सोमवार, 13 जून 2011

सिब्बल की लास्ट प्रायारटी बना हृदय प्रदेश

सिब्बल की लास्ट प्रायारटी बना हृदय प्रदेश

चार मंत्रियों के होते भी सबसे ज्यादा पद रिक्त हैं केंद्रीय विद्यालयों में

झारखण्ड के कांग्रेसी सांसद ने उठाया राज्य सभा में सवाल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार में मध्य प्रदेश कोटे से कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और अरूण यादव के मंत्री रहने के बावजूद भी मध्य प्रदेश में संचालित होने वाले केद्रीय विद्यालयों में सर्वाधिक पद रिक्त हैं। मध्य प्रदेश के 29 लोकसभा और 11 राज्य सभा सदस्यों की इस बात की परवाह नहीं है कि वे केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करें। इस मामले में पहल की है तो झारखण्ड के राज्य सभा के कांग्रेस के सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने।

धीरज साहू ने राज्य सभा में प्रश्न पूछा था जिसमें देश में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत संचालित होने वाले केंद्रीय विद्यालयों में प्राचार्य सहित अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों के कितने पद पद रिक्त हैं। इसके जवाब में मंत्री ने कहा था कि 31 मार्च 2010 की स्थिति में देश के केंद्रीय विद्यालयों में कुल 106 प्राचार्य, 79 उप प्राचार्य, 838 स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक (पीजीटी), 1649 स्नातक प्रशिक्षित अध्यापक (टीजीटी) 444 प्राथमिक शिक्षक (पीआरटी) एवं 87 मुख्याध्यापक (एचएम) के पद रिक्त थे।

इन पदों में से मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 15 प्राचार्य, 7 उप प्राचार्य, 126 पीजीटी, 163 टीजीटी, 36 पीआरटी एवं 30 एच एम इस तरह कुल 377 पद रिक्त थे। रिक्तता में दूसरी पायदान पर 277 पदों के साथ महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर 265 के साथ उत्तर प्रदेश था।

मजे की बात तो यह है कि मध्य प्रदेश से 29 लोकसभा और 11 राज्य सभा सदस्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं किन्तु किसी भी सांसद ने अपने अधिकारों का प्रयोग कर प्रदेश के नौनिहालों को स्तरीय शिक्षा मुहैया करवाने की दिशा में कदम नहीं उठाया है। इतना ही नहीं एमपी कोटे के केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांति लाल भूरिया और अरूण यादव ने भी इस मामले में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल या प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से मिलना तो दूर उनसे पत्र व्यवहार करना भी अपनी शान के खिलाफ ही समझा है।

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