रविवार, 24 अप्रैल 2011


सब कुछ सामान्य नहीं है भाजपा में

बगावती तेवरों से आलाकमान चिंतित

दिल्ली, जम्मू, झारखण्ड की गुटबाजी सड़कों पर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भाजपा के निजाम नितिन गड़करी इन दिनों काफी हैरान परेशान दिखाई पड़ रहे हैं, इसका कारण अनेक राज्यों में सूबाई नेतृत्व के प्रति उपजी गुटबाजी है। राजधानी दिल्ली, जम्मू काश्मीर, झारखण्ड, पंजाब, राजस्थान आदि में विद्रोह का बिगुल फुंक चुका है। इन राज्यों में राज्य इकाई के प्रति रोष और असंतोष पार्टी के अंदर तेजी से पनप चुका है। उधर मध्य प्रदेश में एक वरिष्ठतम मंत्री को जल्द ही पदच्युत किए जाने की खबरों ने एमपी भाजपा में भूचाल ला दिया है।

गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आधा दर्जन राज्यों में भाजपा की राज्य इकाईयों की कार्यप्रणाली के कारण उनका सरदर्द बढ़ता जा रहा है। पार्टी में अंदर ही अंदर पनपने वाले असंतोष को थामने के असफल प्रयासों के परिणामस्वरूप अब विद्रोह सतह पर आ चुका है। गड़करी ने अपने दूतों को असंतोष के शमन के लिए राज्यों में तैनात किया था किन्तु उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं।

मध्य प्रदेश में मंत्रीमण्डल फेरबदल की आहटों के साथ ही एक वरिष्ठतम मंत्री को सत्ता के गलियारे से बाहर का रास्ता दिखाने की खबरों से पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है। वैसे पार्टी अध्यक्ष प्रभात झा द्वारा कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष के.एल.भूरिया को नसीहत भरी पांच पेज की पाती को भी पार्टी मंे अच्छी नजरों से नहीं देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि केंद्र पोषित योजनाओं के फ्लेक्स में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के फोटो हैं और झा द्वारा भूरिया को नसीहत दी गई थी कि वे अपने बेनर पोंस्टर न लगवाएं।

दिल्ली में हालात लगभग बेकाबू ही लग रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मेयर के चुनाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को दी गई खुली छूट से गड़करी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक रही हैं। भाजपा के नेताओं का आरोप है कि पिछले चार चुनावों से पंजाबी उम्मीदवार को ही मेयर बनाया जा रहा है जिससे अन्य समुदाय के लोगों में असंतोष है।

इसी तरह अमरनाथ आंदोलन में भाजपा की भूमिका के उपरांत राज्य की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए लगभग एक दर्जन उम्मीदवारों को जबर्दस्त जीत दिलवाई थी। इसके बाद सात विधायकों के द्वारा क्रास वोटिंग किए जाने जाने से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सकते में था। इसके पीछे पार्टी के राज्य अध्यक्ष शमशेर सिंह का तुगलकी रवैया ही सामने आ रहा है।

पंजाब में भी पार्टी के गठबंधन के मतभेदों को असंतुष्ट हवा दे रहे हैं। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मीकांता चावला के इस्तीफे की खबर से असंतोष दबने की खबरें थीं, किन्तु वह भी संभव नहीं हो सका। झारखण्ड में तो हद ही हो गई। वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपनी ही पार्टी के खिलाफ धरने पर बैठ गए। अतिक्रमण हटाने के मसले पर सिन्हा ने अर्जुन मुण्डा को अल्टीमेटम देकर पीडितों के पक्ष में बैठने को भी पार्टी नेतृत्व पचा नहीं पा रही है।

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पहले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नाकों चने चबवाए अब वसुंधरा ने पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख अरूण चतुर्वेदी द्वारा गठित कार्यकारणी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड और कर्नाटक में आए दिन पार्टी में टकराव की खबरें आम हो रही हैं।

इन परिस्थितियों में विद्रोह के शमन के लिए नितिन गड़करी को एड़ी चोटी एक करना पड़ रहा है। गड़करी के हरकारे चारों तरफ दौड़ दौड़ कर रोष और असंतोष को थामने का असफल प्रयास कर रहे हैं, किन्तु पार्टी में सब कुछ सामान्य होता नजर नहीं आ रहा है।

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