बुधवार, 6 जुलाई 2011

कुप्रबंधन का शिकार हुए शिवराज

कुप्रबंधन का शिकार हुए शिवराज

दिल्ली में एक कार्यक्रम में आमंत्रित शिवराज को नहीं मिला मंच पर आसन

मनमसोसकर दर्शक दीर्घा में विराजे मुख्यमंत्री

पीएम ने भी नहीं लिया संबोधन में नाम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में मीडिया जगत के पुरूस्कारों के कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बेहद शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। इस प्रोग्राम में विशेष तौर पर आमंत्रित शिवराज सिंह चौहान को मंच पर आसनी नहीं मिल पाई, मजबूरन उन्हें दर्शक दीर्घा में बैठने पर मजबूर होना पड़ा।

मीडिया और सरकार के बीच सेतु के तौर पर काम करने वाले जनसंपर्क विभाग के आला अधिकारियों की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बड़े मीडिया घराने के पत्रकारिता पुरूस्कारों के कार्यक्रम में आमंत्रित किए गए। जब वे कार्यक्रम स्थल पहुंचे तब उन्हें मंच तक ले जाने के लिए कोई मौजूद नहीं था। मजबूरी में शिवराज को दर्शक दीर्घा में ही आसन ग्रहण करना पड़ा।

इस तरह भूलवश या जानबूझकर हुई उपेक्षा से शिवराज का तमतमाया चेहरा साफ दिखाई दे रहा था। उधर मुख्यमंत्री की छवि निर्माण के लिए पाबंद जनसंपर्क विभाग के आला अधिकारी भी पीछे हाथ पर हाथ बांधे खड़े सारा माजरा देख रहे थे। चर्चा थी कि मंच पर ले जाने का काम आयोजकों का है, हम भला बीच में क्यों पड़ें। हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री को देख प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने एक मनमोहक स्माईल अवश्य दी किन्तु अपने संबोधन में शिवराज सिंह चौहान के नाम का उल्लेख करना मुनासिब नहीं समझा।

उक्त समारोह में प्रधानमंत्री के अलावा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल.जोशी, सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, भूतल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, गिरिजा व्यास आदि को मंच पर बुलवाकर उनसे भी सम्मान दिलवाए गए, किन्तु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूछा तक नहीं गया। बताया जाता है कि इस अपमान से आहत शिवराज सिंह चौहान ने अपने सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिए और सीधे हवाई अड्डे पहंुच वापस भोपाल के लिए उड़ान भर ली।

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