शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

क्यों बौखलाए शिवराज ? जनसंपर्क विभाग की समीक्षा बैठक का सच?

लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 12

क्यों बौखलाए शिवराज ? जनसंपर्क विभाग की समीक्षा बैठक का सच?

(राजेश भाटिया)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश सरकार की दिनोदिन गिरती छवि शिवराज सरकार के लिए मुसीबत बन चुकी है। शिवराज की बोखलाहट उनके चेहरे पर साफ़ देखी जा सकती है। पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री की छवि बनाने वाले जनसंपर्क विभाग के अधिकारीयों पर शिवराज के तीखे तेवर देखने को मिले। मुख्यमंत्री के गुस्से का मूल कारण था-मीडिया में समाचारों का सरकार के अनुकूल न छपना।
मुख्यमंत्री के तेवर देख जनसंपर्क विभाग के नए नवेले कमिशनर राकेश श्रीवास्तव ने अपने तथा अपने कथित सलाहकारों के विवेक के दम पर मुख्यमंत्री का गुस्सा शांत करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री के प्रश्नों की झड़ी से उपस्थित जनसंपर्क विभाग का सारा अमला हतप्रभ रह गया-कुछ प्रश्नों की बानगी देखिये -
जनसंपर्क विभाग कर्ता क्या है?...मेरा जनसंपर्क अधिकारी कौन है ? ...दिल्ली में मेरी व सरकार की छवि कौन देखता है ?... ये माध्यम क्या है? लग रहा था कि मुख्यमंत्री २०-२० क्रिकेट की भांति आज सारे विभाग की बिन्दुवार गिल्लियां उड़ा देंगें।
जनसंपर्क बड़ा या माध्यम ?- मूलतः जनसंपर्क विभाग की सब्सिडरी के रूप में कार्य करने वाली संस्था मध्य प्रदेश माध्यम की कार्य प्रणाली को मुख्यमंत्री ने आड़े हाथों लिया। १९८३ में फर्म्स एवं सोसाइटी एक्ट में रजिस्टर्ड संस्था के वर्तमान अतिरिक्त प्रबंध संचालक प्रकाश गौड़ हैं एम् पी एग्रो से शुरू हुआ उनका सफर तत्कालीन जनसंपर्क मंत्री चरण दास महंत की चरण वंदना से होता हुआ यहाँ तक पंहुचा है। माध्यम मूलतरू सरकार के बेहतर कार्यकलापों की डिजाईन, ले आउट, किताब, जिंगल्स, फिल्मों के बेहतर निर्माण का कार्य करता है। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से इस संस्था में कॉर्पाेरेट कल्चर का माहौल है, जिस पर सरकार के करोड़ों रुपैये खर्च किये गए हैं। सूत्रों से पता चला है कि माध्यम के इस कार्यालय में हाल ही में एक जिम का निर्माण कार्य भी कराया गया है। जो समझ से परे है? सरकारी विभागों से १०ः कमीशन एवं समाचार पत्रों से १५: कमीशन के रूप में यह संस्था लेती है विभागों से मुख्य सचिव के नाम के आदेश का पत्र दिखाकर विज्ञापन प्रिंटिंग का सारा कार्य दबाव में माध्यम द्वारा किया जाता है। गौरतलब है कि यह सारा कार्य माध्यम द्वारा भी आउट सौर्स ही किया जाता है, चूँकि संस्था मे सम्बंधित एक्सपर्ट मौजूद नहीं है। इस संस्था के अपर प्रबंध संचालक प्रकाश गौड़ मुख्यमंत्री के किसी भी प्रश्न का संतोषजनक उत्तर न दे सके। मुख्यमंत्री की तल्ख़ टिपण्णी ष्दलाली की दुकानष् सबकुछ बयां करती है। बैठक में लगे हाथ उन्होंने मध्यप्रदेश माध्यम को बंद करने की नसीहत भी दे डाली।
जनसंपर्क के अधिकारियों को उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के सामने आड़े हाथों लेना अधिकारियो को मुख्यमंत्री के कड़वे प्रवचन ही लगे। जनसंपर्क के मलाईदार विज्ञापन विभाग का जिम्मा संभालने वाले अतिरिक्त अपर संचालक लाजपत आहूजा खींसे निपोरते नजर आये। इस विज्ञापन शाखा को वे सन १९९३ से देख रहे है।
(इनसाईट टीवी न्यूज से साभार)

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