हाथ रख ही दिया है।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान के बाद अब आयकर विभाग ने भी अपनी नजरें तिरछी करना आरंभ कर दिया है। यह सच है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव आयकर विवरणिका दाखिल करते हैं किन्तु धर्मार्थ संस्था को दर्शाकर बाबा करोड़ों रूपयों के आयकर जमा करने से खुद को बचाते फिर रहे हैं। गौरतलब होगा कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के शिविर में शामिल होने और आर्युवेदिक दवाओं को खरीदने के लिए आम आदमी को खासी रकम चुकानी पड़ती है। इतना ही नहीं रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव की संस्था विदेशों से भी मोटा चंदा काट रही है।

लोगों की धारणा बन चुकी है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव अब गरीबों के लिए काम करने के बजाए राजवैद्य बन चुके हैं जिनके पास पहुंचना गरीब गुरबों के बस की बात नहीं रही। बाबा अब अमीरों के हाथों का खिलौना बन चुके हैं। वैसे भी किसी धर्मार्थ संस्था के सर्वेसर्वा का महज आठ सालों में जीरो से हीरो बनना और जनसेवा का काम करने वाली संस्था के पास इतनी कम अवधि में लाखों करोड़ रूपयों की संपत्ति का होना अपने आप में एक अजूबे से कम नहीं माना जा सकता है।

वैसे भी रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का विवादों से बड़ा पुराना और गहरा नाता है। बाबा ने 2003 में अपना काम आरंभ किया और 2005 में ही दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के मातहत कर्मचारियों में से 113 कर्मचारियों ने न्यूनतम मजदूरी मिलने का मामला सार्वजनिक किया था।

इसके बाद 2006 में वाम नेता सीपीआईएम की वृंदा करात ने रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के उपर यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी कि दिव्य योग मंदिर में बनने वाली दवाओं में मनुष्य और जनवरों की हड्डियों का प्रयोग किया जाता है। बाद में उत्ताखण्ड सरकार की क्लीन चिट के बाद मामला शांत हो पाया था।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने न्यायालयों को भी आड़े हाथों लेने से गुरेज नहीं किया। जुलाई 2009 में जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक सेक्स को जायज ठहराया था तब बाबा ने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया था। बाबा ने चुनिंदा ब्रांड के कोल्ड ड्रिंक्स के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अभियान छेड़ रखा है। इतना ही नहीं बाबा के द्वारा कैंसर और एड्स जैसी बीमारी के योग से इलाज के मामले में भी बाबा पर सवाल उठे, जिनका जवाब बाबा ने आज तक नहीं दिया है।

कुल मिलाकर अब उंट पहाड़ के नीचे आ चुका है। बाबा रामदेव अब सियासी गोदे (अखाड़े) में उतरे हैं। बाबा को सपने में उम्मीद नहीं होगी कि उनकी पहली भिडंत ही दिग्विजय सिंह जैसे घाघ पहलवान से हो जाएगी। या तो बाबा चारों खाने चित्त मिलेंगे या फिर दस जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) में पूंछ हिलाते नजर आएंगे।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

baseless story by a Congress chamcha. Comparing the idots like Digvijay is indeed an insult of GREAT Chankya