रविवार, 6 नवंबर 2011

मीडिया पर कब्जा जमाने का ‘मन‘

बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 19

मीडिया पर कब्जा जमाने का मन

दिशाहीन हो चुकी है मनमोहन सरकार

बाजपेयी और इंदिरा के सिद्धांतों के बीच झूल रही मन सरकार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग सरकार पूरी तरह दिशाहीन होकर दौड़ रही है। जानकारों का कहना है कि मनमोहन सरकार न तो अटल बिहारी बाजपेयी के अनुरंजक दृष्टिकोण को ही अपना पा रही है और न ही प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी के सत्तावादी दृष्टिकोण को। यही कारण है कि आज सरकार में बुरी तरह भ्रम की स्थिति बन चुकी है। हर मोर्च पर विफल रही मनमोहन सरकार की भद्द हर जगह पिट रही है।

मनमोहन सरकार द्वारा मीडिया पर कब्जा करने की जुगत लगाई जा रही है। व्यवसायिक घरानों के बाद अब मीडिया घरानों की देहरियों पर कत्थक करते पत्रकारों को लुभाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव कोशिश आरंभ हो गई है। मनमोहन के पास एक प्रस्ताव गया है जिसमें मीडिया की विभिन्न शाखाओं में क्रास होल्डिंग को गैरकानूनी बनाने का प्रस्ताव आया है। इससे इलेक्ट्रानिक न्यूज चेनल वाले अखबार नहीं चला पाएंगे और अखबार वाले चेनल नहीं चला पाएंगे।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री को मशविरा दिया गया है कि टीवी के घरानों के मालिकों को प्रलोभन देकर उन्हें अपने कब्जे में ले लिया जाए और पत्रकारों को थोड़ा लोभ देकर अपने पक्ष में कर लिया जाए। वैसे भी अब पत्रकारिता को पेशा बनाने वालों में कार्पोरेट सोच और संस्कृति बुरी तरह हावी होती दिख रही है।

(क्रमशः जारी)

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