रविवार, 1 मई 2011

0 दिल्ली में आधे से अधिक टावर हैं अवैध

मोबाईल टावर पर निगम नहीं लगा सकता फीस


0 सीलिंग के बाद बढ़ सकती है नेटवर्क प्राब्लम

नई दिल्ली (ब्यूरो)। रिहाईशी इलाकों में मोबाईल टावर की संस्थापना पर स्थानीय निकाय द्वारा फीस नहीं लगाई जा सकती है, उक्ताशय की व्यवस्था दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा दी गई है। न्यायालय ने कहा है कि यद्यपि मोबाईल टावर लगाने की अनुमति स्थानीय निकाय द्वारा ही दी जाती है, किन्तु उन पर फीस लगाने या बढ़ाने का अधिकार नगर पालिका या निगम को नहीं है।

गौरतलब होगा कि दिल्ली नगर निगम की सीमा में संस्थापित मोबाईल टावर की फीस एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रूपए कर दी गई थी। जिसके विरोध में मोबाईल सेवा प्रदाता संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली के 12 जोन में संस्थापित 5459 में से 2777 टावर अवैध रूप से लगाए गए हैं।

सुनवाई के उपरांत कोर्ट ने व्यवस्था दी कि एमसीडी को माबाईल टावर के लिए महज एक बार ही प्रोसेसिंग फीस लेने का अधिकार है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और स्थानीय निकायों को भी आदेश दिया कि वे बिल्डिंग बायलाज में इस तरह के बदलाव करें कि इसमें टावर लगाने की बात को शामिल किया जा सके। कोर्ट ने एमसीडी की इस दलील से इत्तेफाक जताया है जिसमें कहा गया है कि सकरी गलियों वाले मकानों और संरक्षित इमारतों पर टावर नहीं लगाए जा सकते हैं।

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