सोमवार, 3 जून 2013

जिन्दा बम पर बैठा सिवनी शहर!

जिन्दा बम पर बैठा सिवनी शहर!

(लिमटी खरे)

सिवनी शहर में कभी भी किसी भी दुर्घटना के घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका कारण शहर में जहां तहां एक्सप्लोसिव एक्ट का उल्लंघन ही प्रमुख वजह माना जाएगा। शहर के अंदर फटाखों के अलावा बारूद का ढेर लगा हुआ है। हाल ही में महावीर मढिया के सामने अनुग्रह गैस एजेंसी के बाजू में एक गोदाम में बड़ी तादाद में माचिस के खोके उतारे गए। राहगीरों की आपत्ति के बाद पुलिस ने लारी के कागज बुलवा लिए किन्तु इसके बाद क्या कार्यवाही हुई इस बारे में सिवनी पुलिस मौन ही है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में जब सिवनी में मीनाक्षी शर्मा जिला पुलिस अधीक्षक थीं, उस वक्त एन बुधवारी बाजार से लगे दारोगा मोहल्ले में बारूद फटने से एक व्यक्ति के चिथड़े उड़ गए थे। वह घर पर बारूद क्यों रखा हुआ था? घर पर वह बारूद के साथ खेल रहा था या फिर बम बना रहा था, डेटोनेटर बना रहा था, इस बारे में सिवनी पुलिस ने मौन ही साधे रखा था।
पिछले दिनों सिवनी में हड्डी गोदाम से बड़ी तादाद में बम गोले असलाह बरामद हुआ था। इसके तार दारोगा मोहल्ला के हादसे से जुड़ सकते हैं। हो सकता है दारोगा मोहल्ला में भी बन बनाने का काम चल रहा हो। सिवनी में बड़ी संख्या में बम मिलना वाकई चिंताजनक ही माना जाएगा।
सिवनी शहर में घनी आबादी में अगर इस तरह के हादसे हो रहे हों तो यह निश्चित तौर पर पुलिस की असफलता ही मानी जाएगी। बार बार चेताने के बाद भी किराएदारी या मुसाफिरी दर्ज कराना आवश्यक ना बनाया जाना और इसको कड़ाई से लागू ना किया जाना वाकई आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा।
हाल ही में पुलिस महानिरीक्षक ने जिले में किराएदारी की सूचना देना और मुसाफिरी दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया है। दो वर्ष पूर्व भाजपा के युवा नेता नरेंद्र ठाकुर ने मुसाफिरी और किराएदारी अनिवार्य कराने की मांग की थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है।
पुलिस महानिरीक्षक संजय झा के आदेश के उपरांत भी सिवनी में किराएदारी के सत्यापन का काम अभी तक आरंभ नहीं हो सका है, जो वाकई अपने आप में आश्चर्यजनक के साथ ही साथ अनेक संदेहों को जन्म देने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। दक्षिण भारत का एक कातिल हत्यारा सिवनी की अभिषेक कालोनी में ना केवल रहकर चला गया वरन् नगर पालिका परिषद ने सारी सीमाएं पार कर उसका राशन कार्ड तक बना दिया था।
सिवनी शहर में माचिस का बल्क में स्टोरेज भी किसी दिन किसी अनहोनी को जन्म दे सकता है। इसका सबसे खतरनाक पहलु यह है कि यह आबादी वाला क्षेत्र है। साथ ही साथ महज दस कदम पर ही अनुग्रह गैस एजेंसी है। सिवनी में फटाखा व्यवसाई भी अपना माल कहां रखते हैं यह बात भी शोध का ही विषय है।
क्या कभी जिला प्रशासन ने कभी फटाखा व्यवसाईयों से यह पूछने की जहमत उठाई है कि वे अपना स्टोरेज कहां रखते हैं। दीपावली के पहले फटाखा व्यवसाईयों को ज्वलनशील फटाखे बेचने के लिए लाईसेंस दिया जाता है। दीप पर्व और ग्यारस के उपरांत जिन फटाखा व्यवसाईयों को लाईसेंस दिया जाता है उनसे यह पूछने की जहमत भी प्रशासन नहीं उठाता कि उनके पास कितना माल बचा है और वह उन्होंने कहां खुर्द बुर्द किया है।
सिवनी शहर के हड्डी गोदाम और बारापत्थर की एकता कालोनी में बम मिले और आरोपी भी। इसका मतलब साफ है कि अब शहर का कोई भी क्षेत्र सुरक्षित नहीं बचा है। हर ओर डर ही डर है कि पुलिस की मुखबिर सूचना तंत्र के पंगु होने के चलते और नेताओं तथा मीडिया पर्सन्स की अनावश्यक तांक झांक और दबाव के कारण ही शहर के हालात बद से बदतर हो चुके हैं।

जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से एक ही अपेक्षा है कि वह अपना गोपनीय सूचना तंत्र मजबूत करे, एवं साथ ही साथ किराएदारी तथा मुसाफिरी दर्ज करवाने के काम को प्राथमिकता के आधार पर संपन्न करवाया जाए, ताकि शहर में अमन चैन वापस लौट सके और नागरिक एक बार फिर चैन की सांस ले सकें।

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