सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

रामदेव के बाद अब सियासी मैदान की ओर अण्णा


रामदेव के बाद अब सियासी मैदान की ओर अण्णा

ईमानदार प्रत्याशी का समर्थन करेंगे अण्णा

अण्णा की ईमानदारी की क्या होगी परिभाषा

कौन मापेगा प्रत्याशी को इस पैमाने पर

अण्णा के आंदोलन में सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं सियासी कारिंदे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव की तरह ही गैर राजनैतिक आंदोलन का आगाज कर सरकार को हिलाने वाले अण्णा के मन में अब सियासी महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मारने लगी हैं। अण्णा हजारे आने वाले चुनावों में सियासी नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अण्णा के मन में सियासत के बीज प्रस्फुटित करने में कुटिल राजनैतिक प्रबंधक पूरी तरह सफल ही नजर आ रहे हैं।

एक निजी समाचार चेनल को दिए साक्षात्कार में अण्णा हजारे ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में वो भी मैदान में होंगे। हालांकि अन्ना स्वयं की कोई पार्टी नहीं बनाएंगे और न ही खुद चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वे दो तीन साल बाद ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे जो ईमानदार होंगे। उन्होंने कहा कि वे ऐसे उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करने भी जाएंगे।

गौरतलब है कि अपने अनशन से सरकार को हिला देने वाले अन्ना हजारे हमेशा राजनीति से दूर रहने की बात करते रहे हैं, लेकिन अब उनका नजरिया बदल रहा है। अण्णा ने आगे कहा कि वह चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े ईमानदार युवाओं का समर्थन करेंगे। अण्णा के इस नजरिए से अब राजनैतिक दलों के नुमाईंदो के चेहरों पर मुस्कुराहट झलकने लगी है। अब लगने लगा है कि अण्णा का हश्र भी बाबा रामदेव जैसे किया जा सकता है।

उल्लेखनीय होगा कि इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव द्वारा भी काले धन के अलावा चुनाव सुधार और साफ छवि के उम्मीदवारों के समर्थन की बात से अपना सफर आरंभ किया गया था, जो बाद में भारत स्वाभिमान के सियासी इरादों में तब्दील हो गया था।

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