बुधवार, 21 सितंबर 2011

बढ़ नहीं पा रहा भूरिया का ग्राफ

बढ़ नहीं पा रहा भूरिया का ग्राफ


रतलाम झाबुआ अलीराजपुर तक ही सीमित हैं भूरिया


प्रदेश व्यापी छवि नहीं बन पाई भूरिया की


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। जनता द्वारा वर्ष 2003 में सत्ता से उठाकर बाहर फेंकी गई कांग्रेस उसके बाद से ही एक कदम आगे और चार कदम पीछे चल रही है। कांग्रेस के मध्य प्रदेश के क्षत्रप भी मृत प्राय पड़ी कांग्रेस को जिलाने में अक्षम ही साबित हो रहे हैं। सुरेश पचौरी के उपरांत कांग्रेस के सूबाई निजाम की कुर्सी संभालने वाले कांति लाल भूरिया की छवि भी मालवा के तीन जिलों के नेता की बनकर रह गई है।


देखा जाए तो राजा दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया ने अपने आप को उस वक्त मालवा में झाबुआ, रतलाम तक ही सीमित कर रखा था। इसके बाद जब वे सांसद और केंद्रीय मंत्री बने तब भी वे होम सिकनेस से नहीं उबर सके और उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र संपूर्ण मालवा भी नहीं बना सके। आज मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की सबसे बड़ी परेशानी यह बनकर सामने आ रही है कि उनके पास मध्य प्रदेश में समर्थकों का टोटा ही टोटा दिख रहा है।


मध्य प्रदेश संगठन में कांतिलाल भूरिया की पदस्थापना से ही उन्हें राजा दिग्विजय सिंह का रबर स्टेंपकहा जाने लगा था। चूंकि भूरिया के पास समर्थकों की कमी थी इसलिए मध्य प्रदेश में दो बार में जारी हुई पांच दर्जन जिलाध्यक्षों की सूची में उनके अपने समर्थकों की तादाद आधा दर्जन से भी कम थी। मध्य प्रदेश के क्षत्रप कमल नाथ, सुरेश पचौरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुभाष यादव, अजय सिंह जैसे दिग्गजों को साईज में लाने के लिए राजा दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर पांसा फेंका और अपने समर्थकों को बहुतायत में पदों पर आसीन करवा दिया।



हाल ही में मध्य प्रदेश के विन्ध्य के सफेद शेर के नाम से मशहूर पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी द्वारा अपने जन्मदिन पर हुई रैली के उपरांत के संबोधन में साफ कह दिया कि कांग्रेस पार्टी में पद विमान से आते हैं, इसलिए कोई भी कार्यकर्ता उनसे पद की अपेक्षा न करे। यद्यपि उनका निशाना अजय सिंह राहुल पर रहा फिर भी कांग्रेस के आला नेता सफेद शेर की गर्जना की व्याख्या अपने अपने तरीके से कर रहे हैं।

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