बुधवार, 6 जुलाई 2011

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मलयाली लाबी ने दिखाया अपना वर्चस्व!

दस जनपथ की नाराजगी के बाद भी मथाई बने विदेश सचिव

जरूरी अहर्ताएं भी पूरी नहीं कर रहे हैं नए विदेश सचिव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ की नाराजगी के बाद भी रंजन मथाई का विदेश सचिव बनना अपने आप में आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। माना जा रहा है कि सत्ता के शीर्ष केंद्र प्रधानमंत्री आवास और संगठन और शक्ति के शीर्ष केंद्र सोनिया गांधी के आवास के बीच चल रहे शीत युद्ध के परिणामस्वरूप उनकी नाराजगी को अनदेखा कर मथाई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दावा किया है कि रंजन मथाई की पदस्थापना कभी भी भारत के पड़ोसी देश में नहीं हुई है। यह विदेश सचिव पद के लिए आवश्यक शर्तों में से एक मानी जाती है। इस तरह की अनदेखी से साफ हो जाता है कि सेवा निवृत गृह सचिव जी.के.पिल्लई भले ही सीवीसी न बन पाए हों पर सत्ता पर मलयाली लाबी का वर्चस्व आज भी कायम है।

गौरतलब होगा कि विदेश सचिव पद के लिए शरद सब्बरवाल, हरदीप पुरी और विवेक काटजू के नाम चर्चाओं में थे। हरदीप पुरी भाजपा का दामन थामने की चाह रख रहे हैं। वे दिल्ली से भाजपा की उम्मीदवारी के इच्छुक हैं। सूत्रांे के अनुसार अफगानिस्तान में बतौर एम्बेसेडर विवेक काटजू का शानदार परफार्मेंस भी दरकिनार कर मथाई को विदेश विभाग की कमान सौंप दी गई है।

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