बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

संगठन की निष्क्रीयता से बैचेन हैं राजमाता

भ्रष्टाचार के मकड़जाल में उलझी नौकरशाही से त्रस्त हैं सोनिया
 
सत्ता और संगठन में अमूलचूल बदलाव कर सकतीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी पारी में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के उजले दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दागों और निष्क्रीय पड़े कांग्रेस संगठन से सोनिया गांधी बुरी तरह आहत नजर आ रही हैं। सोनिया को उनके सलाहकारों ने मशविरा दिया है कि संसद के बजट सत्र के एन बाद सत्ता और संगठन को नए सिरे से आकार दिया जाए। वहीं दूसरी और प्रधानमंत्री से सोनिया के बीच खाई पटने के स्थान पर बढ़ती ही जा रही है।
 
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि सोनिया गांधी चाहती हैं कि भ्रष्टाचार और मंहगाई के मामले में केंद्र सरकार शीघ्र ही कड़े और प्रभावी कदम उठाए। गौरतलब है कि लंबे अरसे से 10 जनपथ और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच दूरियां बढ़ने की खबरें सियासी गलियारों में फैलने लगी हैं।
 
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की राजमाता को उनके एक सलाहकार ने यह कहकर भी परेशान कर दिया है कि डॉ.मनमोहन सिंह जैसे खालिस ईमानदार छवि के व्यक्ति को देश का वजीरे आजम बनाने के बाद भी विपक्ष भ्रष्टाचार को आखिर मुद्दा बनाने में कैसे कामयाब हो गया है। घपले और घोटालों से आहत सोनिया द्वारा होली के उपरांत सत्ता और संगठन में अनेक एसे बदलाव किए जा सकते हैं, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरें।
 
सूत्रों ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, गुजरात जैसे राज्यों में पार्टी के संगठन की बदहाली ने उन्हें हिलाकर रख दिया है। जिन सूबों में कांग्रेस की सरकार नहीं है वहां कांग्रेस द्वारा कमजोर विपक्ष की भूमिका पर कांग्रेसाध्यक्ष बुरी तरह खफा हैं, साथ ही साथ जिन प्रदेशों के सांसदों को केंद्र में मंत्री बनाया गया है, उन सांसदों द्वारा अपने गृह प्रदेश में ध्यान न देने और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की बात भी सोनिया गांधी की जानकारी में लाई गई है, जिस पर उनकी भवें तन गई हैं।
सोनिया की मंशा पर पानी फेरते मनमोहन

कांग्रेसाध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी चाहती हैं कि खाद्य सुरक्षा विधेयक को तत्काल ही पारित करवा दिया जाए, किन्तु बजट सत्र में इसके प्रस्तुत होने की गुंजाईश कम ही प्रतीत हो रही है। लंबे समय से इस मसले में कवायद करने के बाद अब पीएमओ चाहता है कि इस विधेयक के आने से बाजार पर पड़ने वाले असर के अध्ययन के उपरांत ही इसे संसद में पेश किया जाए। गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक को लेकर कांग्रेस में ही दो तरह की विचारधाराएं पनप गई हैं। एक धड़ा इसे पेश करने तो दूसरा इसके पेश होने से होने वाले अच्छे और बुरे असर के बारे में विचार के उपरांत इसमें सुधार के उपरांत इसे प्रस्तुत करने का हिमायती बना हुआ है।

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