बुधवार, 7 सितंबर 2011

आम चुनाव के पहले रेल यात्रियों की कमर तोड़ने की तैयारी


आम चुनाव के पहले रेल यात्रियों की कमर तोड़ने की तैयारी

रेल यात्रा किराए में हो सकती है दस से पंद्रह फीसदी बढ़ोत्तरी

माल ढुलाई भी होगी अब मंहगी

घटिया खाने के देने होंगे अब ज्यादा पैसे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय रेल का भट्टा बिठाने वाले स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के बाद पश्चिम बंगाल पर नजर गड़ाने वाली ममता बनर्जी के कार्यकाल में पटरी से उतरी रेल को पुनः रास्ते पर लाने के लिए अब वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी कुछ संजीदा दिख रहे हैं। उनकी इस कवायद का सीधा असर अब रेल यात्रा पर पड़ने वाला है। आने वाले दिनों में न केवल रेल माल भाड़ा बढ़ने की उम्मीद है वरन् रेल यात्री किराए और खानपान की दरें भी बढ़ाई जाने के संकेत मिले हैं।

हाल ही में रेल्वे बोर्ड की दूसरी बैठक के उपरांत जो बातें सामने आ रही हैं उनके अनुसार सात साल बाद रेल महकमे के निजामों ने इस बात की सुध लेना आरंभ किया है कि आखिर चूक कहां हो रही है। भारतीय रेल में साफ सफाई और केटरिंग व्यवस्था में कुड़ली मारे बैठे ठेकेदारों ने हर तरह से नए निजामों को संतुष्ट करने का प्रयास किया। बदबू मारते रेल के शौचालय, सालों साल न साफ होने वाली रेल के कंपार्टमेंट की पानी की टंकी में पनपते जीवाणू आदि के बारे में किसी का ध्यान अब भी नहीं जा पाया है। रेल गाड़ी में यात्रियों के साथ बिना टिकिट यात्रा करने वाले चूहों और काकरोच की समस्या भी जस की तस ही बनी हुई है।

गौरतलब है कि रेल्वे मंत्रियों के तुगलकी फरमान का भोगमान सीधे सीधे यात्रियों को ही भोगना पड़ता है। जबलपुर से नई दिल्ली जाने वाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस सहित अनेक रेलगाड़ियों में रसोईयान (पेंट्री कार) को समाप्त कर दिया गया है। अनेक रेलगाड़ियों में अनाधिकृत वेंडर्स द्वारा मनमानी कीमत पर खाद्य सामग्री बेची जाती है। कई बार इसके चलते यात्रियों और इन सेवादारों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती है। इसके साथ ही साथ रेल्वे में सबसे बड़ी समस्या भिखारियों की है। चलित टीसी और ड्यूटी पर तैनात जीआरपी के जवानों द्वारा भी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

बोर्ड के सूत्रों ने कहा कि 1999 में तय किए गए मूल्यों पर अब केटरर्स द्वारा खान पान सामग्री प्रदाय किया जाना संभव नहीं है। गौरतलब है कि रेल में ब्रेड आमलेट 22 रूपए का मिलता है जो सामान्य तौर पर दस से बारह रूपए में बाहर मिल जाता है। इसी तरह रेल गाड़ी में भोजन की थाली साठ से सौ रूपए जैसा भाव टूट जाए में मिल जाती है। यात्रियों का आरोप रहा है कि उन्हें बेहतर गुणवत्ता युक्त जायकेदार भोजन नहीं मिल पाता है। यहां तक कि रेल में मिलने वाली चाय को लोग गरम पानी की संज्ञा भी देते हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि रेल को फिर से पटरी पर लाने के लिए रेल यात्री किराया बढ़ाना अवश्यंभावी हो गया है किन्तु 2014 के आम चुनावों को देखकर रेल मंत्री इसे बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बार रेल माल भाड़े और खान पान की दरों में वृद्धि कर इसे कुछ हद तक पटरी पर लाया जा सकता है। गौरतलब है कि रेल्वे द्वारा प्रत्येक रेलगाड़ी को आरंभ से गंतव्य तक बीच बीच के स्टेशनों पर साफ सफाई के लिए अरबों रूपयों के ठेके दिए गए हैं। रेल में व्याप्त गंदगी को देखकर इन ठेकों को ही व्यवस्थित कर दिया जाए तो भारतीय रेल काफी हद तक पटरी पर लाई जा सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: