मंगलवार, 6 सितंबर 2011

मनमोहन से कन्नी काटते पंजाब के कांग्रेसी


मनमोहन से कन्नी काटते पंजाब के कांग्रेसी

विधानसभा चुनावों से दूर रख सकते हैं पीएम को पंजाब के कांग्रेसी

भ्रष्टाचार के मुद्दे से भयाक्रांत हैं पंजाबी कांग्रेसी

देश के बजाए स्थानीय मुद्दों से ही संतोष करेगी सूबाई कांग्रेस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह भले ही देश को सात साल से चला रहे हों, उनकी छवि ईमानदार, उदारवादी की हो, वे कांग्रेस का एक अच्छा चेहरा साबित हों किन्तु उनके अपने ही समुदाय के लोग उनसे खासे भयजदा नजर आ रहे हैं। अगले साल होने वाले पंजाब के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह शायद ही एकाध सभा में दिखाई दें। यह भी हो सकता है कि पीएम डॉ.एम.एम.सिंह को अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचार करने को कहा ही न जाए।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में जब इस तरह की चर्चाएं आईं तब आला नेताओं की पेशानी पर परेशानी की बूंदे छलक गईं कि अगर हर तरफ यही हाल रहा तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने से कोई नहीं रोक सकता है। एआईसीसीस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पंजाब में केप्टन अमरिंदर सिंह अगले विधानसभा चुनावों की तैयारियों के सिलसिले में जब कांग्रेस के सूबाई नेताओं से रायशुमारी कर रहे थे तब यह बात उभरकर सामने आई कि इस बार न तो दिल्ली से किसी को प्रचार के लिए बुलाया जाए और न ही राष्ट्रीय मुद्दे को मेनीफेस्टो में शामिल ही किया जाए।

कांग्रेसियों ने एक स्वर में कहा कि हम स्थानीय मुद्दों और नेताओं के बल पर ही चुनाव लड़ सकते हैं। नेताओं के अनुसार पंजाब विधानसभा में राष्ट्रीय नेताओं की आवश्यक्ता नहीं है। स्थानीय नेता और मुद्दों के बल पर ही रण जीता जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि इस बावत पंजाब के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को भी अपनी भावनाओं से आवगत करा दिया है।
कांग्रेस के प्रबंधकों की समस्या यह है कि अगर एसा हुआ तो देश में यही संदेश जाएगा कि सिख बाहुल्य पंजाब प्रांत ही जब अपनी बिरादरी वाले मनमोहन सिंह पर एतबार नहीं कर पा रहा है तो बाकी का देश उन पर क्या खाक एतबार जताएगा। इससे अगले साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हालत पतली होने के साथ ही साथ आम चुनावों में भी कांग्रेस को इससे खासा नुकसान हो सकता है। उधर भाजपा इस तरह की खबरों से फूली नहीं समा रही है।

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