बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

. . . तो जुड़ जाता सिवनी शहर भी ब्राडगेज से


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  59

. . . तो जुड़ जाता सिवनी शहर भी ब्राडगेज से



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अगर देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जा रहे 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट को सिवनी शहर के इर्द गिर्द कहीं स्थापित किया जा रहा होता तो निश्चित तौर पर सिवनी शहरवासियों को ब्राडगेज की सौगत तत्काल ही मिल जाती।
जिस तरह सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में गौतम थापर के पावर प्लांट के लिए नेरोगेज का अमान परिवर्तन कर उसे ब्राडगेज में तब्दील किया जा रहा है, उसे देखकर लगने लगाता है कि गौतम थापर जिनका इकबाल राजनैतिक तौर पर काफी हद तक बुलंद है, के द्वारा अगर इस पावर प्लांट को सिवनी शहर के आसपास लगाया गया होता तो कोयला परिवहन के लिए यहां का अमान परिवर्तन अवश्य ही कर दिया जाता।
रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सिवनी जिले के दोनों सांसदों द्वारा भी जबलपुर से बालाघाटा रेल खण्ड के अमान परिवर्तन का काम जबलपुर के सिरे से आरंभ करवाने हेतु अपनी सैद्धांतिक सहमति दी है। दोनों ही सांसदों ने इस बारे में अपनी आपत्ति दर्ज नहीं करवाई है कि काम को नैनपुर या बालाघाट के सिरे से आरंभ किया जाए।
गौरतलब है कि लगभग 6800 करोड़ रूपयों की लागत से स्थापित होने वाले इस पावर प्लांट के लिए कोयला प्रमुख अव्यव है और इसके परिवहन के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करना संयंत्र प्रबंधन का ही काम है। ब्राडगेज के जबलपुर तक ही होने के चलते संयंत्र प्रबंधन ने इसे सड़क मार्ग से ढोने पर भी विचार किया था। संभवतः यही कारण था कि तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने रीवा से लेकर लखनादौन तक तक के नेशनल हाईवे को फोरलेन का करने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी।
उधर, अवंथा समूह के सूत्रों का कहना है कि शुरूआती दौर में जब जबलपुर से नैनपुर के रेल खण्ड का अमान परिवर्तन खटाई में पड़ता दिख रहा था तब अवंथा समूह के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस बारे में भी विचार करना आरंभ कर दिया था कि भूमि खरीदकर सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के बिनेकी ग्राम से जबलपुर तक निजी तौर पर ब्राडगेज की पटरियां बिछाई दी जाए। सूत्रों की मानें तो अवंथा समूह को उससे बेहद कम लागत में ही ‘‘थेंक्यू सर्विस‘‘ पर अब बनी बनाई पटरियां कोयला परिवहन के लिए मिलने वाली हैं।

(क्रमशः जारी)

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