गुरुवार, 29 सितंबर 2011

कलमाड़ी ने खेला था टिकिटों का भी खेल



कलमाड़ी ने खेला था टिकिटों का भी खेल

अपनों को बांट दी 72 करोड़ रू की टिकिटें

वेब साईट पर सोल्ड पर वास्तव में बिकी ही नहीं 75 फीसदी टिकिटें

टिकिट बिक्री के बाद जारी किए बिक्री के विज्ञापन!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता‘ की तर्ज पर कामन वेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाड़ी के चमत्कार एक के बाद एक खुलते जा रहे हैं। हरि अर्थात भगवान के चमत्कार जनकल्याण के लिए थे किन्तु कलमाड़ी के चमत्कार कामन वेल्थ गेम्स के रास्ते खुद की वेल्थ सुधारने के लिए थे। इस आयोजन के लिए जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के 72 करोड़ रूपयों की टिकिटें उपहार में ही बांट दी गई थीं।

उद्घाटन और समापन समारोह के लिए 23 हजार टिकिटें उपहार में दी गई थीं। लोगों ने इन्हें ले तो लिया किन्तु खेल देखने नहीं पहुंचे, परिणाम स्वरूप स्टेडियम में चालीस फीसदी सीट खाली ही रहीं। टिकिटों के लिए दर्शकों ने दस दिन में चालीस लाख से ज्यादा बार इसकी वेब साईट खंगाली किन्तु वहां टिकिटें सोल्ड ही मिलीं। और तो और दिल्ली में टिकिट बेचने के लिए एक भी काउंटर नहीं खोला गया। आईआरसीटीसी को सिर्फ एक आउटलेट के लिए दो करोड़ रूपयों का भुगतान कर दिया गया।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (केग) के प्रतिवेदन ने यह खुलासा किया है। आयोजन समिति द्वारा जून 2010 में टिकिटिंग सलाहकरा के द्वारा अनुबंध समाप्त होने पर विशेषज्ञ की राय के बिना ही खुद के द्वारा निर्णय ले लिए गए। अफरातफरी का माहौल इस कदर था कि सितम्बर 2010 तक टिकिटों की बिक्री आरंभ नहीं हो सकी।

इतना ही नहीं शुरूआत में टिकिटों से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य सौ करोड़ रखा गया था। बाद में इससे कुल राजस्व 39 करोड़ 17 लाख रूपए ही प्राप्त हुए। आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि टिकिट की बिक्री और प्रबंधन में ही 23 करोड़ 37 लाख रूपए खर्च हो गए। टिकिटों से कुल शुद्ध राजस्व करोड़ महज 15 करोड़ अस्सी लाख रूपए ही मिल पाया।

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