गुरुवार, 12 अगस्त 2010

शिक्षा माफिया की जद में सीबीएसई (12)

सीबीएसई बोर्ड ने निरस्त किया सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल का मान्यता आवेदन!

जबलपुर और बालाघाट के प्राचार्य ने किया था स्कूल का निरीक्षण

सीबीएसई पेटर्न पर क्लासिस आरंभ नहीं कर सकती है शाला

सिवनी। इसाई मिशनरी द्वारा जिला मुख्यालय सिवनी में चलाए जा रहे स्तरीय शिक्षा देने वाले सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल का मान्यता आवेदन केंद्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा निरस्त कर दिया गया है। उक्ताशय की जानकारी राजस्थान के अजमेर स्थित सीबीएसई बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराई गई है। सूत्रों का कहना है कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल विद्यालय प्रशासन अगर कक्षा नवमी में इस साल विद्यार्थियों को प्रवेश देता है तो वह सीबीएसई बोर्ड की कक्षा दसवीं में परीक्षा नहीं दे सकते हैं। इस साल कक्षा नवमी में अध्ययनरत विद्यार्थी अगले साल मध्य प्रदेश बोर्ड में ही परीक्षा देने के लिए बाध्य होंगे।

सीबीएसई के उच्च पदस्थ सूत्रांे ने बताया कि बारापत्थर सिवनी में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर की सिवनी शाखा के बाजू में संचालित होने वाले सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल द्वारा दिए गए प्रोवीजनल एफीलेशन अप टू सीनियर सेकन्डरी लेवल के आवेदन पर सीबीएसई बोर्ड द्वारा 30 जून 2009 को इस शाला का पंजीयन किया गया था। इसका डाटा बोर्ड को 12 अगस्त 2009 को प्राप्त हुआ था, जिसमें शाला ने वर्तमान शिक्षा सत्र अर्थात 2010 - 2011 के लिए सीबीएसई से एफीलेशन मांगा था। इस हेतु शाला को पंजीयन नंबर एस एल - 01701 - 1011 प्रदान किया गया था।

सूत्रों ने आगे कहा कि इस आवेदन में शाला प्रशासन ने शाला प्रमुख के तौर पर सेबी मेरी के नाम का उल्लेख किया गया था। इस शाला द्वारा केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के नार्मस को पूरा किया जा रहा है अथवा नहीं इसके परीक्षण और निरीक्षण के लिए इंस्पेक्शन कमेटी का गठन किया गया था। इस आई सी में जबलपुर के सीएमएम स्थित केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य और बालाघाट के नवोदय विद्यालय के प्राचार्य को शामिल किया गया था।

सीबीएसई बोर्ड के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दावा किया है कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल द्वारा नवमीं और दसवीं कक्षा के लिए अस्थाई मान्यता के आवेदन के परीक्षण, निरीक्षण समिति के निरीक्षण परीक्षण के उपरांत के प्रतिवेदन पर गौर करने के उपरांत केंद्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल की सीबीएसई से मान्यता संबंधी आवेदन को तीन मई 2010 को निरस्त कर दिया गया है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि जब सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल का मान्यता आवेदन निरस्त कर दिया गया है तब इन परिस्थितियों में सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल शाला प्रबंधन किसी भी कीमत पर शैक्षणिक सत्र 2010 - 2011 के लिए नवमीं, दसवीं, ग्यारहवीं या बारहवीं की कक्षाएं सीबीएसई बोर्ड के एफीलेशन देने के बिना सीबीएसई पेटर्न पर आरंभ नहीं कर सकती हैं। बोर्ड के सूत्र साफ तौर पर कह रहे हैं कि अगर शाला प्रबंधन बोर्ड पेटर्न पर कक्षाएं आरंभ करता है तो किसी भी तरह के विवाद के लिए सीबीएसई बोर्ड जवाबदार नहीं होगा।

यहां उल्लेखनीय होगा कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल द्वारा सीबीएसई पेटर्न पर द्वितीय शनिवार का अवकाश और अन्य बातों को अपनी कार्यप्रणाली में ले आया गया है। आरोपित है कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल द्वारा अपने विद्यार्थियों या उनके पालकों को इस बारे में गुमराह ही किया जा रहा है कि वह नवमीं कक्षा में विद्यार्थियों को जो प्रवेश दे रहा है, वह दसवीं कक्षा में सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे अथवा मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में। यहां गौरतलब होगा कि सीबीएसई बोर्ड में कक्षा दसवीं की परीक्षा के लिए विद्यार्थी का एनरोलमंेट एक वर्ष पूर्व अर्थात कक्षा नवमीं में ही हो जाता है।

कहा जा रहा है कि सीबीएसई के प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रलोभन के चलते ही सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल विद्यालय प्रबंधन द्वारा इस साल के शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने के पूर्व ही आनन फानन में अपना शाला भवन कचहरी चौक से जबलपुर रोड स्थिति निर्माणाधीन भवन में स्थानांतरित कर दिया था, जहां सुविधाओं के अभाव में विद्यार्थी परेशानी में पढाई करने पर मजबूर हैं।

सीबीएसई की मान्यता निरस्त होने के कारण यह स्कूल मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के अधीन स्वयंमेव ही आ गया है। क्योंकि शाला प्रबंधन किसी और बोर्ड से एफीलेशन संभवतः नहीं ले सकता है। इन परिस्थितियों में जिला प्रशासन की ओर से नियुक्त् िऑफीसर इन चार्ज डिप्टी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी की चुप्पी संदेहास्पद ही मानी जा रही है।

(क्रमशः जारी)

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