सोमवार, 13 मई 2013

भव्यता के साथ विराजे लक्ष्मी नारायण


भव्यता के साथ विराजे लक्ष्मी नारायण

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। आज अपरान्ह साढ़े बारह बजे पूरे विधिविधान के साथ जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की उपस्थिति में भगवान लक्ष्मीनारायण बस स्टेंड के मंदिर में विराज गए हैं।
भगवान लक्ष्मीनारायण की स्थापना जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आज पूरे विधि विधान से की गई। भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा इस कदर मनोहारी है कि हर कोई उसे अपलक देखता ही रह जाता है।
प्रतिष्ठा के उपरांत उपस्थित श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए जगतगुरू ने कहा कि लक्ष्मी और नारायण दोनों ही की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। श्रृद्धालु इनके नित्य दर्शन कर पूजन पाठ कर मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
द्विपीठाधीश्वर ने कहा कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा इतनी मनोहारी है कि इससे नजर ही नहीं हटती और एसी प्रतिमा कहीं और देखने को शायद ही मिले।
जगतगुरू ने प्रसाद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे वेद पुराणों में प्रसाद को भगवान को अर्पित करने और भगवान को अर्पित किए गए प्रसाद को ग्रहण करने का विशेष तातपर्य भी बताया। उन्होंने कहा कि शुद्धता और दिव्य भाव से लगाया भोग और उसे ग्रहण करने से शांति प्राप्त होती है।

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