शनिवार, 17 सितंबर 2011

महाराजा की राह पर भारतीय रेल

महाराजा की राह पर भारतीय रेल

ममता ने बजाया रेल्वे का बाजा

प्रधानमंत्री बने रहे मूकदर्शक

रेल्वे की किटी हुई एक करोड़ से कम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव द्वारा रेल मंत्री रहते हुए भारतीय रेल के लिए जो ताबूत तैयार किया था उसमें पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने खीलें ठोंक दीं। लगता है वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी द्वारा भारतीय रेल के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने की तैयारी की जा रही है। अरबों करोड़ की मिल्कियत वाली भारतीय रेल के खजाने में रक्षित नकद महज पौन करोड़ से कम ही बचा है।

गौरतलब है कि एक समय में शान से सर उठाने वाले महाराजा अर्थात एयर इंडिया आज पूरी तरह कर्ज में ही सांसे ले रहा है। इसके पीछे निजी एयर लाईंस को लाभ पहुंचाना और अकुशल प्रबंधन ही प्रमुख कारक है। 2007 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में जब भारतीय रेल के पास लगभग ग्यारह हजार करोड़ रूपए रक्षित नकद की मद में था, वह अब महज सत्तर लाख से भी कम बचा है।

पश्चिम बंगाल पर फतह करने की उधेड़ बुन में लगी रहीं ममता बनर्जी ने भारतीय रेल को बेपटरी कर दिया। ममता की अनदेखी से रेल्वे को हर रोज लगभग बीस करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ा रहा था। विश्व में सबसे बड़े नेटवर्क और कर्मचारियों के परिवारों को पालने वाली भारतीय रेल कुछ दिनों में कंगाली का सरताज बनने जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में भारतीय रेल के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने वाले हैं। हालात इस कदर बिगड़ सकते हैं कि रेल्वे अपने सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए भी इसका उसका मुंह ताकने पर मजबूर हो जाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि थकी हुई पटरियों और संसाधनों में पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने मनमाने तरीके से नई रेल गाड़ियों की घोषणा तो कर दी किन्तु उसके लिए आवश्यक संसाधन की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए। सत्ता पाने के लिए नेताओं द्वारा रेल का किराया तो नहीं बढ़ाया पर रेल गाड़ियों की संख्या में ममता ने अपने कार्यकाल में तीन सौ का इजाफा कर दिया। बिना इनपुट के ज्यादा आउटपुट होने से रक्षित धन की टंकी में छेद हो गया और अब ग्यारह हजार करोड़ में से महज एक करोड़ से भी कम राशि बच पाई है इसमें।

उधर रेल के वर्तमान निजाम दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि वे यात्री किराया बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। अगर यात्री किराया नहीं बढ़ाया गया तो निश्चित तौर पर भारतीय रेल के संचालन के लिए रेल्वे को सरकार से राहत पैकेज की दरकार होगी। दिनेश त्रिवेदी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वे इसके लिए प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के दरवाजे खटखटाएंगे।

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