बुधवार, 5 जनवरी 2011

ग्राम न्यायालयों की स्थापना में प्रदेश ने बाजी मारी

ग्राम न्यायालयों की स्थापना में प्रदेश ने बाजी मारी

नई दिल्ली (ब्यूरो)। केंद्र सरकार की ग्राम न्यायालयों की योजना भले ही राज्यों को नहीं भा रही हो पर मध्य प्रदेश ने इसमें बाजी मार ली है। 45 ग्राम न्यायालयों की स्थापना के साथ मध्य प्रदेश दूसरी पायदान पर आ गया है। ग्राम न्यायालय अधिनियम के तहत ग्रामीणों को जल्दी न्याय दिलाने के लिए देश में पांच हजार ग्राम न्यायालय स्थापित करने की योजना है।

कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, ग्राम न्यायालय अधिनियम वर्ष 2009 में गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को अधिसूचित हुआ, इसके उपरांत एक साल में सिर्फ चार राज्यों ने 96 ग्राम न्यायालयों की स्थापना की है, जबकि दिल्ली, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, Ÿाराखंड और केंद्र शासितप्रदेश चंडीगढ़ ने इसके लिए मना कर दिया है। दिल्ली सरकार ने कानून मंत्रालय से कहा कि शहरीकरण के कारण दिल्ली में ग्राम न्यायालयों की आवश्यकता नहीं है। आंध्रप्रदेश सरकार ने कहा कि वर्तमान न्यायपालिका बहुत प्रभावशाली है, इस कारण ग्राम न्यायालयों की स्थापना की कोई आवश्यकता नहीं है।

मध्यप्रदेश ने 45 ग्राम न्यायालयों की स्थापना की है। महाराष्ट्र में नौ, उड़ीसा में एक और राजस्थान में 46 ग्राम न्यायालयों की स्थापना हुई है। मगर कुल स्थापित 96 न्यायालयों में से सिर्फ 48 ही काम कर रहे हैं। इन चार राज्यों में ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए हाल ही में 13.47 करोड़ रुपये दिए गए हैं। देश के 28 में से सिर्फ 15 राज्यों ने ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए लिखे गए पत्र का जवाब दिया है। संसद में ग्राम न्यायालय अधिनियम दिसंबर 2008 में पारित हुआ था।

कोई टिप्पणी नहीं: