शनिवार, 30 मई 2009

30 may 2009

मांसाहारी मध्यान भोजन!
(लिमटी खरे)
चीन सहित कुछ देशों में मेंढक, सांप जैसे जानवर खाने का प्रचलन अवश्य है, किन्तु हिन्दुस्तान में यह परिपाटी अभी तक आरंभ नहीं हुई है। लगता है पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगने की जल्दी में मध्य प्रदेश के सरकार कर्मचारी अब देश के नौनिहालों को सादे मध्यान भोजन के स्थान पर अब मांसाहारी भोजन परोसने की योजना बना रहे हैं।वैसे उपरोक्त कथन सत्य नहीं है कि सरकारी कर्मचारियों की मंशा कुछ इस तरह की होगी, किन्तु हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरोजनी नायडू कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में मध्यान भोजन परोसते समय एक मरा हुआ मेंढक भोजन मेंं पाया जाना कमोबेश यही साबित कर रहा है।आश्चर्य की बात तो यह है कि अभी बारिश का मौसम आरंभ नहीं हुआ है। बारिश में टर्राने वाले मेंढक अभी सुस्पुतावस्था में ही होंगे, फिर भोजन में मेंढक का निकलना सामान्य बात नहीं मानी जा सकती है। इसके पहले भी मध्य प्रदेश में मध्यान भोजन में गडबडियों की शिकायतें मिलीं थीं।पूर्व में फरवरी 2008 में सब्जी में मरा हुआ चूहा तो एक मर्तबा रोटी में लोहे का छल्ला मिला था। सरकार की अनदेखी और सत्ताधारी लोगों की अर्थलिप्सा के चलते बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड होना आम बात हो गई है। हेदराबाद की नंदी फाउंडेशन द्वारा राजधानी के पांच सौ से भी अधिक स्थानों पर मध्यान भोजन वितरित किया जा रहा है। केंद्र पोषित इस महात्वावकांक्षी योजना में इस तरह की लापरवाही होना गंभीर बात है। इसे घोर एवं आपराधिक लापरवाही के रूप में देखा जाना चाहिए।आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय को बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में संज्ञान लेना पडा है। कुछ दिनों पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों के जरिये तीन से छह साल के बच्चों को सुबह का नाश्ता और गर्म भोजन दिया जाए। कोर्ट ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को दिसंबर तक योजना लागू करने का आदेश दिया है। साथ ही अगले वर्ष 15 जनवरी तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। समेकित बाल विकास योजना के तहत बच्चों को पूरक पोषाहार दिए जाने के बारे में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामा देखने के बाद कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए।वस्तुत: स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते मध्यान भोजन बच्चों के लिए पोष्टिक तो कम जान लेवा ज्यादा हो गया है। हमारा दुर्भाग्य तो यह है कि स्कूल प्रशासन इस तरह के वाक्यातों से सबक लेकर इन्हें रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाता है। देश भर के स्कूलों में न जाने कितने बच्चों को विषाक्त भोजन दिया जा रहा होगा, जिसमें मरे मेंढक, छिपकली या चूहे मौजूद होते होंगे।रोजाना न जाने कितने बच्चो के इस तरह के विषाक्त मध्यान भोजन के कारण बीमार पडने की खबरों से मीडिया अटा पडा होता है, बावजूद इसके सत्ता के मद में चूर राजनेताओं के कानों में जूं भी नहीं रेंगती। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिस पावन उद्देश्य को लेकर केंद्र सरकार द्वारा मध्यान भोजन की शुरूआत की गई थी, वह आरंभ से ही पथ भ्रमित हो गया था।संभव है मध्यान भोजन बनाना और परोसना दोनों ही कार्यों में स्कूल प्रशासन को कुछ व्यवहारिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता हो, किन्तु जहां जहां इस योजना का क्रियान्वयन ठेके पर दिया गया है, वहां तो स्कूल प्रशासन को सिर्फ सुपरविजन ही करना होता है, क्या महज इतना सा काम भी शाला प्रमुखों के लिए पहाड जैसा प्रतीत होने लगा है।निहित स्वार्थ और अर्थ लिप्सा का मतलब यह तो नहीं हो जाता कि अपनी लाभ के बदले नौनिहालोंं को गंदा, बदबूदार, और विषाक्त भोजन परोसा जाए। इस मामले में एक तथ्य यह भी उभरकर सामने आया है कि मध्यान भोजन के लिए खरीदे जाने वाले अनाज और जिंसों में भी भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी है। अपने मुनाफे के लिए सड़ा गला घुन लगा अनाज और सब्जियां, दाल ही इन बच्चों के निवालों में परोसा जा रहा है।केंद्र सरकार को चाहिए कि अगर उसकी योजना का सफल क्रियान्वयन राज्य सरकारें करने में असमर्थ हैं, तो बेहतर होगा कि देश के नौनिहालों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करने के बजाए वे इस तरह की असफल योजनाओं को तत्काल प्रभाव से ही बंद कर दें।


