मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

नहीं बढ़ेगी समर्पण की समय सीमा


नहीं बढ़ेगी समर्पण की समय सीमा

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। उच्चतम न्यायालय ने आज १९९३ के मुम्बई विस्फोट मामले में ७१ वर्षीय जैबुन्निसा काजी और दो अन्य दोषियों की कैद के लिए समर्पण करने की समय सीमा बढ़ाने की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि समर्पण की अवधि इस आधार पर नहीं बढ़ाई जा सकती कि माफी की याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है। जैबुन्निसा ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका में अनुरोध किया है कि न्यायालय अपने फैसले पर फिर से विचार करे और वह जितना समय जेल में काट चुकी है, उसकी सजा उतनी ही कर दी जाए।
जैबुन्निसा को फिल्म अभिनेता संजय दत्त की तरह पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। संजय दत्त को माफिया सरगना अबू सलेम से मिले हथियार रखने और बाद में उन्हें नष्ट करने का दोषी पाया गया है। इनमें से कुछ हथियार कुछ दिन के लिए जैबुन्निसा के बांद्रा स्थित आवास पर रखे गये थे। जैबुन्निसा और संजय दत्त दोनों पर ही आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा और सहायता देने के लिए टाडा कानून तथा हथियार कानून के तहत आरोप लगाये गये थे।
संजय दत्त को हथियार कानून के तहत दोषी पाया गया है, जबकि जैबुन्निसा को टाडा कानून के तहत भी दोषी पाया गया। संजय दत्त ने अपनी साढ़े तीन साल की कैद की सजा पूरी करने के लिए समर्पण करने की समय सीमा बढ़ाने के लिए कल उच्चतम न्यायालय में अर्जी दी थी।
वहीं दूसरी ओर सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया कि इटली के सुरक्षाकर्मियों के मामले की जांच साठ दिन के अन्दर पूरी कर ली जाएगी। दूसरी तरफ इटली सरकार के वकील ने इन दो सुरक्षाकर्मियों के मामले की जॉंच करने के राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र पर प्रश्न उठाया है।
इन दोनों सुरक्षाकर्मियों पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या करने का आरोप है। सरकारी वकील ने इटली सरकार के वकील की दलील को खारिज कर दिया। इटली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर की अध्यक्षता में एक पीठ के सामने कहा कि राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी को इन सुरक्षाकर्मियों पर लगाये गये आरोपों की जांच करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे राष्ट्रीय जॉंच एजेसी कानून के दायरे में नहीं आते।
महाधिवक्ता जी ई वाहनवटी ने इटली सरकार की इस दलील पर आपत्ति की और कहा कि राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी मामले की जांॅच कर सकती है। उन्होंने न्यायालय को आश्वासन दिया कि जॉंच का काम साठ दिन में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीबीआई के पास पहले से ही बहुत ज्यादा काम है, इसलिए सरकार ने इस मामले की जॉंच का काम राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी को सौंपा है। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए २२ अप्रैल की तारीख तय की है।

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