शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

सोनिया के सामने मनमोहन के विकल्प का संकट!


सोनिया के सामने मनमोहन के विकल्प का संकट!

किसे बनाएं प्रधानमंत्री उहापोह में हैं राजमाता

दिग्विजय सिंह बढ़ा रहे अपनी ताकत

राहुल नहीं पीएम बनने तैयार

विपक्ष चाहता है राहुल बनें पीएम और हों एक्सपोज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के बीच खाई इतनी गहरी हो चुकी है कि अब सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह के रिपलेसमेंट के बारे में गंभीरता से विचार आरंभ कर दिया है। सोनिया के विश्वस्तों की फेहरिस्त में एक भी नाम एसा नहीं मिल पा रहा है जिसे वे इस जिम्मेदार पद पर काबिज करवा सकें। उधर राहुल गांधी ने फिलहाल प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया है, इसलिए सोनिया के सामने मानमोहन के विकल्प का जबर्दस्त संकट आ गया है।

गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के पिछले पांच साल के कार्यकाल में सत्ता पर सोनिया मण्डली का वर्चस्व रहा है, जिसके चलते घपले घोटालों के कारण मनमोहन सिंह की ईमानदार छवि पर बट्टा लग गया था। जैसे जैसे समय बीता मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री के तौर पर ख्याति मिलना आरंभ हुई। इससे मनमोहन मण्डली ने उनके अंदर यह बात भर दी कि राहुल और सोनिया की शह के चलते मंत्री बेलगाम होते जा रहे हैं। पीएम के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें इंदिरा गांधी जैसी प्रधानमंत्री के बुलंद इरादों के बारे में बताया गया, तब जाकर मनमोहन सिंह तैयार हुए और उन्होंने संगठन से दूरी बनाकर अपने आप को सशक्त बना लिया।

मनमोहन सिंह द्वारा सोनिया के करीबी प्रणव मुखर्जी को अपने साथ मिला लिया जिससे वे काफी हद तक मजबूत हो गए। उधर सोनिया गांधी के सलाहकारों ने अब मनमोहन को ही बदलने का मशविरा दे दिया है। सोनिया के सामने संकट यह है कि राहुल गांधी अभी प्रधानमंत्री बनना नहीं चाह रहे हैं। उधर विपक्ष ने मांग करना आरंभ कर दिया है कि राहुल को पीएम बनाओ ताकि उनकी योग्यता साबित हो सके। भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने इस आशय का बयान भी दे दिया है। इसके अलावा उनके पास ए.के.अंटोनी और शिवराज पाटिल के नाम ही शेष हैं। एंटोनी पर दांव लगाने से उन पर मसीही समाज को प्रश्रय देने के आरोप लग जाएंगे, और एंटोनी करिश्माई कतई नहीं कहे जा सकते हैं। रही बात शिवराज की तो मुंबई आतंकी हमले ने उनके कस बल ढीले कर दिए थे, आज शिवराज हाशिए में ही हैं।

पलनिअप्पम चिदम्बरम तो सोनिया के विश्वस्त हैं पर वे विवादित हैं। एस.एम.कृष्णा पर सोनिया दांव लगाने की स्थिति में नहीं हैं। मीरा कुमार के बारे में विचार किया जा सकता है किन्तु उन पर सोनिया विश्वास करने की स्थिति मंे नहीं हैं। इन परिस्थितियों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह का नाम ही शेष बच जाता है। वैसे भी कांग्रेस के ताकतवर महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा सधे कदमों से 7, रेसकोर्स की ओर कदम बढ़ाए जा रहे थे।

पिछले एक डेढ़ सालों में कांग्रेस का चेहरा बनकर उभरे राजा दिग्विजय सिंह की मीडिया पर पकड़ जगजाहिर है। पत्रकार वार्ताओं में प्रश्न पूछने पर पत्रकार का नाम लेकर वे जवाब देते हैं, जिससे जाहिर होता है कि मीडिया से उनकी मित्रता कितनी गहरी है। इसके अलावा जहां तक बयानबाजी का सवाल है, राजा ने कांग्र्रेस के प्रवक्ताओं को इसमें पीछे छोड़ दिया है। राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू बनकर उभरे राजा दिग्विजय सिंह का नाम सोनिया और कांग्रेस के लिए मुफीद ही लग रहा है।

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