मंगलवार, 9 अगस्त 2011

एमपी में सुरक्षित नहीं महिलाएं!


एमपी में सुरक्षित नहीं महिलाएं!

(लिमटी खरे)

देश के हृदय प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार है। शिवराज सरकार ने सूबे में बच्चों के कल्याण के लिए खजाना खोला है। योजनाएं बच्चों को केंद्रित कर बनाई गई हैं। इन योजनाओं को अमली जामा पहनाए जाते वक्त कहीं कुछ न कुछ तो गफलत हो रही है यही कारण है कि शिवराज मामा की हजारों भानजियां प्रदेश से गायब हैं। इनमें सबसे अधिक तादाद कमसिन युवतियों की  हैं। मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों में यह तथ्य उभरकर सामने आया है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2010 में ही सूबे की पांच हजार से अधिक महिलाएं गायब हैं, जिनकी पतासाजी में पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है पर नतीजा सिफर ही सामने आ रहा है।

देश के हृदय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह ने जब कार्यभार संभाला, तब उन्होंने बच्चों को अपना मामा जताया था। उस वक्त लगने लगा था कि मध्य प्रदेश के बच्चे शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते सुरक्षित महसूस करेंगे। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए अगर मध्य प्रदेश की पांच हजार से अधिक महिलाएं घरों से गायब हैं, जिनकी गुम इंसान रिपोर्ट पुलिस में दर्ज है तो यह निश्चित तौर पर पुलिस की अक्षमता जाहिर करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। सबसे अधिक आश्चर्य तो तब होता है जब विधायक इस मामलें में मौन अख्तियार करते हैं।

एक अनुमान के अनुसार मध्य प्रदेश में पिछले तीन सालों में साढ़े तीन सौ महिलाओं को जिन्दा जलाए जाने के मामले प्रकाश में आए हैं। शिव के राज में उनकी भांनजियों को जिन्दा जलाए जाने के हृदय विदारक मामलों की जानकारी से रीढ़ में सिहरन पैदा होना लाजिमी ही है। एक ओर तो भाजपा की सरकार द्वारा सूबे में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने और उनके उत्थान की बातें कहीं जाती हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के साथ इस तरह की शर्मनाक घटनाएं होना दुखद ही माना जाएगा।

बताते हैं कि पिछले तीन सालों में ग्वालियर में 23, दतिया में 21, इंदौर में 20, सागर में 17, छिंदवाड़ा और विदिशा में 15 - 15, सतना में 13, राजधानी भोपाल में 12, नरसिंहपुर में 11 तो संस्कारधानी जबलपुर में दस, देवास, छतरपुर, भिण्ड, शिवपुरी में नौ नौ, डिंडोरी, धार कटनी में आठ आठ, मुरेना, मंदसौर, उज्जैन एवं बड़वानी में सात सात, हरदा, गुना, टीकमगढ़ और खरगोन में छः छः, मण्डला, अशोक नगर, सीहोर और होशंगाबाद में पांच पांच, शाजापुर और नीमच में पांच पांच, बैतूल व खण्डवा में तीन तीन, रीवा बुरहानपुर में दो दो तथा रतलाम, सिंगरोली, उमरिया, पन्ना और झाबुआ में एक एक महिलाओं को जिन्दा जला दिया गया।

महिलाओं को जिन्दा जलाने या उनके गायब होने की घटनाओं पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस की चुप्पी आश्चर्यजनक ही मानी जाएगी। भोपाल में ही एक अग्रवाल परिवार की नवविवाहिता के गायब होने के डेढ़ साल बाद भी पुलिस और प्रशासन हाथ पर हाथ रखे ही बैठा है। इस मामले में विपक्ष भी मूक दर्शक ही बैठा है। बाद में गायब नवविवाहिता के पिता ने माननीय न्यायालय का सहारा लिया और न्यायालय ने ससुराल पक्ष के नार्को टेस्ट का आदेश दिया।

