मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

केंद्रीय परियोजनाओं को अब नहीं मिलेगी जमीन


केंद्रीय परियोजनाओं को अब नहीं मिलेगी जमीन

शिवराज की केंद्र से ठनी


(अंशुल गुप्ता)

भोपाल। कहने को तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश को औद्योगिक तौर पर संपन्न बनाने के लिए सूबे में दिल खोलकर जमीनों का आवंटन किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब वे केंद्र सरकार के किसी भी संस्थान को एक इंच भी जमीन देने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। हाल ही में अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान एम्स ने पचास एकड़ अतिरिक्त भूमि की मांग की थी जिसे राज्य सरकार ने ठुकरा दिया है।

शासन ने यह कदम इसलिए उठाया है कि उसने जिन संस्थानों को भी जमीनों का आवंटन किया है, वो उनके यहां फालतू पड़ी जमीन को लौटाना नहीं चाहते। मुख्य सचिव अवनि वैश्य ने एम्स के प्रतिनिधियों को राज्य सरकार के रूख से अवगत भी करा दिया है। मुख्य सचिव ने अपने उच्चाधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं कि वे जमीन आवंटन के मामले में सख्ती बरतें।

एम्स के संबंध में उन्होंने कहा कि पहले ही एम्स को 144 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका है, जबकि जहां भी एम्स बने हुए हैं, वहां किसी को भी 100 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं दी गई है। इसलिए एम्स को और जमीन देने की जरूरत नहीं है। एम्स परिसर के विस्तार में रोड़ा हाईटेंशन लाइन के निराकरण और फोर लेन सड़क के विस्तार में सहयोग का जरूर मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया।

वर्तमान में भोपाल में केंद्र सरकार के अनेक संस्थानों के पास हजारों एकड़ सरकारी जमीन है। राज्य सरकार ने भोपाल में ही सबसे ज्यादा भेल को 2281 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई है। इसके अलावा केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र नवीं बाग पर 50 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। अब भले ही इन संस्थानों में जमीन उपयोग में नहीं आ पा रही हो, पर इसकी वापसी केंद्र सरकार की सहमति से ही राज्य को वापस मिल पाएगी।

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