शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

आर्थिक समानता से सामाजिक और राजनैतिक समानता आयेगी-मिश्रा

आर्थिक समानता से सामाजिक और राजनैतिक समानता आयेगी-मिश्रा
सिवनी -:''बिना सहकार नहीं उद्धारÓÓ यह सहकारिता का उद्घोष है। सहकार भारती ने इसमें संस्कार शब्द जोड़कर सहकारिता को नया रूप प्रदान किया है, भारत के संस्कारों में सहकार की भावना हजारों-हजारों साल से विद्यमान है पाश्चात्य संस्कृति ने आज स्वरूप को विकृत कर दिया है, परंतु जबतक इसे सशक्त नहीं किया जायेगा। भारत की वर्तमान दुर्दशा को सुधारना संभव नहीं है, सहकार में ही भारत की समृद्धि सामाजिक समानता और राजनैतिक समानता का विकास संभव हैं, यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विवादपूर्ण घनश्याम मिश्रा ने आज सहकार भारती के स्थापना दिवस के अवसर पर जिला सहकारी बैंक में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन के दौरान कही। आज जिला सहकारी बैंक कन्द्रीय बैंक के छत पर सहकार भारती का स्थापना दिवस जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक तेकाम के मुख्य आतिथ्य एवं सहकार भारती के अध्यक्ष राजेन्द्र विश्वकर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया कार्यक्रम के प्रारंभ में भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलिति किया गया अतिथि स्वागत के पश्चात मुख्य अतिथि अशोक तेकाम ने अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया और कहा कि सहकारिता का क्षेत्र इतना विशाल है कि इसके माध्यम से हर क्षेत्र में कार्य किये जा सकते और कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं जहां इस क्षेत्र में कार्य कर रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं वहीं छोटे-छोटे कार्यो में लगे हुए व्यक्तियों को  शोषण से मुक्त कराकर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सकता है। इसके पश््रचात मुख्य वक्ता श्री घनश्याम मिश्रा ने सहकार से राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने की अवधारणा को प्रतिपादित करते हुए कहा कि सहकार कोई नई कल्पना नहीं है इस प्रकार की व्यवस्था हमारे वेदो मे भी प्राचीन काल से थी, और इसी कारण भारत का सम्मान विश्व मे रहा है। उच्चकोटि के संस्कार और सामाजिक व्यवस्थाये विश्व के  लिये अनुकरणीय रही हैै। संस्कार युक्त सहकार से ही भारत की समस्याओ का निराकरण संभव है।  उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय अध्यात्म, संस्कार और ज्ञान पर व्याख्यान देकर शिकागो धर्म सभा मे भारतीय दर्शन को उच्च कोटि का स्थान दिलाया था। परन्तु भारत की गरीबी अशिक्षा ने उन्हे बुरी तरह झंकझोर दिया था पं. दीनदयाल उपाध्याय के अनुसार आद्यशंकराचार्य भी हजारो वर्ष पहले आसमानता से व्यथित थे। और उन्होने समाज को एक दूसरे की चिंता करने का संदेश दिया था एक दूसरे का सहयोग करना ही सहकार है। समाज के दबे -कुचले विकास की मुख्य धारा से छुटे हुये व्यक्तियो को विकास की मुख्यधारा से जोडने का सामाजिक प्रयास ही सहकार है। जब तक बेहतर सोच के साथ प्रयास नही होंगे और समाज के व्यक्तियो की रोटी, शिक्षा, मकान की चिंता नही की जायेगी। देश का भला नही हो सकता एक तरफ आधुनिकता की दौड़ बडी-बडी अट्टालिकाऐ और दूसरी तरफ भूखमरी, अशिक्षा और फु टपाथों  पर बड़ी संख्या मे व्यक्ति जीवन यापन कर रहें हैं। यह स्वास्थ्य सामाजिक व्यवस्था नही कही जा सकती भारतीय जीवन दर्शन सभी को एक दूसरे का भाई के रूप मे प्रतिपादित करता है। उसी भावना से हमे अपने जीवन मूल्यो को प्रतिबिंबित करना चाहिए। स्वर्ग मरने के पश्चात ही नही मिलता जहां हम रहते जिस समाज के बीच रहते है। उसे ही स्वर्ग बनाने की भावना से मिलजुलकर काम करे। इसी प्रकार  सहकार से उद्धार की कल्पना की जा सकती है। आर्थिक समानता से सामाजिक समानता और सामाजिक समानता से राजनैतिक समानता आसानी से प्राप्त हो सकती है। जो उपेक्षित और दबा कुचला समाज है उसे पहले आर्थिक रूप से संपन्न करने की आवश्यकता है। और आर्थिक समानता सामाजिक समानता और राजनैतिक समानता लाने मे सक्षम है। यह बहुत दुखद पहलू है कि आज विश्व आधुनिकता के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है, और उसी क्रम में भारत भी विकास की गति में कमजोर नहीं है, परंतु आज भी, समाज के बहुत बड़े वर्ग का उद्धार नहीं हो पाया है, आज भी अशिक्षा, भूखमरी हमारा पीछा नहंी छोड़ रही है, इस कलंक को धोये बिना सशक्त भारत का निर्माण नहीं हो सकता और इसकी जिम्मदारी आपसी सहयोग से ही संभव है, श्री मिश्रा ने कहा कि अपने आने वाले समय को सुख समृद्धिपूर्ण बनाने के लिए सभी वर्गाे के सम विकास की चिन्ता करना होगी।
कार्यक्रम मे विशेष अतिथि के रूप मे संतोष अग्रवाल एवं अधिवक्ता राजेन्द्र विश्वकर्मा, राजेश उपाध्याय, भूमि विकास बैंक के संचालक प्रहलाद पटेल, भाजपा नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी, समीर अग्रवाल, श्रीमती निर्मलाठाकुर, श्रीमती संगीता उपाध्याय श्रीमती आशा अवस्थी, सुश्री रानीबघेल, श्रीमती शान्ति बघेल, श्रीनिवास मूर्ति, नरेंन्द्र टॉक, आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।  कार्यक्रम का संचालन अजय डागोरिया द्वारा किया गया, कार्यक्रम में सहकार भारती के पदाधिकारी एवं अन्य जन बडी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में रजेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: