शनिवार, 2 जून 2012

तलवार भांजते भाजपाई क्षत्रप


तलवार भांजते भाजपाई क्षत्रप

भाजपा की गुटबाजी सड़कों पर!

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। भाजपा में अब वर्चस्व की लड़ाई सड़कों पर आ गई है। नितिन गड़करी को दूसरे टर्म के लिए हरी झंडी मिलने, नरेंद्र मोदी का कद अनायास ही बढ़ने और एल.के.आड़वाणी को बलात हाशिए पर लाने के परिणाम स्वरूप भाजपा के अंदर ही अंदर सियासी उबाल आने लगा है। भाजपा में बयान युद्ध चरम पर पहुंच गया है। आड़वाणी के इशारे के बाद अब भाजपा के क्षत्रपों के बीच बयान युद्ध चरम पर पहुंच गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर से पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को आड़े हाथ लिए जाने के दूसरे दिन पार्टी के मुखपत्र में एमपी भाजपा के निजाम प्रभात झा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रहार किया गया है। किसी का नाम लिए बिना इसमें कहा गया कि किसी के ऐसे व्यवहार से पार्टी नहीं चल सकती कि सिर्फ उसकी चलेगी, नहीं तो किसी की नहीं चलेगी।
पार्टी के मुखपत्र कमल संदेश के ताजम अंक के संपादकीय में मोदी का नाम लिए बिना कहा गया कि पार्टी व्ययस्थाओं से चलती है। पार्टी किसी एक के सहयोग से नहीं, बल्कि सभी के सहयोग से चलती है। सिर्फ मेरी ही चलेगी, मेरी नहीं तो किसी की नहीं चलेगी, की तर्ज पर न संगठन चलता है, न समाज और न ही परिवार।
गौरतलब है कि हाल में मुंबई में संपन्न भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी ने इस शर्त पर उसमें शिरकत की कि पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनके कट्टर प्रतिद्वन्द्वी सुनील जोशी को हटाया जाए। गडकरी को उनकी इस मांग के सामने झुकना पड़ा। इससे पूर्व दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जोशी को हटाए जाने की मांग नहीं मानी जाने के कारण मोदी उसमें नहीं आए थे।
कमल संदेश में कहा गया कि जरूरत से ज्यादा जब हम किसी की प्रशंसा करते हैं तो व्यक्ति के बिगड़ने की संभावना का द्वार हम स्वतरू खोल देते हैं। इसमें कहा गया कि ऊंचाई पर हम जाते हैं तो हमारी समक्ष की ऊंचाई भी बढ़नी चाहिए। पर अक्सर देखा गया है कि अधिक ऊंचाई पर जाने पर आदमी यह जानते हुए भी कि उसे एक न एक दिन नीचे आना होगा, बावजूद इसके वह नीचे वालों पर आंखे तरेरता है। संपादकीय में कहा गया कि भाजपा शासित कर्नाटक और गुजरात में पिछले दिन जो कुछ हुआ, उससे आम आदमी को काफी तकलीफ हुई। तकलीफ उनको भी हुई है जो भाजपा के कार्यकर्ता और समर्थक हैं।
भाजपा नेताओं को जल्दबाजी नहीं करने और अपने वजूद की लड़ाई नहीं लड़ने की नसीहत देते हुए इसमें कहा गया कि कभी कभी अधिक भीड़ होने के कुछ आवश्यक यात्री को भी स्टेशन पर ही रुक जाना पड़ता है। वह यात्री दूसरी रेल का इंतजार करता है। वह जल्दबाजी में न किसी यात्री को घसीटता है, न रेल पर पथराव करता है और न पटरी उखाड़ता है।
आडवाणी की तारीफ करते हुए इसमें कहा गया कि अटलजी, आडवाणीजी और डॉ मुरली मनोहर जोशीजी भारतीय राजनीति के क्षितिज पर इसलिए सालों से चमक रहे हैं कि इन्होंने सदैव संगठन को सर्वाेपरि माना है। अपने को भाजपा के भीतर रखा, बावजूद इसके कि उनका कद बहुत बड़ा है पर उन्होंने अपने कद को पार्टी के कद से ऊंचा नहीं किया।
उधर आडवाणी ने कल अपने ब्लाग में गडकरी का नाम लिए बिना उनके कुछ फैसलों पर खुली नाराजगी जताते हुए कहा था कि भाजपा को अंतरावलोकन करने की जरुरत है, क्योंकि जनता अगर संप्रग से क्रुध है तो वह भाजपा से भी निराश है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और झारखंड के संबंध में पार्टी के कुछ निर्णयों से संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध भाजपा के अभियान को धक्का लगा है।
