बुधवार, 13 जून 2012

इस तरह झुकाया मोदी ने गड़करी को!


इस तरह झुकाया मोदी ने गड़करी को!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। चाल, चरित्र और चेहरे के लिए विख्यात भारतीय जनता पार्टी में मोदी, जोशी प्रकरण की तहें आज भी खोजी जा रही हैं। सियासी जानकार इस पूरे मामले की पृष्टिभूमि और संजय जोशी की अगली रणनीति खोजने में लगे हैं। गड़करी के रणनीतिकारों ने भले ही मीडिया को मैनेज कर ‘‘हार कर भी जीत गए गड़करी‘‘ वाले एंगल से खबरें प्लांट करवा दीं हों, पर वास्तव में नरेंद्र मोदी के सामने बौने ही साबित हुए हैं भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी।
मुंबई कार्यकारिणी के साथ ही संजय जोशी के नाटकीय त्यागपत्र और भाजपा से उनकी बिदाई की परतें अब उघड़ना आरंभ हो गई हैं। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने पूरी दादागिरी के साथ भाजपा को झुकाकर संजय जोशी को बाहर करवाया है।
सूत्रों की मानें तो भाजपाध्यक्ष की पहली बार कमान संभालने के वक्त नरेंद्र मोदी ने नितिन गड़करी की काफी मदद की थी। उस समय मोदी और गड़करी के बीच हुए समझौते के तहत नितिन गड़करी ने मोदी से वायदा किया था कि वे समय आने पर संजय जोशी को साईज में ला देंगे। गड़करी अपने पहले कार्यकाल में मोदी से किया वायदा नहीं निभा सके।
सूत्रों ने आगे बताया कि कार्यकारिणी के एक दिन पूर्व ही नरेंद्र मोदी ने नितिन गड़करी को फोन कर उनको उनके वायदे की याद सख्ती के साथ दिलवाई। वार्तालाप के दरम्यान, गड़करी ने मोदी से घुमा फिराकर वायदा पूरा करने की बात कही गई। जिस पर मोदी हत्थे से ही उखड़ गए।
सूत्रों ने आगे कहा कि इस मसले में नरेंद्र मोदी ने भाजपा के निजाम नितिन गड़करी को दो टूक शब्दों में कह दिया कि वे (गड़करी) अब मोदी या संजय जोशी में से किसी एक को चुन लें। मोदी उस दिन काफी गुस्से में थे और उन्होंने गड़करी से साफ कह दिया कि अगर गड़करी कहें तो मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने को भी तैयार हैं। गड़करी चुपचाप सारी बातें सुनते रहे और उन्होंने कहा कि ठीक है वे फैसला लेकर मोदी को आवगत कर देंगे।
सूत्रों ने बताया कि मोदी के फोन रखते ही गड़करी ने संघ के आला नेताओं को इस बारे में सविस्तार जानकारी दी। चूंकि संजय जोशी संघ के खासुलखास हैं अतः संघ उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं था, वहीं दूसरी ओर मोदी को भाजपा का मौखटा बनाकर वेतरणी पार करने का सपना देख रहा संघ उन्हें भी छोड़ना नहीं चाह रहा था। संघ के साथ रायशुमारी के बाद गड़करी ने अहम, अप्रिय और कड़ा फैसला ले ही लिया। यह नतीजा अगले दिन मीडिया के माध्यम से गड़करी तक पहुंचा कि संजय जोशी ने त्यागपत्र दे दिया है।
मोदी जोशी प्रकरण में मुंह की खाने के बाद भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी खुद को काफी असहज ही महसूस कर रहे हैं। मोदी के हाथों पस्त गड़करी को उनके सलाहकारों ने संभलने का मशविरा भी दे डाला है। बताते हैं कि गड़करी को कहा गया है कि अगर मोदी ने इस बार भी गुजरात में परचम लहरा दिया तो 2014 के आम चुनावों में भाजपा मोदीमय ही होने वाली है।
उस परिदृश्य में भाजपा के चुनावी पोस्टर्स में मोदी का फोटो सबसे बड़ा होगा, और भाजपा के व्यवसायिक पृष्ठभूमि के अध्यक्ष गड़कारी का बेहद छोटा सा। चर्चा तो यह भी है कि आम चुनावों के पोस्टर्स में बीच में मोदी का बड़ा सा फोटो, और दाएं बाएं सुषमा स्वराज, अरूण जेतली, राजनाथ सिंह और गड़करी की तस्वीरें हों। गड़करी इस बात से भयजदा अवश्य हो रहे होंगे कि उनके अध्यक्ष रहते उनका फोटो मोदी के फोटो के मुकाबले कम तवज्जो पाएगा!
अब लोगों की निगाहें संजय जोशी पर लगी हैं जो भाजपा से मुक्त होकर संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए हैं। केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि जोशी का पुनर्वसा संघ नेतृत्व जल्द ही स्वदेशी जागरण मंच अथवा वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से कर सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: