शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

चुनाव बाद नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 89

चुनाव बाद नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज

यूपी चुनाव तय करेगा मन और राहुल का भविष्य

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के अंदर इस बात का मंथन तेज हो गया है कि पांच राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश के चुनावों के परिणामों के साथ ही देश की बागडोर अस्सी साल के बुजुर्ग (डॉ.मनमोहन सिंह) के कांधों से अपेक्षाकृत कुंवारे चालीस साल के युवा (राहुल गांधी) को कैसे हस्तांतरित की जाए। काफी समय से कयास लगाया जा रहा है कि मनमोहन सिंह की छुट्टी किसी भी वक्त हो सकती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस ने अगर उत्तर प्रदेश में हाफ सेंचुरी (पचास से अधिक सीटें) मार लीं तो यह समय मनमोहन सिंह की बिदाई और राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए मुफीद ही रहेगा। मनमोहन सिंह को पीएम की कुर्सी से उतारकर कहां एडजस्ट किया जाएगा इस बारे में भी अब चर्चाएं चल रही हैं।
उधर, सालों साल कांग्रेस के लिए ट्रबल शूटर बने रहे उमर दराज प्रणव मुखर्जी की सालों साल कांग्रेस की सेवा का सम्मान के बतौर उन्हें भी कहीं एडजस्ट करने पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी, मोतीलाल वोरी सरीखे उमर दराज नेता अब अपनी आखिरी पारी ही खेल रहे हैं।
इधर, लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार के मन में भी 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधामनंत्री आवास) या फिर रायसीना हिल्स स्थित महामहिम राष्ट्रपति के आवास को आशियाना बनाने की हसरतें कुलांचे भर रही हैं। मीरा कुमार पहली महिला लोकसभाध्यक्ष तो बन गईं पर पहिला महिला महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ही रहेंगीं। उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे की नजरें भी रायसीना हिल्स पर जाकर टिक गईं हैं।
उक्त पदाधिकारी ने आगे कहा कि सोनिया गांधी को यह भी बताया गया है कि अगर 2014 में कांग्रेस बहुमत मे ंनहीं आई और अगर संप्रग भी खेत रहा तो राहुल गांधी को आने वाले पांच सालों तक सत्ता से दूर रहना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि राहुल गांधी को देश का वज़ीरे आज़म बना दिया जाए और ढाई साल उनके नेतृत्व में देश को संचालित कर चुनाव कराए जाएं।
इससे राहुल को सरकार चलाने का अनुभव मिल जाएगा, साथ ही साथ अगर 2014 में कांग्रेस सत्ता में नहीं आती तो राहुल गांधी को विपक्ष का संसदीय अनुभव भी हो जाएगा, जो उनके लंबे राजनैतिक जीवन में काफी हद तक सहायक सिद्ध होगा। राहुल और सोनिया समर्थक इस राय पर दो भागों में विभक्त हैं। समर्थकों का एक धड़ा तत्काल ताजपोशी का पक्षधर है तो दूसरा जल्दबाजी में कोई कदम न उठाने का हामी है।

(क्रमशः जारी)

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