बुधवार, 18 अगस्त 2010

राहुल बनेंगे कददावर

राहुल को पीएम बनाने का प्रशिक्षण जल्द
 
संगठन में मिल सकता है युवराज को उंचा ओहदा
 
रोजना मुख्यालय आएंगे राहुल
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 18 अगस्त। डेढ़ सौ साल पुरानी कांग्रस में एक बार फिर नेहरू गांधी परिवार को सशक्त बनाने की कवायद की जा रही है। आम चुनावों के पहले पहले कांग्रेस के युवराज को प्रधानमंत्री बनने का प्रशिक्षण दिया जाने की कार्ययोजना गुप्त तौर पर बनाई जाने लगी है। इसी क्रम में पहले राहुल गांधी को कांग्रेस के महासचिव पद से हटाकर इससे उपर का कोई पद देने की सिफारिशें की गई हैं, साथ ही साथ राहुल गांधी के ‘‘द्रोणाचार्य‘‘ ने उन्हें लगातार कांग्रेस के दफ्तर जाकर कांग्रेसियों के बीच समय बिताने का मशविरा भी दिया है।
 
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष कंेद्र 10 जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार श्रीमति गांधी को सलाह दी गई है कि वे अगले लोक सभा चुनाव के पूर्व राहुल गांधी को कांग्रेस के फ्रंट पर लेकर आएं, अन्यथा मंहगाई, भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में जनता के रूख को देखते हुए कांग्रेस का दुबारा सत्ता में आना बहुत ही मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
 
सूत्रों ने कहा कि अभी कांग्रेसियों के मानस पटल पर राहुल गांधी की छवि उत्तर प्रदेश विशेषकर रायबरेली, अमेठी, के नेता के तौर पर बनी हुई है। इस छवि को तोड़कर राहुल गांधी की छवि राष्ट्रीय नेता की बनाना आवश्यक है। यह तभी संभव हो पाएगा जब राहुल गांधी नियमित तौर पर कांग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड़ पर बैठें और देश भर से आए कार्यकर्ताओं से रूबरू हों। इसके अलावा राहुल गांधी को युवक कांग्रेस और एनएसयूआई के साथ ही साथ महती जवाबदारियां भी सौंपी जाएं।
 
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के 21वी सदी के चाणक्य और एक ताकतवर महासचिव राहुल गांधी के लिए 2014 का रोड़ मैप बनाने में जुटे हुए हैं। कुछ माहों पहले राहुल गांधी को मंत्री मण्डल में शामिल करने की कवायद भी की गई थी ताकि वे काम काज को समझ सकें। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न उजगर करने की शर्त पर कहा कि इस मामले मंे सोनिया गांधी से कहा गया था कि क्या राजीव गांधी किसी केबनेट का हिस्सा रहे थे? वे भी तो सीधे प्रधानमंत्री बने थे, तब राहुल गांधी को क्यों न सीधे प्रधानमंत्री ही बनाया जाए। संभवतः इसी सुझाव के चलते राहुल गांधी को मंत्री नहीं बनाया गया था।

उधर एआईसीसी के सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी के सामने यह सुझाव रखा गया है कि या तो राहुल गांधी को कार्यकरी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बना दिया जाए। सोनिया गांधी इस सुझाव से सहमत होती नहीं दिख रही हैं, क्योंकि अगर वे अध्यक्ष होंगी और राहुल गांधी कार्यकारी अध्यक्ष तो विपक्षी दल इसे परिवार वाद से जोड़कर देखेंगे जिससे राहुल गांधी की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि अगले माह कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी की ताजपोशी के ठीक बाद राहुल गांधी का कद प्रत्यक्ष तौर पर बढ़ा हुआ मिलने वाला है।

1 टिप्पणी:

honesty project democracy ने कहा…

कांग्रेस ने जनता को इतना लूटा और दुःख पहुँचाया है की जनता को अब राहुल गाँधी किसी राहू -केतु ग्रह से कम नहीं नजर आएगा .. अब तो इस कांग्रेस और सभी भ्रष्ट नेताओं का पाप का घरा भरकर फूटने वाला है ...इतनी बेशर्मी कभी भी इंसान को नहीं देखना परा था जो सोनिया गाँधी के पिछले पांच सालों के अपत्यक्ष देश की कमान सँभालने के बाद देखना पड़ा है ,कारण चाहे जो भी रहा हो सोनिया और राहुल जिम्मेवारी से बच नहीं सकते अब तो इस देश को कोई हिजरा भी बेहतर चला सकता है चलेगा लेकिन ये कांग्रेस नहीं ...