पुलिस विभाग के आंकड़ांे पर अगर यकीन किया जाए तो पिछले साल अठ्ठारह साल तक की 5623 युवतियां, अठ्ठारह से पच्चीस साल तक की 5376, पच्चीस से तीस तक की 1492, तीस से पेंतीस की 873 और पेंतीस से चालीस तक की 1030 युवतियां गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी। सूबे के सुपर कॉप एस.के.राउत के साफ निर्देशों के बाद भी पुलिस अपने आप को असहाय महसूस ही कर रही है।

सूबे से निकलकर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो इससे लगभग आधी तादाद उनकी है जो गायब तो हैं पर उनके पालकों ने बदनामी के डर से पुलिस में गुमइंसान रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई है। कहा जा रहा है कि महिलाओं को बहला फुसला कर इन्हें तस्करों के हाथों बेच दिया जाता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2010 में कुल चौदह हजार 324 युवतियां गायब हुईं हैं।

एमपी पुलिस की पेशानी पर इतनी तादाद में महिलाओं के गायब होने पर पसीने की बूंदे छलकना स्वाभाविक ही है। पुलिस मुख्यालय ने इस तरह की बातों के मद्देनजर महिलाओं की आयु, कद, क्षेत्र आदि के हिसाब से डाटा तैयार करवाया है। पुलिस के आला अधिकारी इस बात को लेकर हैरत में हैं कि इतनी तादाद में गायब हुई युवतियों का पता अखिर क्यों नहीं लगाया जा सक रहा है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष स्व.श्रीमति जमुना देवी जब जीवित थीं, तब एक आंदोलन के वक्त मुख्यमंत्री निवास पर ही पुलिस ने उनको जिस तरह से खींचकर पुलिस वेन में डाला गया, उसे सबने देखा, सुना बाद में कांग्रेस ने उसके पोस्टर्स बनवाकर जनमत संग्रह करवाना चाहा। विडम्बना देखिए कि धड़ों में बंटी कांग्रेस के इस अभियान की वैसे ही हवा निकाल दी गई। प्रदेश में महिलाओं के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। काफी साल पहले महिलाओं के बेचे जाने पर बैतूल के पास की मण्डी की एक फिल्म भी बनाई गई थी।

शिवराज मामा महिलाओं का कितना सम्मान करते हैं वे महिलाओं के उत्थान के लिए कितने संजीदा हैं इसका प्रत्यक्ष उदहारण उनका मंत्री मण्डल है। उनके मंत्री मण्डल में कुल 32 मंत्रियों में अर्चना चिटणिस और रंजना बघेल ही दो मंत्री हैं, जिनमें से चिटडिस कबीना तो बघेल राज्य मंत्री हैं। इस लिहाज से एम पी में मंत्रीमण्डल में महिलाओं की भागीदारी महज छः फीसदी ही है। एक तरफ तो शिवराज महिलाओं के हितैषी होने का दिखाव करते हैं वहीं दूसरी और वे अपने अधीन मंत्रीमण्डल मंे महिलाओं को राई बराबर प्रतिनिधित्व दिए हुए हैं।

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज शर्मा ने फेसबुक पर संदेश लिखा है कि हिन्दु और मसीही समाज की बालाएं मुस्लिम आतंकियों के द्वारा चलाए जा रहे लव जेहादसे सावधान रहें, क्योंकि इसके माध्यम से ये आतंकी बालाओं को मुस्लिम बनाकर उन महिलाओं से आतंकी गतिविधि करवाते हैं। यहां तक कि ये आतंकी इन्हें सुसाईड बम्ब भी बना देते हैं।

बहरहाल, पुलिस के आंकड़ों से ही साबित होने लगा है कि मानव तस्कर विशेषकर देह व्यापार में लगे लोगों के लिए मध्य प्रदेश सूबा अब साफ्ट टारगेटबनकर रह गया है। मध्य प्रदेश में पुलिस की निष्क्रियता से देह व्यापार और मानव तस्करी के मार्ग प्रशस्त होते जा रहे हैं। विधानसभा के सत्रों के उपरांत भी महिलाओं की विधायकों खासकर कांग्रेस के विधायकों द्वारा सुध न लिया जाना सत्ताधारी दल और कांग्रेस के बीच की नूरा कुश्ती जाहिर करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।

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