रविवार, 24 अप्रैल 2011

टीम भूरिया पर टिकी हैं सबकी निगाहें

दरकती दिख रही है कांग्रेस की एकता!

सिंधिया, नाथ ने गवारा नहीं समझा पीसीसी जाना

मिशन 2013 है भूरिया की पहली प्राथमिकता

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एक दशक से अधिक समय के उपरांत मध्य प्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रपों को एक मंच पर देखकर कांग्रेस के कार्यकर्ता खासे उत्साहित थे, किन्तु जैसे ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया की रैली का समापन हुआ लोगों की जुबाने खुलना आरंभ हो गईं। इस रैली में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय जाए बिना ही वापस दिल्ली उड़ गए। सारे नेता आए तो एक विमान में सवार होकर थे, किन्तु उनकी वापसी अलग अलग विमानों और रास्तों से होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

कार्यभार ग्रहण कर दिल्ली पहुंचे प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया दिल्ली लौटने के बाद अब आराम के मूड में दिखाई पड़ रहे हैं। भूरिया को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के पट्ठे के तौर पर प्रचारित किए जाने की पीड़ा भी उनके चेहरे पर दिखाई पड़ ही जाती है। भूरिया कहते हैं कि वे दिग्विजय नहीं कांग्रेस के सिपाही हैं।

वैसे टीम भूरिया को लेकर उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है। भूरिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते। भूरिया चाहते हैं कि वे अपनी टीम में कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुभाष और अरूण यादव, सुरेश पचैरी, अजय सिंह, हरवंश सिंह आदि क्षत्रपों के समर्थकों को शामिल करें ताकि एसी कार्यकारिणी बने कि किसी को भी शिकायत का मौका न मिले।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी ढाई बरस का समय है। इस समय में भूरिया अगर कांग्रेस को जिन्दा कर लेते हैं तो उन्हें अगला मुख्यमंत्री बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके लिए भूरिया को सभी गुटों को साधना अत्यावश्यक होगा। यही कारण है कि वे अपनी टीम के गठन में बहुत ज्यादा हड़बड़ी नहीं दिखा रहे हैं।

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