सोमवार, 10 मार्च 2014

कब तक होगा मौसम सामान्य?


(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। इन दिनों सिवनी में मौसम की अनिश्चितता थमने का नाम ही नहीं ले रही है। सिवनी ही क्या, कमोबेश पूरे देश में यही हाल बना हुआ है। वर्ष 2013 में मौसम विज्ञानियों ने मौसम को लेकर भविष्यवाणी कर दी थी कि अलनीनो का प्रभाव फरवरी 2014 तक बना रहेगा, जिसके कारण मौसम पर भारी असर पड़ेगा और वह असामान्य ही रहेगा।
फरवरी 2014 क्या अब तो मार्च 2014 भी जारी हो गया है लेकिन मौसम का असामान्य रवैया बरकरार है। संभवतः मौसम विज्ञानी भी इसके पीछे पर्यावरण को ही दोष देंगे, लेकिन वास्तविक कारण क्या है, यह अभी तक सामने नहीं आ सका है। मौसम विज्ञानी अल्पकालिक भविष्यवाणी तो कर रहे हैं, लेकिन दीर्घकालिक भविष्यवाणी में वे अभी कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
उष्णता और शीतलता का मिश्रण मानी जाने वाली बसंत ऋतु वर्तमान में जारी है। इन दिनों जहां लोगों को शीतल हवाओं के साथ धूप सुहानी लगती है, वहीं रात्रि के समय शीतलता से वह आनंदित महसूस करता है। इसके विपरीत देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों से बसंत के इस मौसम में हो रही वर्षा बसंत की मादकता से लोगों को वंचित रखे हुए है। प्रकृति का यह स्वरूप निश्चित ही अनापेक्षित ही कहा जाएगा। इससे लोगों को सावधान ही रहने की जरूरत है।
प्रकृति के मिजाज में आ रहा यह बदलाव, मौसम विज्ञानियों के लिए शोध का विषय तो है ही, आम लोगों के लिए भी यह चिंतन का विषय बन गया है। पिछले पचासों वर्षों में लोगों ने फरवरी और मार्च के माह में इस तरह की ओलावृष्टि और वर्षा शायद ही इसके पूर्व कभी देखी होगी। यहां यह भी उल्लेखनीय होगा कि इसके पूर्व वर्षा काल में भी वर्षा का जो तांडव इस देश में दिेखने को मिला है, वैसा इसके पूर्व शायद ही कभी देखने सुनने को मिला होगा। आज सुबह धूप जिस तरह से तेजी के साथ तपी, उससे अधिकांश लोगों ने बैचेनी का अनुभव किया।
यह विचारणीय पहलू है कि आखिरकार प्रकृति का यह रौद्र रूप क्यों सामने आ रहा है? इस पर यदि चिंतन किया जाए तो शायद इसके लिए स्वयं मनुष्य ही जिम्मेवार माना जाएगा। मनुष्य ने जिस तरह से वनों की कटाई, पहाड़ों की छटाई, तालाबों का विलोपन, बगीचों का विनाश और नदियों को प्रदूषित किया है, उसी के परिणाम अब सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही साथ हरियाली का अभाव भी बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को जिस गति से हानि पहुंचाई जा रही है, उससे भी तेज गति से मौसम की अनिश्चितता सामने आती जा रही है, लेकिन इसके बाद भी मनुष्य चेत नहीं रहा है।
वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु ने अपने आरंभ होने की दस्तक दे ही दी है। यदि मौसम का यही रूख जारी रहा तो ग्रीष्म काल का आने वाला समय कितना रौद्र रूप ले सकता है इसकी कल्पना से ही सिहरन होने लगती है। प्रकृति के इस बदले स्वरूप का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ते दिख रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। प्रायः अधिकांश घरों में परिवार का कोई न कोई सदस्य मौसम की इस प्रतिकूलता के कारण अस्वस्थ्य हो रहा है। बहरहाल, मौसम का यह असामान्य रूख कब तक सामान्य हो सकेगा, इसके बारे में मौसम वैज्ञानिक ही बेहतर बता सकते हैं।

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