अगर एजेंट ने बातों में उलझाकर पॉलिसी बेची है, तो घबराएं नहीं!
(राजेश शर्मा)
भोपाल (साई)। बीमा पॉलिसी के दस्तावेज में ग्राहक के हस्ताक्षरों का यह मतलब नहीं है कि वह सभी नियम और शर्तों से पूरी तरह अवगत है।
इस आधार पर उसे कोई भी अव्यवहारिक बीमा उत्पाद नहीं बेचा जा सकता। बीमा पॉलिसी लेने वाले की आय और उसकी प्रीमियम चुकाने की क्षमता का भी ध्यान रखना चाहिए। बीमा लोकपाल आरके श्रीवास्तव ने इस आधार पर निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी बजाज एलियांज को निर्देश दिए हैं कि वह सात साल पहले 15 लोगों को बेची गई पॉलिसी रद्द करके उनसे लिया गया फर्स्ट प्रीमियम लौटा दे।
भ्रम में रखकर बेची 50 हजार प्रीमियम वाली लाइफ कवर पॉलिसी..
बीमा कंपनी के एजेंट ने इन 15 लोगों को फिक्स डिपॉजिट प्रॉडक्ट की जगह सालाना 35-50 हजार रुपए प्रीमियम वाला लाइफ कवर प्रॉडक्ट बेच दिया, जबकि इनकी कोई नियमित आय ही नहीं थी। नियमानुसार व्यक्ति कि आय की तुलना में उसकी सभी मदों में दी जाने वाली किश्त 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसमें घर, कार और कृषि ऋण में दी जाने वाली किश्त को भी प्रीमियम में जोड़ा जाता है। इतना ही नहीं इन्हें पॉलिसियां व्यक्ति विशेष के नाम से रजिस्टर्ड डाक के बजाय कूरियर से भेजी गई थी। नतीजतन इन्हें पॉलिसी 15 दिन का फ्री लुक पीरियड बीत जाने के बाद मिली।
उल्लेखनीय है कि बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की गाइडलाइन के तहत पॉलिसी जारी होने के 15 दिन के भीतर अगर ग्राहक को लगता है कि उन्हें गलत पॉलिसी दी है, तो वह उसे बदला सकते हैं। बीमा लोकपाल ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर कंपनी से तत्काल फर्स्ट प्रीमियम राशि लौटाने को कहा था। अब कंपनी भी लिए गए प्रीमियम को लौटाने को तैयार हो गई है। बीमा एजेंट की बातों में आकर कई लोगों ने एक ही नाम पर 4-5 पॉलिसी ले ली थी। जिनका सालाना प्रीमियम 2 से तीन लाख रुपए तक था।
बीमा लोकपाल को शिकायत करें,अगर...
बीमा कंपनी पूर्ण या आंशिक क्लेम देने से मना कर दे।
पॉलिसी के नियम और शर्तों के आधार पर बीमा प्रीमियम को लेकर विवाद हो।
पॉलिसी में क्लेम के नियम और कानून को लेकर विवाद हो।
क्लेम के भुगतान में विलंब हो।
प्रीमियम मिलने के बाद भी पॉलिसी।
कहां करें शिकायत
राजकुमार श्रीवास्तव
बीमा लोकपाल (मप्र और छग)
जनक विहार कांप्लेक्स
द्वितीय तल, 6 मालवीय नगर
भोपाल- 462011
फोन: 0755-2769200/201/202
हमने घर बेचकर खरीदी थी पॉलिसी
हमारी नाममात्र की खेती है। 2007 में एक बीमा एजेंट हमारे गांव आया। उसने हमसे कहा कि आप 50 हजार रुपए की एफडी करा लो। यह पैसा बैंक में रहेगा। तीन साल में दोगुना हो जाएगा। पैसे देने के एक साल बाद हमें पता चला कि यह एक बीमा पॉलिसी थी। इसमें हर साल पैसा जमा कराना था। अब हमें जल्द ही पैसे मिलने की उम्मीद है।
मुन्नी बाई यादव, लखनादौन, जिला सिवनी
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