शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

समृद्ध और संस्कारित समाज का निर्माण सहकारिता से ही संभव है: देवांगन


समृद्ध और संस्कारित समाज का निर्माण सहकारिता से ही संभव है: देवांगन

(मनोज मर्दन त्रिवेदी)

सिवनी (साई)। समृद्ध और संस्कारित समाज का निर्माण सहकारिता से ही संभव है। आज जब दुनिया के पूँजीवाद, साम्यवाद और मार्क्सवाद के  पैर उखडऩे लगे हैं तब सभी की निगाहें सहकारिता की ओर ही लगी हुई है। भारत का हजारों लाखों वर्ष पुराना इतिहास इस बात का साक्षी है कि यहाँ के संस्कारों में सहकारिता अक्षुण्य रूप से विद्यमान रही। संस्कारित सहकारिता का स्वरूप स्वर्णिम भारत के स्वरूप की झलक दिखाता है। इस प्रकार के उद्गार सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन द्वारा केवलारी में सहकार भारती के विकासखंड स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये कही गई। विजय देवांगन ने केवलारी में आयोजित सहकार भारती के सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष एवं सहकार भारती के प्रांतीय महामंत्री अशोक टेकाम द्वारा की गई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सहकार भारती के क्षेत्र संगठन प्रमुख अजीत जैन रहे। केवलारी विकासखंड मुख्यालय के मंगल भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग ५०० सहकार भारती के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम में डॉ. प्रमोद राय,भाजपा नेता देवीसिंह बघेल, मदन चौरसिया, सुभाष यादव, प्रमोद पटेल, लता पटले, भुवन ठाकरे, श्याम मिश्रा, मुकेश बघेल, नरेश सेन, बालसिंह बिसेन, कृष्ण कुमार चौहान, बाबा पांडे, श्रीमति लता पटले, भाजपा मंडल बरघाट के अध्यक्ष श्रीमति किरण वाहने, अजय बाबा पांडे, संजय खंडाईत, डॉ.संजू चौहान, दुर्गा ठाकुर, यदुनाथ गुमास्ता, रंजीत राय, फागूलाल, नवल श्रीवास्तव, जितेन्द्र आदि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में यह गरिमामय कार्यक्रम आयेाजित था।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुये मुख्य वक्ता विजय देवांगन ने कहा कि सहकारिता में ही वह सार्मथ्य है कि समय अपने अनुकूल सामाजिक संस्कारों समाज की आर्थिक स्थिति का निर्माण कर सकता है, अन्य व्यवस्थाएँ इतनी अधिक सक्षम नही है। भारत में तेजी से सहकारिता का विकास हो रहा है। आज पूरे भारत वर्ष में ७० लाख स्वसहायता समूह संचालित हो रहे हैं। इन्हीं स्वसहायता समूह की महिलाएँ समाज का नेतृत्व कर रही हैं। आज पंचायती राज व्यवस्था से लेकर राष्ट्रपति के पद तक महिला नेतृत्व का परिणाम है सहकारिता का विस्तार। सहकारिता नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है। जो महिलाएँ सीमित दायरे में घूँघट डालकर काम करने वाली थी आज वे स्वसहायता समूह के माध्यम से समाज का नेतृत्व करने में सक्षम हुई हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों का बाजार में जो एकाधिकार था उस एकाधिकार को सहकारिता के माध्यम से समाप्त करते हुये अनेक सहकारी समितियाँ अपने उत्पादों को कम मूल्य पर ग्राहकों को प्रदान करने में सक्षम हुई है साथ ही सहकारी समितियों में लाखों रोजगार के अवसर प्रदान किये हैं। विजय देवांगन ने उपस्थित जनसमुदाय को कहा कि सहकार भारती के माध्यम से हमारा प्रयास रहेगा कि हर क्षेत्र में सहकारी समितियाँ निर्माण कर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं एवं बेरोजगारों को रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान किये जायें और इन समितियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को क्षेत्रीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार उपभोग की वस्तुएँ निर्माण करने वाली संस्थाएँ स्थापित हों।
मुख्य वक्ता विजय देवांगन ने बताया कि हरियाणा में सहकारी संस्था जो महिलाएँ संचालित करती हैं उस सहकारी समिति की महिलाओं ने इतनी अधिक आर्थिक सक्षमता प्राप्त की है कि पूर्व अमेरिका के राष्ट्रपति बिलकिंटन ने भी उसकी आर्थिक सक्षमता की प्रशंसा की। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ष को सहकारिता वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। सहकारिता की जानकारी और अध्ययन के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्धान भारत आ रहे हैं और मध्यप्रदेश में सहकारिता के हो रहे विकास की ओर आकर्षित हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को एक प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण देने का जो वायदा किया है वह हमारी सहकारिता की उच्च कोटि का स्वरूप है। सहकारिता ही संपूर्ण समाज का समविकास करने की धारणा वाली सोच है। हमारे संयुक्त परिवार से लेकर देश की संसद तक जो कामकाज की परंपरा है वह भी सहकारिता का ही स्वरूप है, परंतु ग्रामीण सहकारी संस्थाओं की दुर्गति के कारण पूँजीवादी व्यवस्था हावी हो रही है जिसके कारण भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा बढ़ रही है। इन अव्यवस्थाओं को सहकारिता के माध्यम से ही सुधारा जा सकता है।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उदबोधन अशोक टेकाम द्वारा दिया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना सहकार भारती के क्षेत्र संगठन प्रमुख अजीत जैन द्वारा रखी गई। मंच संचालन सचिन अवधिया द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन मुकेश बघेल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सारी व्यवस्थाएँ अजय डागोरिया के निर्देशन में संपन्न हुई।

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