विवाद को हवा मिलते ही अब एमपी भाजपाध्यक्ष प्रभात झा रक्षात्मक मुद्रा में आ चुके हैं। इंदौर में वरिष्ठ भाजपा नेता प्रभात झा ने पार्टी के मुखपत्र कमल संदेशके ताजा अंक में छपे अपने विशेष संपादकीय को लेकर आज सफाई देते हुए कहा कि उनके आलेख का मकसद सियासत के मौजूदा दौर में भाजपा संगठन को मजबूत बनाये रखने का संदेश देना है।
झा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे संपादकीय के अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं, लेकिन इसे लेकर मेरा अर्थ यही है कि अनास्था के इस दौर में देश फिलहाल भाजपा की ओर उम्मीद की निगाहों से देख रहा है। लिहाजा सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे खुद को मजबूत बनाये रखें।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने अपने आलेख की शुरुआत कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में पिछले दिनों सामने आये घटनाक्रम का हवाला देते हुए की है, जहां पार्टी भीतरी खींचतान से जूझती दिखायी दी थी। बहरहाल, ‘कमल संदेशके संपादक ने जोर देकर कहा कि उन्होंने पार्टी के मुखपत्र में बडी जिम्मेदारी सेसंपादकीय लिखा है और इस आलेख का मुंबई में 2425 मई को संपन्न भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से कोई ताल्लुक नहीं है। झा ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भाजपा का सर्वश्रेष्ठनेता बताया, जिन्होंने हाल ही में अपने ब्लॉग में पार्टी को आत्मचिंतन की सलाह दी है।
उन्होंने कहा, ‘आडवाणी हमारी पार्टी के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं। उनकी अभिव्यक्ति और वाणी हमें रास्ता दिखाती है। उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने के लिये अपने ब्लॉग में जो अपेक्षाएं जतायी हैं, हम सब मिलकर उन्हें साकार करने की कोशिश करेंगे।झा ने इस बात को खारिज किया कि आडवाणी ने अपने ब्लॉग के जरिये भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर अप्रत्यक्ष हमला किया है। उन्होंने कहा, ‘आडवाणी सबको स्नेह देते हैं। वह किसी पर हमला नहीं करते।
उधर, भाजपा में उभर रहे गतिरोध और मतभेदों के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां पार्टी के सबसे वरिष्ठ दो नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी तथा लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। पिछले कुछ साल से अस्वस्थ चल रहे वाजपेयी का जिक्र आज भी कई नेता पार्टी के भीतर अपनी स्वीकार्यता बढाने के लिए करते हैं। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर तेजी से उभर रहे मोदी की वाजपेयी से मुलाकात को भी इसी तरह की एक कोशिश माना जा रहा है। वाजपेयी की पुरानी तस्वीरों, भाषणों और कविताओं को वरिष्ठ भाजपा नेता अकसर इस्तेमाल करते हैं क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री की लोकप्रियता भाजपा के भीतर और बाहर अभी भी बेजोड है।
सूत्रों के अनुसार मोदी ने वाजपेयी की सेहत का हालचाल जानने के लिए उनसे मुलाकात की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। अहमदाबाद लौटने से पहले मोदी ने आडवाणी से भी मुलाकात की। उनकी मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब आडवाणी ने अपने एक ब्लॉग में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर उनके कुछ फैसलों को लेकर अप्रत्यक्ष निशाना साधा है। गडकरी के साथ मोदी के संबंध भी बहुत मधुर नहीं रहे हैं। आडवाणी गुजरात के गांधीनगर से लोकसभा सदस्य हैं। मोदी तथा आडवाणी के बीच भी कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं लेकिन आडवाणी अलग अलग मौकों पर तथा अपने ब्लॉग एवं भाषणों में गुजरात के मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ भी करते रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: