बुधवार, 5 जनवरी 2011

देश में पूरक राजनीतिक व्यवस्था की जरूरत

देश में पूरक राजनीतिक व्यवस्था की जरूरत
नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था के लिए पूरक प्रणाली की वकालत करते हुए भारत विकास संगम के केएन गोविंदाचार्य ने बुधवार को कहा कि देसी सोच और विकेंद्रीकरण वाली राजनीतिक व्यवस्था होनी चाहिए। गोविंदाचार्य आज मीडिया से रूबरू थे।
गोविंदाचार्य ने यहां संवाददाताओं से कहा कि स्वदेशी सोच वाले सभी राजनीतिक लोगों को एक मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से संबंध रखते हों। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों में देसी और विकेंद्रीकरण की सोच वाले लोग हैं लेकिन वे अपने अपने दलों के भीतर बंधे हुए हैं।
गोविंदाचार्य ने बताया कि ऐसे सभी लोगों की अप्रैल में दिल्ली में एक बैठक होगी और देसी राजनीति के पक्षधरों को एक जगह लाने का प्रयास किया जाएगा। गोविंदाचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि वह खुद किसी राजनीतिक दल या सŸाा का हिस्सा नहीं बनेंगे लेकिन श्इस बात के लिए प्रतिबद्धता रखेंगे कि विदेश परस्त नीति वाले दल सŸाा में नहीं रहें।
देश में माओवाद की समस्या पर उन्होंने कहा कि माओवाद देश में सामाजिकए आर्थिक नीतियों में विसंगतियों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का तरीका निंदनीय है लेकिन केवल इस विषय पर बहस न करके सरकार को देश में गरीबों के प्रति संवेदनशील भी होना चाहिए। गोविंदाचार्य ने हाल ही में कर्नाटक के गुलबर्गा में संपन्न भारत विकास संगम के दस दिवसीय अधिवेशन में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2011 में देश के 400 जिलों में ऐसे विकास संगम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 12, 13 और 14 मार्च को वृंदावन में एक बैठक होगी और 51 विशेषज्ञों की एक परामर्शदात्री समिति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि गुलबर्गा के सम्मेलन में आठ लाख लोगों ने भाग लिया और कर्नाटक के बाहर से साढ़े तीन हजार लोगों ने इसमें शिरकत की।

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