मंगलवार, 4 जनवरी 2011

ममता की नजरें बंगाल पर केंद्रित

बंगाल चुनाव को समर्पित होगा रेल बजट
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल को अघोषित रेल मुख्यालय बनाने वाली केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अगामीरेल बजट की तैयारियों आरंभ कर दी हैं। माना जा रहा है कि देश के अगले रेल बजट पर पश्चिम बंगाल में अगलेसाल होने वाले विधानसभा चुनावों की परछाईं अवश्य ही दिखाई देगी। इस रेल बजट में पश्चिम बंगाल की झोलीभरने की उम्मीद जताई जा रही है। बंगाल विधानसभा का कार्यकाल जून 2011 मंे समाप्त होने वाला है।
गौरतलब होगा कि फरवरी मे केंद्र का रेल बजट आना है और इसी के दो तीन माह के उपरांत पश्चिम बंगाल मेंविधानसभा चुनाव संपन्न होने वाले हैं, लिहाजा ममता बनर्जी पर काम का जबर्दस्त दबाव है। चुनाव के साथ हीसाथ ममता पर रेल बजट की तैयारियों का भी खासा बोझ है। ममता के सामने सबसे बड़ी चुनौति यह उभरकरसामने रही है कि उन्हें इस रेल बजट में आम आदमी की जेब के साथ ही साथ रेल की कमाई का भी ध्यानरखना है।
रेल विभाग के जानकारों का कहना है कि इस बार भी आम आदमी के लिए राहत की बात यह हो सकती है किरेल बजट में पश्चिम बंगाल के चुनावों के मद्देनजर किराए में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं क्षींण ही हैं। इस रेल बजटमें आम आदमियों के साथ ही साथ मीडिया को भी अनेक तोहफे मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। ममता नेअपने कार्यकाल में मीडिया कर्मियों को साल में एक मर्तबा अपने परिवार के साथ आधे किराए पर यात्रा कीसुविधा प्रदान की है। चुनावों के मद्देनजर ममता द्वारा मीडिया को खुश करने का उपक्रम किया जा सकता है।

लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को लाना होगा पटरी पर
ममता बनर्जी के दिल्ली से गायब रहने से रेल की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। रेल विभाग कीलगभग एक लाख करोड़ की परियोजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं। फंड के अभाव के चलते इन परियोजनाओं परकाम आगे नहीं बढ़ाया जा सक रहा है। रेल मंत्रालय की मेराथन बैठकों के बाद लगभग तीस हजार करोड़ कीपरियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता पर रखा गया है। मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि लगभग सत्तर हजार करोड़रूपयों की परियोजनाएं धनाभाव के चलते आरंभ होने का रास्ता देख रही हैं।

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