शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

यूआईएडीआई से जुड़ा डाक विभाग


यूआईएडीआई से जुड़ा डाक विभाग
नई दिल्ली (ब्यूरो)। इक्कीसवीं सदी में कंप्यूटर के युग में ग्रामीण भारत में पोस्ट आफिस और डाकिए के महत्व और प्रासंगिकता को देखते हुए सरकार ने डाक विभाग को विशिष्ट पहचान संख्या से जोड़ दिया है ताकि लोगों को उनकी चिðिया समय पर मिल सके और उन्हें अपने खतों की स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके।
डाक विभाग और भारतीय विशिष्ठ पहचान संख्या (यूआईडीएआई) ने इस आशय के सहमति पत्र हस्ताक्षर किया है। लोग अब यह पता कर सकते हैं कि उनकी चिðी पते पर पहुंची है या नहीं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस अवसर पर कहा कि भारत गावों का देश है। ग्रामीण भारत में आज भी डाकिया सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है। हम चाहते हैं कि सूचना के प्रवाह के इस माध्यम को प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाए ताकि गावों में रहने वाले लोगों को फायदा हो।
उन्होंने कहा कि आज भी गाव में जब अपनों का हालचाल जानने के लिए लोगों की निगाहें साइकिल पर आने वाले डाकिए पर लगी रही है। हम चाहते हैं कि डाक व्यवस्था को पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाए ताकि आम लोगों को फायदा हो। डाक विभाग और यूआईडीएआई के बीच यह सहयोग इसी दिशा में एक प्रयास है जो देश में समावेशी विकास सुनिश्चित करेगा।
यूआईडीएआई के अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा कि डाक विभाग को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में यह गठजोड़ एक महत्वपूर्ण पहल है जिसके दायरे में चिðियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना, डाक से जुड़े साजो-सामान, प्रौद्योगिकी उन्नयन आदि आते हैं। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से अब लोगों को इस बात का पता चल सकेगा कि उनकी चिðी कहां है। कोई भी व्यक्ति आनलाइन माध्यम से इस बात का आग्रह कर सकता है कि उनकी चिðी पते पर पहुंची है या नहीं।

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