मंगलवार, 6 सितंबर 2011

युवराज को पार्श्व में ढकेलने की तैयारी


युवराज को पार्श्व में ढकेलने की तैयारी

नरसिंहराव के नक्शे कदम पर मनमोहन

कांग्रेस की शीर्ष समिति में असहज हैं अंटोनी

आड़वाणी की तरह ही राहुल हो सकते हैं पीएम इन वेटिंग

सुषमा ने बनाया वरूण को हीरो

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एक महीने की कांग्रेस की कवायद से साफ हो गया है कि धड़ों में बंटी कांग्रेस का एक गुट अब राहुल गांधी को पार्श्व में ढकेलने की तैयारी में जुट गया है। रामदेव बाबा के असफल प्रहसन के उपरांत अण्णा हजारे के सुपर डुपर हिट अनशन से राहुल गांधी को दूर रखना शायद उसी रणनीति का ही एक हिस्सा माना जा रहा है। सोनिया की अनुपस्थिति में कांग्रेस की डे टू डे की मानीटरिंग के लिए बनाई गई शीर्ष समिति को भी अण्णा प्रकरण में कई बार हाशिए पर ही रखा गया।

कांग्रेस में शीर्ष स्तर का अस्थाई ताज पहनने वाले इस शीर्ष समिति के प्रमुख ए.के.अंटोनी भी पिछले दिनों काफी असहज ही दिख रहे थे। कांग्रेस की कोर कमेटी का सदस्य होने के बाद भी अंटोनी को अण्णा मामले से दूर ही रखा गया। अण्णा के अनशन स्थल रामलीला मैदान पर उनके अनुज वरूण गांधी का जाना और राहुल गांधी द्वारा अपना विरोध करने वालों को समोसे और शीतल पेय भिजवाने की प्रतिक्रिया भी अच्छी नहीं कही जा सकती है। लोगों का कहना है कि अगर राहुल को गांधीगिरी दिखाना ही था तो कोल्ड ड्रिंक के बजाए निंबूज यानी नीबू पानी ही भेज दिया होता।

कांग्रेस में राहुल विरोधी गुट इस बात पर भी जमकर हवा दे रहा है कि राहुल गांधी के पास इतना समय है कि वे विश्व कप में भारत की जीत के बाद रात भर सिने अभिनेता सलमान खान के घर जश्न‘ जिसमें सब कुछ था में शामिल हो सकते हैं पर अण्णा के आंदोलन पर दो शब्द बोलने या रामलीला मैदान जाने की जहमत नहीं उठा सकते हैं। अण्णा मामले में एसा लग रहा था मानो कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी को किडनेप कर दिया गया हो।

उधर राहुल विरोधी यह खबर भी उड़ा रहे हैं कि चूंकि अण्णा मामले में कल तक राहुल के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह खामोश थेइसलिए राहुल ने भी मौन वृत ही रखा। राहुल गांधी को अमूल बेबी‘ की संज्ञा देने वाले कांग्रेसियों का कहना है कि आज भी राहुल बाबा एक भी कदम बिना दिग्गी राजा के पूछे नहीं रखते हैं। टाप टू बाटम कांग्रेस का हर नेता खुद से यही पूछ रहा है कि आखिर क्या वजह थी कि रामलीला मैदान में एक सफल और एक असफल अनशन पर राहुल गांधी ने अपना मंुह क्यों नहीं खोला।

उधर राजनीति की चतुर सुजान नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने मौके की नजाकत को बेहतर तरीके से भांपा। अण्णा मामले में संसद शनिवार को भी आहूत थी। इस दिन लोकपाल विषय पर अनंत कुमार से लेकर यशवंत सिन्हा तक अपनी पैनी धार दिखाना चाह रहे थे। इस दिन जो भी बोलता उसकी टीआरपी‘ जमकर उछल जाती। गौरतलब है कि राहुल ने एक दिन पहले शुक्रवार को इस मामले में संसद में अपना वक्तव्य दिया था। सुषमा के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने वीटो का उपयोग कर भाजपा के गांधी यानी वरूण गांधी को बोलने का मौका दे दिया। वरूण ने जो बोला उसके बाद राहुल और वरूण में तुलना आरंभ हुई। लोगों ने वरूण को राहुल के मुकाबले बीस ही पाया।

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