मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

कक्षाओं में 40 से अधिक बच्चे होने पर होगी कार्यवाही

सीबीएसई बोर्ड कसेगा शालाओं की लगाम

सूचना आयोग के निर्देशों का होगा कड़ाई से पालन

सरकारी शालाओं पर भी गिर सकती है गाज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अभिभावकों और विद्यार्थियों को आकर्षित करने की गरज से निजी तौर पर संचालित होने वाले शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्धता लिए जाने के बाद बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न कराने के मामले में सीबीएसई बोर्ड का रवैया सख्त होने वाला है। राईट टू एजूकेशन कानून के प्रावधानों के तहत एक कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 35 होना चाहिए किन्तु सीबीएसई ने इस नियम को शिथिल करते हुए विद्यार्थियों की संख्या 40 करने की बात कही गई है।

सीबीएसई बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि बोर्ड ने एक परिपत्र जारी कर अपने समस्त स्कूलों को ताकीद किया है कि शाला में एक कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 40 से अधिक नहीं होना चाहिए। गौरतलब होगा कि बोर्ड ने शिक्षा के स्तर में सुधार की गरज से कंटिन्यूअस एण्ड कॉम्प्रिहेंसिव इवैल्यूएशन स्कीम (सीसीई) लागू की गई है। इसमें पढ़ाई में किताबों के अलावा एक्सट्रा केरिकुलर एक्टीविटीज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, किन्तु एक कक्षा में छात्रों की संख्या अधिक होने पर इस योजना के सफल होने पर संदेह ही व्यक्त किया जा रहा है। इसके तहत आर्ट, डांस, म्यूजिक आदि के मामले में भी शाला को ध्यान देना होगा। इसके लिए प्रथक से क्लास रूम की व्यवस्था भी शाला को ही सुनिश्चित करनी होगी। हर शाला को एक खेल का कालखण्ड रखना भी अनिवार्य होगा, इसके लिए शाला के पास खेल का मैदान होना भी अनिवार्य किया गया है।

इसके साथ ही साथ केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा भी निर्देश जारी किए गए हैं कि शालाओं में पूरी पारदर्शिता अपनाई जाए। इसके लिए आयोग का कहना है कि हर शाला की अपनी एक वेव साईट होना आवश्यक है। इस वेव साईट में शाला का सीबीएसई एफीलेशन स्टेटस, आधारभूत अधोसंरचना (इंफ्रास्टक्चर), शिक्षकों के नाम, पद, उनकी शैक्षणिक योग्यताएं, प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या, शाला का ईमेल आईडी, शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों का विवरण, शाला का दूरभाष नंबर वेव साईट पर होना आवश्यक है। इसके साथ शाला को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह वेव साईट लगातार अद्यतन (अपडेट) की जाए, ताकि अभिभावकों को सारी जानकारियां मिल सकें।

सीबीएसई के दिशा निर्देशों में साफ किया गया है कि प्रत्येक शाला को अपना वार्षिक प्रतिवेदन भी वेव साईट पर डालना अनिवार्य होगा। इस प्रतिवेदन के साथ शाला को अपने इंफ्रास्टक्चर के अलावा वार्षिक गतिविधियां, रिजल्ट आदि को भी अद्यतन किया जाना अनिवार्य किया गया है। सीबीएसई के मान्यता प्राप्त स्कूलों के पास प्राणी विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिकी विज्ञान, गणित एवं कम्पयूटर की प्रयोगशाला को अनिवार्य किया गया है।

सीबीएसई के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इन नियमों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा। इसके लिए सीबीएसई बोर्ड के निरीक्षण दल समय समय पर जाकर शालाओं का निरीक्षण करेंगे और बच्चों की संख्या निर्धारित से अधिक पाए जाने पर या पारदर्शिता का अभाव मिलने पर कठोर कार्यवाही भी करने का प्रावधान किया जा रहा है।

उधर दूसरी ओर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त शासकीय शालाओं के हाल बेहाल ही हैं। अनेक शासकीय शालाओं में एक कक्षा में विद्यार्थियों की तादाद सैकड़ा पार कर चुकी है। इन शालाओं में राईट टू एजूकेशन के नियम का पालन सुनिश्चित करवाना टेडी खीर ही साबित होने वाला है। वहीं निजी तौर पर संचालित होने वाली शालाओं में जहां एक एक कक्षा में चालीस से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं, वहां अतिरिक्त बच्चों के लिए दूसरा सेक्शन बनाना शाला की बाध्यता होगी, किन्तु इसके साथ ही साथ उन शालाओं को सीबीएसई के नार्मस के हिसाब से योग्य शिक्षकों की तैनाती सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर सकती है।

अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि निजी शालाओं में एक कक्षा में 60 से अधिक बच्चे मिलना आम बात है। अनेक निजी शिक्षण संस्थाओं में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। अनेक शालाएं शहरी आबादी से बहुत दूर स्थापित की गई हैं, जिससे बच्चों को आवागमन में तो अभिभावकों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। श्री अग्रवाल का कहना है कि सरकार और सीबीएसई दोनों को चाहिए कि शालाओं के इन्फ्रास्टक्चर पर विशेष ध्यान दिया जाए।

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