गुरुवार, 12 अगस्त 2010

संकट में है सागर विश्‍वदयालय की मान्यता

छिन सकता है सागर से केंद्रीय विद्यालय का दर्जा

भूल से मिला है सागर यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 12 अगस्त। अपने जमाने की मशहूर रहे मध्य प्रदेश के सागर में संचालित होने वाले डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा कभी भी छीना जा सकता है। इस यूनिवर्सिटी को भूल से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। यह बात सागर के भाजपाई सांसद भूपेंद्र सिंह ने उजागर की है।

दरअसल सांसद सिंह ने सागर में एक अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की मांग केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल के समक्ष रखी थी। सिब्बल के साथ मुलाकात के उपरांत जो तथ्य प्रकाश मंे आए हैं उनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि जल्द ही सागर विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा वापस लिया जा सकता है।

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा सांसद सिंह के साथ चर्चा के दौरान सिब्बल ने यह स्वीकार किया कि मध्य प्रदेश के सागर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा ऋुटीवश मिला है। वस्तुतः सागर में नया केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव भेजा जाना चाहिए था।

सूत्रों ने आगे कहा कि केंद्रीय मानव सांसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बात पर अपनी सैद्धांतिक सहमति जता दी है कि अगर सागर में नए केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव उनके मंत्रालय को प्राप्त होता है तो वे सागर में नया केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलना पसंद करेंगे, साथ ही दशकों पुराने डॉ.हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा वापस भी ले लेंगे।

गौरतलब है कि सागर विश्वविद्यालय दशकों पुराना विश्वविद्यालय है, जहां अध्यायापन का स्तर अपने आप में एक मायने रखता है। बताते हैं कि कानूनविद डॉ.हरसिंह गौर ने अपने एक अंग्रेज मित्र से सागर की पहाड़ी को विश्वविद्यालय के लिए आवंटित करवाकर यहां यूनिवर्सिटी की परिकल्पना की थी। आज सागर विश्वविद्यालय के प्रोडक्ट देश विदेश में इस विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।

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