गुरुवार, 17 नवंबर 2011

आम आदमी का विश्वास खो चुके हैं मनमोहन और कांग्रेस


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 29

आम आदमी का विश्वास खो चुके हैं मनमोहन और कांग्रेस

सोनिया दिशाहीन तो राहुल हैं अपरिपक्व

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) से इतर वजीरे आजम की कुर्सी पर बैठे कांग्रेस के सिपाही डॉ.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार और कांग्रेस दोनों ही ने आम आदमी का विश्वास पूरी तरह खो दिया है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में मंहगाई, घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार में आशातीत बढोत्तरी से आम आदमी हिला हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की कांग्रेस पर पकड़ बहुत ही कमजोर हो चुकी है।

गौरतलब है कि खुद को पाक साफ बताने के चक्कर में वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इस साल के आरंभ में संपादकों की टोली को चाय पर बुलाकर उन्हें अपने अघोषित प्रवक्ता बना दिया था। इन संपादकों ने वजीरे आजम के बचाव में असफल प्रयास किए। लोगों ने इन संपादकों की टोली की बात को गंभीरता से नहीं लिया। परिणामस्वरूप सरकार, कांग्रेस और मनमोहन का ग्राफ उपर नहीं उठ सका।

युवा तरूणाई के प्रतीक कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर लोगों की निगाहें थीं। राहुल गांधी की एक के बाद एक अपरिपक्व चालों से लोगों विशेषकर युवाओं का भरोसा उन पर से भी उठ गया। लोगों को उम्मीद थी कि मंहगाई, घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार पर राहुल गांधी कम से कम दो शब्द तो बोलेंगे, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। राहुल गांधी का व्यवहार भी लोगों को बुरी तरह दुखी ही कर गया।

(क्रमशः जारी)

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