बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

गंवार नही गंवार फ़ल्ली


हर्बल खजाना ----------------- 18

गंवार नही गंवार फ़ल्ली



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। घर घर में खायी जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से गंवार फ़ल्ली एक है जिसकी खेती वृहद स्तर पर की जाती है । गंवार फ़ल्ली का वानस्पतिक नाम स्यामोप्सिस टेट्रागोनोलोबा है । डाँग- गुजरात के आदिवासी इसके फ़ल्लियों को सुखाकर चटनी तैयार करते है और मधुमेह के रोगी को ४० दिनो तक दिन में चार बार प्रतिदिन देते है, इनका मानना है कि ये काफ़ी फ़ायदा करता है ।
पातालकोट के आदिवासी का मानना है कि फ़ल्लियों के बीजों को रात भर पानी में डुबोकर रखा जाए और अगले दिन सूजन, जोड दर्द और जलन देने वाले शारीरिक भागों पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है । कच्ची फ़ल्लियों को चबाया जाए तो यह मधुमेह के रोगीयों के लिए हितकर होता है ।
कच्ची फ़ल्लियों को पीसकर इसमें टमाटर और धनिया की हरी पत्तियों को डालकर चटनी तैयार की जाए और प्रतिदिन सेवन किया जाए तो आँखो की रौशनी बेहतर होती है और लगातार सेवन से कई बार चश्मा भी उतर जाता है । कच्ची फ़ल्लियों को अच्छी तरह से उबाल लिया जाए और उस पानी में अपने पैरों को कुछ देर तक डुबोया जाए तो फ़टे पैर और तालु ठीक हो जाते है । इसके बीजों को एक उत्तम पशुआहार माना जाता है ।
आदिवासी अंचलों में इसकी फ़ल्लियों को सुखाकर इसमें सरसों के तेल को मिलाकर चौपायों को देने से उनके दूध उत्पादन में बढोतरी होती है । गंवार फ़ल्ली को जलाकर राख तैयार कर ली जाए व इसमें सरसों का तेल डालकर लेप तैयार किया जाए और चौपायों के घाव पर लगाया जाए तो उन्हे आराम मिल जाता है ।

(साई फीचर्स)
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