शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के बाद से लालचंद ने अपने ग्राम मे नही रखा है पैर

अनोखा संकल्प लालचंद की गले की फांस बना

महज 3 किलोमीटर सड़क बनाने का संक ल्प नही कर पाया है पूरा *
नेताओ और अधिकारियो के दरवाजो पर माथा टेकने मे निकल गये 1 वर्ष 
* सिवनी विधान सभा की इससे अधिक दुर्दशा की कहानी और क्या होगी

सिवनी आदिवासी विकास खंड छपारा का एक जनपद सदस्य पिछले एक वर्ष से जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के पश्चात आज तक अपने ग्राम मे नही पहुंचा है। उस जनपद सदस्य को पूरे ग्राम के व्यक्तियो एवं उसके परिजन उसके समर्थक और जनप्रतिनिधि मना मना कर थक गये है। परन्तु वह अपने संकल्प को जब तक पूरा नही करेगा। तब तक ग्राम मे पैर नही रखेगा। उक्त जनपद सदस्य ने कोई बडा संकल्प नही लिया है। बहुत छोटा सा संकल्प है। परन्तु विकास की गंगा बहाने वाला शिवराज सिंह का शासन उसके उस संकल्प को पूर्णता प्रदान नही कर रहा है। जिससे आदिवासी क्षेत्रो का विकास करने के प्रति सरकार की गति को और मानसिकता को समझा जा सकता है। इस क्षेत्र से बहुत ही संवेदन शील मानी जाने वाली सिवनी विधायक का बड़ा गहरा संबंध है। जनपद सदस्य से अपना राजनैतिक सफर प्रारंभ करने वाली श्रीमति नीता पटेरिया इसी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य रही फिर ५ वर्ष सांसद भी रही और अब सिवनी विधान सभा क्षेत्र से विधायक होने के साथ ही महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष है। परन्तु इनकी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाला एक आदिवासी ग्राम जहां से हर वर्ष २५ से ३० लाख रूपये का सीताफल दिल्ली सहित अन्य प्रदेश को लिये निर्यात होता है। ऐसे वन ग्राम मे महज तीन किलोमीटर की सड़क नही बन पा रही है। क्षेत्र के लोगो ने अपने क्षेत्र की सबसे बडी इस समस्या के निराकरण के लिये लालचंद धुर्वे नामक व्यक्ति को जनपद सदस्य निर्वाचित किया छपारा जनपद पंचायत के वार्ड क्र मांक १२ से निर्वाचित जनपद सदस्य लालचंद धुर्वे ने भी बहुत छोटा काम समझकर संकल्प ले लिया कि जब तक उसके ग्राम खैरमटाकोल से बंधानी तक ३ किलोमीटर की पक्की सड़क नही बन जायेगी। वह अपने ग्राम मे पैर नही रखेगा। परन्तु लाल चंद धुर्वे को वह संकल्प बहुत अधिक मंहगा साबित हो रहा है। लगभग १ वर्ष का समय बीत चुका है। वह अपने ग्राम मे पैर नही रख पाया है। महज तीन किलोमीटर की सड़क बनाने के लिये उसने हर सक्षम जनप्रतिनिधि और हर अधिकारी की चौखट पर माथा रगड़ लिया है। परन्तु सड़क बनने का आश्वासन भी अभी तक कही से प्राप्त नही हुआ है। पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति मे छायी रहने वाली इस क्षेत्र की दो महान हस्तियां आदिवासी जनपद सदस्य की पीड़ा को नही समझ पा रही है। मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह जो आदिवासियो के हितो के प्रति हमेशा सजग रहते है। और अपने आप को उनका सबसे अधिक हितेषी बताते है। वही छपारा क्षेत्र मे विकास की गंगा बहाने वाली सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया भी अपनी उपलब्धियो का बखान करते रहती है। परन्तु आदिवासी निर्वाचित जनप्रतिनिधि महज तीन किलोमीटर की सड़क बनाने के संकल्प पूरा करने के लिये दर-दर की ठोंकरे खा रहा है जो बडबोले नेताओ की करनी और कथनी को स्पष्ट करता है। मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह को ऐसे छोटे मोटे कार्य कराने के लिये केवल आदेश देने की आवश्यकता काम चुटकि मे हो सकता है सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया भी इस काम को कराने मे रूचि ले ले तो कार्य होना कोई मुश्किल नही है। और इस प्रकार के कार्य कराने की उनकी अपनी नैतिक जिम्मेदारी है। क्योकि वे इस क्षेत्र से निर्वाचित विधायक है। हलांकि पहले सांसद भी रह चुकी है। जो संकल्प जनपद सदस्य ने लिया है उसकी आवश्यकता ही नही पड़ऩी थी। सिवनी बालाघाट सांसद के.डी. देशमुख ने भी उक्त जनपद सदस्य की समस्या को टालते हुए सी.सी. एफ के पास पहुंचा दिया जबकि वह सी.सी.एफ के यहां चक्कर काट काट कर अपनी चप्पल घिस चुका है। रोजगार गारंटी योजना, प्रधान मंत्री सड़क योजना, मुख्यमंत्री सड़क एवं वनसुरक्षा समीतियो द्वारा किये जाने वाले विकास कार्यो के मद से इस छोटी सी सड़क निर्माण आसानी से किया जा सकता है परन्तु सड़क निर्माण न होना कही न कही किसी बडे जनप्रतिनिधि की व्यक्तिगत अरूचि का कारण और आदिवासी समाज के प्रति घटिया सोच का परिणाम कहा जा सकता है। विकास अपने क्षेत्र विकास के प्रति संकल्पवान जनप्रतिनिधियो की कैसे दुर्दशा होती और आदिवाासियो के साथ किस प्रकार का दुव्र्यहार हो रहा है यह लालचंद धुर्वे की दशा क ो देखकर अनुमान लगाया जा सकता है। और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जो मंच से यह घोषणा करते नही थक रहे है कि खजाने पर सबसे पहला अधिकार आदिवासियो का है उन्हे इस प्रकार के बाधित कार्यो की समीक्षा अवश्य करना चाहिए।

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