रविवार, 22 अप्रैल 2012

तहसीलदार कर रहे थापर की देहरी पर कत्थक!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  83

तहसीलदार कर रहे थापर की देहरी पर कत्थक!

आरटीआई में नहीं मिल रही जमीन नामांतरण की जानकारी

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के मसले पर जिला प्रशासन सिवनी की भूमिका पर सवालिया निशान लगते जा रहे हैं।
22 अगस्त 2009 और 22 नवंबर 2011 को संपन्न हुई लोक सुनवाई में जिला प्रशासन सिवनी की भूमिका संदिग्ध होने के आरोप लग रहे हैं। आरोपति है कि दोनों ही बार ही जिले के लोगों को भ्रमित कर सारी कार्यवाही को अंजाम दे दिया गया। जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई तो जिला प्रशासन ने गेंद प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के पाले में डालते हुए कार्यवाही का क्षेत्राधिकारी मण्डल के जबलपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के सर मढ़ दिया।
क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार सिवनी में लगने वाले इस पावर प्लांट से सिवनी का कुछ भी भला नहीं होने वाला है। इस तरह की बातें लोगों के द्वारा बार बार की जा रही हैं। वहीं चंद नेताओं द्वारा इस पावर प्लांट की प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर तरफदारी की जा रही है। कारण चाहे जो भी हो पर जिस तरह सिवनी जिला मुख्यालय में पावर ग्रिड की स्थापना के बाद सिवनी की झोली में कुछ भी नहीं आया उसी तरह घंसौर में डलने वाले तीन पावर प्लांट के बाद सिवनी की झोली में शायद ही कुछ आ सके।
गौतम थापर के इस पावर प्लांट में जमीन की खरीद फरोख्त में लंबा खेल खेले जाने के आरोप लगने के बाद रवि अग्रवाल नामक उत्साही युवा ने तहसीलदार घंसौर के पास जाकर वर्ष 2010 से मार्च 2012 तक के बीच क्षेत्र में हुए जमीनो के नामांतरण की जानकारी मांगी। इस पर तहसीलदार ने चुप्पी साध ली।
बाद में जब उक्त युवा ने सूचना के अधिकार कानून में उक्त जानकारी चाही गई है। अपने आवेदन में आवेदक ने कहा है कि वह इसमें होने वाले सारे खर्च वहन करने को तैयार है फिर भी तहसीलदार द्वारा उसे वांछित जानकारियां देने में हीला हवाला किया जा रहा है। इसकी शिकायत आवेदक द्वारा जिला कलेक्टर सिवनी से भी की गई है।
आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि सारी स्थितियां सांसद विधायकों के सामने होने के बावजूद भी न तो कांग्रेस और न ही भाजपा के जनसेवकों के कानों में जूं रेंग रही है। कुल मिलाकर केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियों, जल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
जनादेश प्राप्त नुमाईंदे अगर वाकई आदिवासियों और जिले के हित चिंतक होते तो निश्चित तौर पर चार विधायकों ने विधानसभा तो दो सांसदों ने लोकसभा में इस मामले को इस तरह उठाया होता कि उसकी गूंज की अनुगूंज से गौतम थापर और उनके इशारों पर कठपुतली की तरह नाच करने वाले जनसेवक और नौकरशाह थर्रा उठते, वस्तुतः यह गूंज निहित स्वार्थों में दबकर रह गई प्रतीत होती है।

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