अब बिछ सकेगा मध्य प्रदेश में एनएच का जाल!
कमल नाथ समर्थक अपने क्षेत्रों की सड़कें बनाएंगे चमन
छिंदवाडा से गुजर सकेगा एक और नेशनल हाईवे
रारा का अधीक्षण कार्यालय स्थापित हो सकता है छिंदवाडा में
उत्तर दक्षिण गलियारा भी जा सकता है छिंदवाडा होकर
कांग्रेसी सांसद देने वाले क्षेत्रों का हो सकता है विकास
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सतपुडा के क्षत्रप कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्री बनने के साथ ही अब प्रदेश के कुछ जिलों का कायाकल्प होने की उम्मीद जाग गई है। प्रदेश के 12 संसदीय क्षेत्रों जहां से कांग्रेस ने परचम लहराया है, वहां की सडकों के हालात सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है साथ ही छिंदवाडा से होकर एक और राष्ट्रीय राजमार्ग गुजर सकता है।मध्य प्रदेश के छिंदवाडा से आठवीं बार विजयी होने वाले संसद सदस्य कमल नाथ की पहली प्राथमिकता निश्चित तौर पर उनका संसदीय क्षेत्र ही होगी। दूसरी प्रथमिकता में वे प्रदेश के उन जिलों पर नजरें इनायत कर सकते हैं, जहां उनके समर्थकों की तादाद ज्यादा है।वैसे पिछली मर्तबा उनके वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रहते प्रदेश को कुछ उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं मिल सकी। इस बार माना जा रहा है कि प्रदेश के छिंदवाडा, देवास, खंडवा, धार, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन, मण्डला, राजगढ, शहडोल, गुना, रतलाम जिलों में सडकों का कायाकल्प हो सकता है।पदभार संभालने के बाद पत्रकारों से रूबरू होने के बावजूद भी उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए कोई घोषणा नहीं की है। यहां उल्लेखनीय होगा कि रेल राज्य मंत्री बनाए गए मालापुरम से सातवीं बार जीते मुस्लिम लीग के ई अहमद ने कार्यभार ग्रहण करते ही घोषणा कर दी कि देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से उनके गृह राज्य केरल के लिए एक स्पेशल रेलगाडी चलाई जाएगी।इस बार छिंदवाडा की एक और बहुप्रतीक्षित मांग पूरी होने की उम्मीद जगी है। होशंगाबाद से पिपरिया, मटकुली, झिरपा, तामिया, छिंदवाडा, सिवनी, बालाघाट, गोंदिया होकर देवरी तक एक नए राष्ट्रीय राजमार्ग का जन्म हो सकता है। वैसे भी वर्तमान में होशंगाबाद से लेकर गोंदिया तक की सडक काफी अच्छी बन चुकी है। (बीच में छिंदवाडा जिले का कुछ हिस्सा अभी भी जर्जर ही है)।कमल नाथ के करीबी सूत्रों का कहना है कि देवास के सांसद सज्जन सिंह वर्मा इस बार उनका पूरा दोहन करने के मूड में दिख रहे हैं। आगरा बाम्बे राजमार्ग (एनएच 3) को और अधिक बेहतर गुणवत्ता का बनाया जा सकता है। इस पर सज्जन वर्मा और बाला बच्चन दोनों ही का कार्यक्षेत्र आता है।इसके अलावा सागर में विधायक अरूणोदय चौबे, जबलपुर के लखन घनघोरिया और मण्डला के समर्थक मिलकर सागर से दमोह, जबलपुर, मण्डला से छिल्पी घाटी होकर राजनांदगांव जाने वाले मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील करवा सकते हैं। केवलारी के विधायक एवं मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह भी लखनादौन से घंसौर, पलारी, पांडिया छपारा होकर गोंदिया जाने वाले मार्ग का उन्नतिकरण लगे हाथ करवा सकते हैं।कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि नरसिंहपुर से लखनादौन होकर नागपुर जाने वाले उत्तर दक्षिण फोर लेन गलियारे का मार्ग बदलकर इसे हर्रई अमरवाडा, छिंदवाडा, सौंसर के रास्ते छिंदवाडा ले जाया जा सकता है। किन्तु इसमें व्यवहारिक दिक्कत यह आएगी कि कुरई घाटी के काम को छोडकर शेष कार्य लगभग पूरा हो चुका है।कमल नाथ के जबलपुर के समर्थकों की एक मांग भी अब पूरी होती दिख रही है। गौरतलब होगा कि पूर्व में जब सडक परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री टी.आर.बालू जबलपुर आए थे तब कमल नाथ समर्थकों ने मांग रखी थी कि जबलपुर से लखनादौन तक के एनएच 7 को फोरलेन में तब्दील कर दिया जाए। सूत्रों ने यह भी बताया कि छिंदवाडा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग का अधीक्षण यंत्री अथवा कार्यपालन यंत्री स्तर का कार्यालय भी खोला जा सकता है।

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