शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

घर वापस लौटेंगे बीएसएनएल के अफसर


घर वापस लौटेंगे बीएसएनएल के अफसर

कैट के फेसले से कर्मचारियों में हड़कम्प

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। इंडियन टेलीकाम सर्विसेस के अफसरान के लिए यह खबर वज्रपात से कम नहीं है कि जल्द ही उन्हें भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) से अपना बोरिया बिस्तर बांधना होगा। दरअसल केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाकर अफसरों के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। यद्यपि इसके लिए समयसीमा का निर्धारण संभवतः नहीं किया गया है अतः अफसर कुछ और माह बीएसएनएल में मलाई काट सकते हैं।

दरअसल 01 अक्टूबर 2000 को बीएसएनएल को कंपनी की शक्ल देते समय अफसरों की भर्ती के बजाए संचार मंत्रालय द्वारा भारतीय टेलीकाम सर्विस के 2000 अफसरों को ही पांच साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर बीएसएनएल में भेज दिया था। इसके बाद बीएसएनएल को इन अफसरों ने अपने हिसाब से ही हांकना आरंभ कर दिया था। 2005 में जब पांच साल की प्रतिनियुक्ति की अवधि पूरी हुई तब सरकार की तंद्रा टूटी और सरकार ने इन अफसरों के सामने विकल्प रखा कि या तो ये अफसर वापस मूल काडर में जाएं या फिर बीएसएनएल में ही अपना संविलियन करवा लें।

इसके बाद कोर्ट कचहरी में मामला छः साल तक उलझता रहा। हाल ही में कैट द्वारा एक आदेश जिसे अंतिम आदेश कहा गया है पारित कर इन अफसरों की मुगलई खत्म कर दी है। कैट की दिल्ली शाखा ने आदेश जारी कर साफ कहा है कि बीएसएनएल में प्रतिनियुक्ति पर आए अफसर अपने मूल विभाग में वापस जाएं।

यह है जमे रहने की वजह
संचार मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि चूंकि बीएसएनएल मंे अब ज्यादा काम बचा नहीं है। इसलिए अफसर खाली बैठकर ही अपना समय पास करते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रतिनियुक्ति पर इन्हें खासा वेतन और सुविधाएं मिलती हैं। चूंकि समूची व्यवस्था  में अफसरों का ही बोलबाला है अतः वे इसमें बने रहने की जुगत लगा ही लेते हैं। कंपनी प्रबंधन में इन अफसरों की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कंपनी चाहकर भी इन्हें प्रथक करने की राह नहीं निकाल पा रही है।

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